भावांतर का मिल सके लाभ
21-Feb-2019 07:01 AM 1234833
मप्र की नई सरकार को विरासत में कर्ज में डूबा प्रदेश मिला है। न सरकार के खजाने में पैसा है और न ही विभागों के पास। ऐसे में प्रदेश के लिए फंड की मांग को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विगत दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। मुख्यमंत्री बनने के बाद कमलनाथ ने विगत दिनों पहली बार नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले और कृषि एवं खनिज से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। मध्यप्रदेश में 2017 में लागू हुई भावांतर भुगतान योजना के तहत दिसंबर के महीने में सोयाबीन, मूंगफली, रामतिल और अन्य तिलहन फसलों की खरीदी की थी, जिसमें राज्य सरकार के खजाने पर 1900 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आया था। इस राशि में से 50 फीसदी राशि केंद्र और इतनी ही राशि राज्य सरकार को मिलाना था। इसके केंद्र से राज्य को 975 करोड़ रुपए चाहिए थे, जिसमें से 400 करोड़ रुपए तो पहले मिल गए थे। अभी भी 575 करोड़ रुपए की राशि केंद्र ने अटका कर रखी है। नाथ की मोदी से हुई मुलाकात के दौरान इस राशि को जारी किए जाने की मांग की गई। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान प्रदेश के खनिज साधन विभाग के केंद्रीय खान मंत्रालय में लंबित 27 प्रकरणों की स्वीकृति दिए जाने का अनुरोध किया, ताकि इनकी माइनिंग लीज स्वीकृत की जा सके। माइनिंग लीज के मामले में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के करीब 170 आवेदन हैं जो खदान एवं खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम की धारा 10 ए और 2 बी के तहत माइनिंग लीज अनुदान पाने की पात्रता रखते हैं। पिछले एक साल में खनन मंत्रालय में 27 ऐसे मामले लंबित हैं जिनको पारित किया जाना है। उन्होंने कहा कि प्रदेश इसके लिए सभी प्रकार की प्रक्रियागत औपचारिकताएं और जरूरी शर्तें पूरी करने के लिए तैयार है। कमलनाथ ने कहा इन मामलों पर जल्द फैसला हो ताकि राज्य की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल सके। मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने सोयाबीन के लिए भावांतर भुगतान योजना में राज्य के उत्पादन का 40 प्रतिशत यानी 26.92 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य तय करने का आग्रह किया है। नाथ ने कहा कि इस योजना की गाइड लाइन में राज्य को दिए लक्ष्य को उत्पादन का 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने के तरीके का उल्लेख नहीं किया गया है। जबकि यही बात मूल्य समर्थन योजना की गाइड लाइन में है। इस योजना के अंतर्गत सरकार ने वादा किया था कि अगर सरकार की तरफ से तय न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी से कम में किसान फसल बेचता है, तो बाकी रकम सरकार की तरफ से दी जाएगी। इस योजना के अंतर्गत किसानों को अपनी उपज को बेचने से पहले रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। योजना के लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बनाए एमपी उपार्जन पोर्टल पर यह पंजीकरण कराया जा सकता है। पंजीकरण के बाद किसान को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना सुनिश्चित हो जाएगा। सरकार मंडियों में बिक्री मूल्य और लाभकारी मूल्य के बीच अंतर का भुगतान किसानों के खातों में सीधे करती है। इस योजना का उद्देश्य सरकार द्वारा किसानों को दालों और तिलहन के साथ ही बागवानी के लिए प्रेरित करना था। अगर इस योजना से जुड़ा भुगतान तीन माह से अधिक लंबित रहता है तो किसान को इनाम मिलेगा। यह पैसा कर्मचारी के वेतन से काटा जाने का प्रावधान है। एसएमएस से किसानों को राशि के भुगतान की सूचना मिलती रहेगी। किसानों के बैंक खाते में सीधे पैसा आने का प्रावधान रखा गया था। हालांकि बाद में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने योजना वापस ले ली। कांग्रेस ने तब शिवराज सरकार पर जमकर मिशाना साधा था। योजना को लागू किए सिर्फ 6 महीने ही हुए थे। जितने जोर-शोर से इसे लॉन्च किया था, उतने ही चुपके से वापस भी ले लिया गया था। बाद में शिवराज ने कहा था कि नीति आयोग और केंद्र सरकार की कमेटी इसे और बेहतर बनाने में लगी है और अब एक साथ पूरे देश में इसे लॉन्च किया जाएगा। हालांकि उसके बाद मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार आ गई। कमलनाथ के कृषि मंत्री सचिन यादव ने बयान दिया था कि इस योजना को बंद किया जाएगा। हालांकि बाद में वे अपने बयान से पलट गए और उन्होंने फिलहाल योजना को जारी रखने की बात कही है। कृषि मंत्री के मुताबिक योजना की खामियों को दूर कर उसे जारी रखा जाएगी। केंद्र में अटका है 575 करोड़ भावातंर भुगतान योजना के तहत उपज बेचने वाले किसानों का 575 करोड़ रूपया केंद्र में अटका हुआ है। इसका परिणाम यह हुआ है कि किसानों को उनकी फसल का दाम नहीं मिल पाया है। ऐसे में प्रदेश के किसानों में आक्रोश है। सरकार बदल जाने के बाद अब कांग्रेस सरकार किसानों की फसल का दाम दिलवाने के लिए सक्रिय हो गई है। इसी सिलसिले में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। दोनों नेताओं की यह मुलाकात संसद में हुई। मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि राज्य का भरपूर सहयोग किया जाएगा। द्यअरविन्द नारद
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