31-Aug-2013 09:03 AM
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दिल्ली में जब दामिनी के साथ पाशविक बलत्कार कांड हुआ तो आसाराम बापू ने इस घटना के लिए उस बच्ची को ही जिम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया था कि बच्ची ने यदि बलत्कारियों से गुहार लगाई होती तो बलत्कार नहीं होता।

गुहार तो उस बच्ची ने भी लगाई होगी। जिसने आसाराम बापू पर कथित रूप से बलत्कार का आरोप लगाया है। बापू तो उसके पितामह से भी बड़े थे फिर वे क्यों नहीं पिघले। आसाराम पर पहले जो आरोप लगे हैं वे उतने गंभीर नहींं थे। बल्कि कुछ में आसाराम प्रत्यक्ष रूप से शामिल भी नहीं थे लेकिन 15 अगस्त को जोधपुर के मणाई आश्रम में उस 16 वर्ष की बच्ची के साथ आसाराम ने जो कुछ किया उस घटना ने आसाराम बापू के भक्तों की नींद हराम कर दी है। उनका विश्वास डगमगा रहा है। क्या बापू भी ऐसा कर सकते हैं? भोपाल के एक भक्त ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वे भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं कि बापू पर लगाए गए आरोप गलत हों। यदि आरोप सच निकले तो कई घरों से आसाराम बापू की तश्वीरें कूड़ेदान में फेंक दी जाएंगी। सम्भव है कि बापू को बदनाम करने के लिए षड्यंत्र किया गया हो। लेकिन इस आरोप की सफाई में जो बयान आसाराम बापू के करीबियों ने दिए हैं वे बड़े संदिग्ध हैं। जैसे यह कहा गया है कि मणाई आश्रम में बापू नहीं थे। जबकि 15 अगस्त को बापू के जोधपुर में होने की पुष्टि भी कुछ लोगों ने की है।
हालांकि बलात्कार की पुष्टि नहीं हो सकी है लेकिन बलात्कार करने की कोशिश की गई है। ऐसा मेडिकल रिपोर्ट में दावा है। दिल्ली में 16 दिसम्बर 2012 की घटना के बाद संशोधित किए गए कानून में यौन शोषण भी दुष्कर्म की श्रेणी में आता है इसलिए आसाराम के खिलाफ 376 के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने उनके हाथ में समन थमा दिया है। इस घटना के बाद संत समिति के अध्यक्ष आचार्य प्रमोद कृष्णम ने आसाराम को विवाह करने की सलाह देते हुए उनकी कटु आलोचना की है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि आसाराम को जो समर्थन पहले संत समाज से मिलता रहा है वह समाप्त हो गया है। आसाराम विवाहित संत हैं। वे गृहस्थ जीवन बिता चुके हैं उनकी पत्नि का नाम लक्ष्मी देवी तथा बेटे का नाम नारायण प्रेम साई और बेटी का नाम भारती देवी है। कभी लकड़ी और कोयला बेचने वाला आसाराम बापू का परिवार अध्यात्म को धंधा बनाकर अरबों का मुनाफा कमा चुका है और उनकी दौलत देश विदेश में 400 से ज्यादा आश्रमों में फैली हुई है। लाखों भक्त हैं जो बापू के खिलाफ इतनी सारी खबरें सामने आने के बावजूद उनसे जुड़े हुए हैं। बापू के कुछ करीबी स्वार्थवश उनका प्रचार करते रहते हैं और भक्तों को गुमराह किया जाता है। अध्यात्मिकता का यह धंधा वर्षों से फल-फूल रहा है। मुनाफे की रकम मेंं जो भागीदार हैं वे आसाराम बापू के काले कारनामों को छुपाने और दबाने का काम करते हैं। आसाराम के बेटे पर भी कई आरोप लग चुके हैं। जिनमें यौन शोषण से लेकर हत्या और धोखाधड़ी के आरोप शामिल हैं। आसाराम प्रवचन अच्छे करते हैं लेकिन क्रोध पर कभी नियंत्रण नहीं कर सके। कभी पत्रकार को पीटते हैं, कभी भक्तों को लात मारते हैं, कभी पानी व्यर्थ बहाते हैं तो कभी दवाई में मिलावट करते हैं। जिस लड़की ने आसाराम बापू पर यौन शोषण का आरोप लगाया है वह मूलत: उत्तरप्रदेश की रहने वाली है। यह लड़की छिंदवाड़ा स्थित आश्रम में रह रही थी वहाँ उसकी तबियत खराब हो गई जिसकी सूचना माता-पिता को दी गई। माता-पिता बच्ची को लेने छिंदवाड़ा पहुंचे तो वहां बताया गया कि बच्ची की झाड़ फूंक जोधपुर के आश्रम में बापू करेंगे। जोधपुर में बच्ची के साथ बापू ने झाड़ फंू क के बहाने बलत्कार की कोशिश की। बापू ने लड़की के साथ बदतमीजी करने के बाद उसे धमकी भी दी थी। इसी कारण 376 के अलावा छेडख़ानी करने के लिए धारा 354 और धमकी देने पर धारा 509 भी लगाई गई हैं। अब देखना यह है कि आसाराम के खिलाफ जांच एजेसियां कितना साहस दिखाती हैं क्योंकि आसाराम कानून के साथ खिलवाड़ करने के लिए बदनाम हैं और जिस तरह उनका रसूख है उसके चलते वे कानून को रौंदते रहते हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो उनके आश्रम में चार बच्चों की मौत के बाद वे नहीं तो उनके चेले या करीबी लोग सलाखों के पीछे अवश्य होते।
जबलपुर में आसाराम के करीबी 23 वर्षीय युवक राहुल पचौरी की रहस्यमय मौत के बाद अहमदाबाद स्थित आश्रम में 2 मासूम बच्चों दीपेश और अभिषेक की संदिग्ध मृत्यु की जांच अभी चल रही है। छिंदवाड़ा में रामकृष्ण यादव और वेदान्त मौर्य की संदिग्ध मृत्यु भी आसाराम के काले कारनामों की एक कड़ी है। आसाराम स्वयं को संत कहते है लेकिन काला जादू और तंत्र मंत्र उनके आश्रमों में बेरोकटोक जारी है। वर्ष 2009 में आसाराम के 3 साधकों मिनकेतन, विकास खेमका और उदय संगानी ने काला जादू की बात कबूल की थी। आसाराम के करीबी और पूर्व सचिव राजू चांडाक तथा उनके निजी चिकित्सक रहे अमृत प्रजापति ने भी आश्रम में अनैतिक गतिविधियों के आरोप लगाए थे। चांडाक को 3 गोलियां मारी गई और प्रजापति पर भी हमले हो चुके हैं। आश्रम भ्रष्टाचार और अनैतिकता के अड्डे हैं। लेकिन आसाराम की पकड़ ऊपर तक होने के कारण उनके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाता। लगभग हर प्रदेश में आसाराम के आश्रमों ने अतिक्रमण कर रखा है। कई एकड़ जमीन हड़प ली गई है। लेकिन आसाराम पर हाथ डालने की हिम्मत किसी में नहीं है। वे बेखौफ हैं और हाल ही जो आरोप लगा है उसमें भी उन्हें बचाने के लिए उनके खास तैनात हो गए हैं। उस पीडि़त लड़की को न्याय मिलेगा इस बात में संदेह ही हैं।
बेटा भी कुछ कम नहीं...
पुरानी कहावत है बाप नंबरी तो बेटा दस नंबरी... लगता है आसूमल थाऊमल हरपलानी उर्फ आसाराम उर्फ बापू ने अपनी हर विरासत अपने पुत्र नारायण सांई को सौंप दी है। चूंकि अभी निजाम पूरी तरह नारायण सांई के हाथों में नहीं आया है, लेकिन पूत के पांव पालने में ही नजर आने लगे हैं। बापू के साथ तो फिर भी उम्र का बंधन है, लेकिन नारायण सांई के ऊपर भी जमीन कब्जे से लेकर आत्मिक प्रेम की शारीरिक अभिव्यक्ति या दूसरे शब्दों में कहें तो कामसूत्रों की शारीरिक व्याख्या के शौकीन होने के आरोप लगते रहे हैं। आसाराम की तरह किसी भी मुसीबत के समय इसका भी ठिकाना मध्यप्रदेश की नगरी इंदौर ही होती है कुछ साल पहले भी यह इंदौर में फरारी काट रहा था और जब रात को कथित रूप से किसी महिला मित्र से मिलने जा रहा था उस समय एक स्टिंग आपरेशन के जरिए इसके तीन दिन से इंदौर में फरारी काटने की बात उजागर हो गई थी इसके बाद ही आसूमल थाऊमल हरपलानी के इस कलाकार वारिस ने गिरफ्तारी से बचने के लिए आनन-फानन में इंदौर हाईकोर्ट से जमानत करवाई थी।
मुश्किलों में याद आया मध्यप्रदेश....
इस बार भी मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार के कई मंत्री संगठन पदाधिकारी आसाराम को बचाने में जुट गए हैं। जोधपुर मामले में बवाल मचने के बाद बापू बड़े गोपनीय तरीके से इंदौर में फरारी काटने पहुंचे लेकिन मीडिया की निगाहों से बच न सके। यहां कबीना मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, विधायक रमेश मैंदोला जैसे लोगों की सरपरस्ती में कानूनी जमावट करने के बाद वे 27 अगस्त को सूरत जाने का हवाला देकर इंदौर छोड़ गए, लेकिन इसके एक दिन बाद ही यह फिर इंदौर एयरपोर्ट और उसके बाद भोपाल एयरपोर्ट पर मध्यप्रदेश के मंत्रियों और प्रभात झा जैसे कद्दावर संगठन नेताओं का साथ पाकर उत्साहित आसूमल जोधपुर की पूरी घटना को सोनिया और राहुल गांधी का षड्यंत्र बताकर पूरे मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश में नजर आए। उमा भारती सबसे पहले विरोधियों से झांसारामÓ की उपाधि पाए इस संत के बचाव में खड़ी नजर आई। हालांकि अब जब नरेंद्र मोदी के तेवर आसाराम के खिलाफ जाते नजर आ रहे हैं तब भाजपा का रुख क्या होगा यह देखने वाली बात होगी।