धधकती बेटियां, झुलसती मानवता
17-Aug-2013 06:18 AM 1234821

उड़ीसा में सातवीं कक्षा की एक 14 साल की बच्ची को दो सप्ताह पहले दिन-दहाड़े 2 लोगों ने जला दिया। कटक के अस्पताल में वह दो सप्ताह तक संघर्ष करती रही और जब उसे दिल्ली इलाज के लिए भुवनेश्वर एयरपोर्ट ला रहे थे तो रास्ते में उसने दम तोड़ दिया। 70 प्रतिशत जली यह बेटी बचाई न जा सकी। जिस एम्बुलेंस में डॉक्टर उसे ला रहे थे उसी में उसकी मृत्यु हो चुकी थी। डॉक्टरों ने चुपचाप ऑक्सीजन मास्क हटा दिया और 6 घंटों तक माता-पिता को नहीं बताया जो उसी एम्बुलेंस में बैठे हुए थे। 6 घंटे तक वे मासूम बेटी का झुलसा चेहरा देखते रहे इस उम्मीद से कि उनकी बिटिया शायद दिल्ली जाकर आँख खोल सकेगी। लेकिन दिल्ली में तो एक और बिटिया दम तोड़ चुकी थी मुजफरनगर की रोहणी के ऊपर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय कैम्पस में हमला हुआ और सफदरजंग अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया। 9 अगस्त को 21 साल की एक महिला पर दो लोगों ने तेजाब फेंका जिसमें वह बुरी तरह झुलस गई।
जला देने और उसके बाद अस्पताल में दम तोडऩे की यह घटनाएं मानवता को शर्मशार कर रही हैं लेकिन यह घटनाएं रूकती नही आए दिन देश के किसी न किसी कोने में बेटियों को जला दिया जाता है पश्चिम बंगाल में एक 11 साल की लड़की को हावड़ा जिलें में एक व्यक्ति ने केवल इसलिए जला दिया क्योंकि लड़की ने बलात्कार का विरोध किया था। 70 प्रतिशत जली लड़की ने 4 दिन तक जिंदगी और मौत के बीच झुलते हुए अंत तक 4 अगस्त को दम तोड़ दिया। इन घटनाओं में अपराधी पकड़े गए है लेकिन इस बात की सम्भावना कम ही है कि उन्हें कोई सजा हो पायेगी क्योंकि सजा देना न्यायालय का काम है और तफ्सीस करना पुलिस का जिम्मा है। पुलिस ऐसी तफ्सीस करती है कि अपराधी आसानी से बच निकलते हैं। जघन्य से जघन्य मामले अदालत की दहलीज पर दम तोड़ देते हैं। यह रिवाज बदस्तूर जारी है इतना घटनाओं के बावजूद न तो पुलिस की कार्यशैली बदली है और न ही अपराधियों के मन में कोई खौफ बैठा है।
पहले बलत्कार या सामूहिक बलत्कार की घटना होती थी, लेकिन अब तो लड़कियों को सरेराह जला दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने तेजाब की बिक्री पर रोक लगा दी है लेकिन तेजाब से लड़कियां राजधानी में ही झुलस रही हैं। फरीदाबाद में एक विवाहित महिला के ऊपर पहले तेजाब फेंका गया फिर तेजाब फेंकने वाले ने ही खुद का जीवन समाप्त कर लिया। यह कैसा अत्याचार है स्वयं के ऊपर भी और दूसरे के ऊपर भी सारे देश में यह चल रहा है। अकेली दिल्ली की बात नहीं है। कहीं उसे बलात्कार का विरोध करने पर जला दिया जाता है, कहीं वह विवाह से इनकार करने पर तेजाबी हमले की शिकार हो जाती है और कहीं आगे पढऩे की जिद करने पर सौतेली मां झुलसा कर मार देती है पश्चिम बंगाल के खानकुल में एक सौतेली मां ने अपनी 14 वर्ष की बेटी को केरोसिन डालकर जला डाला क्योंकि वह आगे पढऩे की जिद कर रही थी और उसकी मां इसके लिए राजी नहीं थी।
यह घटनाएं अब लगातार सुनने में आ रही है। पहले दहेज के लिए लड़कियों को जलाया जाता था अब दहेज के लिए नहीं बल्कि दूसरे कारणों से लड़कियों को दिन-दहाड़े जला दिया जाता है। मार्च माह में उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद में  में एक लड़की ने खुद को जला लिया क्योंकि जिस लड़के पर वह विश्वास करती थी उसी लड़के ने उससे छेड़छाड़ और बलत्कार करने की कोशिश की और इस कृत्य में उसने अपनी दो साथियों को भी शामिल किया। यह घटनाएं हर-दिन सुनाई देती हैं लेकिन पुलिस का रवैया समझ से परे है। इसी वर्ष 6 जनवरी को  पूर्वोत्तर में एक लड़की को इसलिए जला दिया गया क्योंकि वह बलत्कार की शिकायत करने पुलिस के पास जा रही थी। जलाने वाले थे आरोपी के परिजन जिन्होंने उसे रोकने की कोशिश की लेकिन जब वह नहीं मानी तो उसे पेट्रोल छिड़क कर दिन-दहाड़े जला दिया। 80 प्रतिशत तक जली बेटी ने अन्तत: अस्पताल में दम तोड़ दिया। पुलिस में रिपोर्ट करना भी एक गुनाह है पीडि़त सक्रिय हो तो अपराध करने वाले उसे जला देते है और पर्याप्त सबूत मिलें तो पुलिस ढीली पड़ जाती है। पिछले वर्ष अक्टूबर माह में एक 14 साल की किशोरी को कोलकाता के निकट बलत्कार करने के बाद जला दिया गया था कारण यह था कि अपराधी व्यक्ति पीडि़ता के परिवार से बदला लेना चाहता था और बदले के लिए निशाना बनाया गया 14 साल की मासूम बच्ची को। जिसके साथ पहले बलात्कार किया गया और बाद में उसे जला भी दिया। निर्दयता से किए गए इस पाशविक कृत्य में आरोपियों ने यह भी नहीं देखा कि जिस बच्ची को वे नष्ट करना चाहते है उसका आपसी रंजिश से कुछ लेना देना नहीं है। लेकिन भारत में यह मानसिकता बनी हुई है कि बदला लेना हो तो सबसे पहले महिलाओं पर आक्रमण करो। इस नपुंशक मनोवृत्ति के कारण महिलाओं को सदैव निशाना बनाया जाता रहा है क्योंकि उन्हें कमजोर कड़ी समझा जाता है। देश में बढ़ रही स्त्री देह दहन की घटनाएं शर्मनाक हैं लेकिन लगता है कि हमारा समाज इन घटनाओं से सबक लेने वाला नहीं है और पुलिस तो मुनाफा कमाने में लगी हुई है इसीलिए आने वाली स्थिति की कल्पना करके रूह कांप जाती है। बेटियां इस देश में सुरक्षित नहीं हैं। उनको कभी भी जलाया जा सकता है।

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^