21-Feb-2019 06:46 AM
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मप्र सरकार प्रदेश में औद्योगिक विकास को गति देने की तैयारी कर रही है। इसके लिए सरकार औद्योगिक विकास का रोडमैप तैयार करेगी। इस संदर्भ में 19 फरवरी को चुनिंदा उद्योगपतियों के साथ मुख्यमंत्री की बैठक होने वाली है। इसमें प्रदेश के इंडस्ट्री चलाने वाले उद्योगपतियों को भी आमंत्रित किया गया है। कमलनाथ जानना चाहते हैं कि सरकार से उन्हें किस तरह की सुविधाएं मिल रही हैं। उनकी परेशानियां क्या हैं। वे उद्योगों के विस्तार पर भी बात करेंगे।
गौरतलब है कि प्रदेश में उद्योग स्थापित करने के नाम पर इन्वेस्टर समिट पर भाजपा सरकार द्वारा खर्च किए गए करोड़ों रुपयों से हासिल कुछ नहीं हुआ। कमलनाथ सरकार पर भी उद्योग स्थापित करने और रोजगार देने का दबाव है। लेकिन नाथ सरकार ग्लोबल इन्वेस्टर समिट की बजाय राउंड टेबल मीटिंग करेगी। मुख्यमंत्री ग्लोबल इन्वेस्टर समिट करने से पहले चुनिंदा उद्योगपतियों के साथ बैठक कर खाका तैयार करवाएंगे। भाजपा सरकार के समय उद्योगपतियों से निवेश कराने के लिए पांच इन्वेस्टर समिट का आयोजन हुआ था। यह पहला मौका है जब निवेशकों के साथ राउंड टेबल मीटिंग होगी। इसमें निवेश का रोडमैप भी फाइनल होगा। इसके तहत केवल उन उद्योगपतियों से अनुबंध किए जाएंगे, जो बड़े निवेश करके रोजगार दे सकें। मुख्यमंत्री ने निवेश और रोजगार को अपनी प्राथमिकता में रखा है। स्वयं उद्योगपति रहने के नाते कई उद्योगपतियों से उनकी सीधी पहचान है। उन्होंने कई उद्योगपतियों से टेलीफोन पर बात करके निवेश की प्रारंभिक कार्ययोजना भी तैयार की है। इसके बाद राउंड टेबल मीटिंग में प्रदेश के चुनिंदा और देश के कुछ बड़े उद्योगपतियों को भी आमंत्रित किया है।
भाजपा सरकार में 2007 से 2016 तक हुई पांच इन्वेस्टर्स समिट में से तीन इंदौर में और एक-एक ग्वालियर व खजुराहो में आयोजित की गईं। हर दूसरे साल यह समिट होती थी। इन समिट में देश-विदेश के सैकड़ों उद्योगपति शामिल हुए। इनमें कुल 20.24 लाख करोड़ रुपए के निवेश के करार हुए, लेकिन उद्योग लगाने के ये करार हकीकत में तब्दील नहीं हो सके। चंद उद्योगपतियों ने ही निवेश किया। प्रदेश को सबसे अधिक कृषि आधारित खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की थी, लेकिन पॉवर, सीमेंट, आइटी, ऑटोमोबाइल सहित अन्य मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश हुआ। वर्ष 2016 की इंवेस्टर्स समिट में 25 देशों के राजदूत सहित 42 देशों के 4000 निवेशक शामिल हुए। जबकि, दक्षिण अफ्रीका, मेक्सिको, चेक रिपब्लिक, कनाडा, सिंगापुर और फ्र्रांस पार्टनर देशों की हैसियत से शामिल हुए।
कमलनाथ कह चुके हैं कि निवेश की केवल घोषणा नहीं होगी, बल्कि ठोस काम होगा। दोवास से लौटने पर भी कमलनाथ ने यही कहा था कि फरवरी में पता चलेगा कि मध्यप्रदेश में कितना निवेश आया। इसके तहत इस बैठक के बाद निवेश को लेकर बड़ा कदम उठ सकते है। कमलनाथ ने निवेश को लेकर अफसरशाही को तैयार रहने के लिए कह दिया है। इसके तहत पिछली सरकार की तरह औपचारिक सिंगल विंडो की बजाए व्यावहारिक रूप से सिंगल विंडो पर काम होगा। उद्योगपतियों को सारी मंजूरियां आसानी से तय समयावधि में मिलेंगी।
कमलनाथ सरकार ने नई औद्योगिक नीति का ऐलान कर भले ही मप्र के युवाओं को नौकरी देने पर इंसेंटिव देने की बात कही थी, मगर उद्योगों पर इसका असर नहीं दिख रहा। बता दें कि सरकार ने ऐलान किया है कि राज्य सरकार से मिलने वाले किसी भी इंसेंटिव के लिए 70 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को देने की शर्त का पालन करना होगा। मगर मप्र में अभी हर साल सिर्फ 17,600 नई नौकरियों के अवसर प्राइवेट सेक्टर में बन रहे हैं। इनमें से करीब 50 से 60 फीसदी रोजगार बाहरी लोगों को दिए जा रहे हैं। 500 बड़े और 5 लाख से ज्यादा लघु उद्योगों में कुल 20 लाख स्किल्ड और गैर स्किल्ड वर्कर काम कर रहे हैं। इनमें से आधे से ज्यादा रोजगार बाहरी लोगों के पास हैं, लेकिन नई पॉलिसी की शर्तें पहले से चल रहे उद्योगों पर भी लागू होंगी, क्योंकि यह उद्योग किसी न किसी तरह से कोई न कोई इंसेंटिव सरकार से ले रहे हैं। 2019-20 वित्तीय वर्ष में सब्सिडी लेने में उद्योगों को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि लोकल को रोजगार देने की शर्त का कड़ाई से पालन हुआ तो कई उद्योग अपनी पात्रता गंवा सकते हैं।
- विशाल गर्ग