दांव पर साख
21-Feb-2019 07:12 AM 1234792
महिला एवं बाल विकास विभाग के बारे में कहा जाता है कि इस विभाग को ठेकेदार ही चलाते हैं। इसलिए जब भी इस विभाग में कोई मंत्री बनता है ठेकेदार उस मंत्री की घेराबंदी में जुट जाते हैं। ऐसा ही कुछ महिला एवं बाल विकास विभाग की वर्तमान मंत्री इमरती देवी के साथ होता दिख रहा है। दरअसल विगत दिनों कुछ ऐसे घटनाक्रम सामने आए जिससे ऐसा संकेत मिला है कि अपनी ईमानदारी और समर्पण के लिए जानी जाने वाली मंत्री की साख पर खतरा मंडरा रहा है। हुआ यह कि विभाग की एक बैठक होने वाली थी। इस बैठक में मंत्री को शामिल होना था, लेकिन किसी कारणवश वे उसमें नहीं पहुंच पाईं। लेकिन देखा यह गया कि मंत्री के एक करीबी कांग्रेस नेता मोहन सिंह राठौर का पुत्र साकेत इस बैठक में शामिल होने पहुंच गया। यह बैठक मंत्री के कमरे में होनी थी परंतु मौके की नजाकत को देखते हुए विभाग के प्रमुख सचिव जेएन कंसोटिया ने साकेत को अपने साथ लिया और अपने कक्ष में जाकर उसके साथ बैठक की। अगर प्रमुख सचिव सबके साथ साकेत को लेकर बैठक करते तो इसका अच्छा संकेत नहीं जाता। लेकिन यह बात प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका में चर्चा का विषय बन गई। सवाल उठने लगे कि आखिर मंत्री की अनुपस्थिति में उनके करीबी का बेटा किस हैसियत से बैठक में शामिल होने पहुंच गया। जानकार बताते हैं कि महिला एवं बाल विकास विभाग प्रदेश के सबसे कमाऊ और भ्रष्ट विभागों में से एक है। अब इस विभाग की कमान एक सीधी साधी और ईमानदार मंत्री के हाथ में है। ऐसे में उनके करीबी ठेकेदारों के माध्यम से विभाग में अपनी पैठ बनाने में जुट गए हैं। गौरतलब है कि महिला एवं बाल विकास विभाग में जो भी मंत्री रहे हैं उनके करीबी लोगों ने विभाग में जमकर घुसपैठ कर अवैध कमाई की है। चाहे पूर्व मंत्री स्व. जमुना देवी का समय हो या भाजपा शासनकाल में अर्चना चिटनीस का। मंत्रियों के करीबियों ने विभाग में घुसपैठ कर खूब कमाई की है। अभी तक तो इस विभाग में जो भी मंत्री रहे हैं वे सभी तेजतर्रार थे, लेकिन इमरती देवी एक ग्रामीण पृष्ठ भूमि की महिला हैं। वे पहली बार मंत्री बनी हैं इसलिए उन्हें बारीकियों की जानकारी नहीं है। ऐसे में उनकी शालीनता का फायदा उठाने के लिए उनके करीबी सक्रिय हो गए हैं। गौरतलब है कि राजनीति में सक्रिय होने से पहले वे अपने खेत में काम करती थीं। जानकारी के अनुसार इमरती देवी को पूर्व सांसद रामसेवक बाबूजी और रंगनाथ तिवारी राजनीति में लेकर आए थे। इमरती देवी वर्ष 1997-2000 तक जिला युवा कांग्रेस कमेटी ग्वालियर की वरिष्ठ उपाध्यक्ष रही। वर्ष 2002-2005 में जिला कांग्रेस कमेटी की महामंत्री एवं किसान कांग्रेस कमेटी की प्रदेश महामंत्री, वर्ष 2004-2009 में जिला पंचायत ग्वालियर की सदस्य, कृषि उपज मंडी ग्वालियर की संचालक एवं सदस्य रही। वर्ष 2005 से निरंतर ब्लाक कांग्रेस डबरा की अध्यक्ष रही। इमरती देवी वर्ष 2008 में 13वीं विधानसभा की सदस्य निर्वाचित हुई। फिर 2013 में दूसरी बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुई और वर्ष 2018 में तीसरी बार भी डबरा से निर्वाचित होकर मंत्री बनी। यह दर्शाता है कि वह अपने क्षेत्र की जनता के बीच कितनी लोकप्रिय हैं। डबरा विधानसभा सीट मध्यप्रदेश के हाईप्रोफाइल सीटों में शामिल है। इस सीट की राजनीति लंबे समय तक बीजेपी के नरोत्तम मिश्रा के इर्द-गिर्द रही। यह केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के प्रभाव वाले क्षेत्र का हिस्सा है। ऐसे में लगातार तीन चुनाव जीतकर इमरती देवी ने यह सिद्ध कर दिया है कि वे एक बेहतर राजनेता है। लेकिन उनके ही कुछ करीबी अब इस कोशिश में लग गए हैं कि उनकी आड़ में अपना स्वार्थ साधे। अब तक साफ सुथरी छवि इमरती देवी तीन बार से विधायक हैं। वे पहली बार मंत्री बनी हैं। विधायक के तौर पर अभी तक उनका कार्यकाल साफ-सुथरा रहा है। डबरा की जनता में उनका बड़ा सम्मान है। ऐसे समय में जब आमतौर पर कोई मंत्री, सांसद या विधायक तो ठीक, कोई पार्षद भी भ्रष्टाचार के आरोप से बच नहीं पाता, इमरती देवी पर किसी तरह का कोई आरोप नहीं लग पाया है। यह कोई कम बड़ी बात नहीं है। गणतंत्र दिवस के दिन तबियत खराब होने के कारण वे अपना भाषण ठीक से पढ़ नई पाई इसका खूब उपहास उड़ाया गया। इमरती देवी का उपहास उड़ाना आसान है क्योंकि वे ग्रामीण पृष्ठभूमि की हैं और मुखर नहीं है। इमरती देवी या लखमा कवासी भले ही कम पढ़े-लिखे हों, मगर वे सहज और सच्चे जनप्रतिनिधि है अपने ग्रामीण और गरीब इलाके के। इनकी इसी सहजता और सच्चाई का फायदा उठाने के लिए उनके करीबी लोग सक्रिय हो गए हैं। ऐसे में मंत्री को सजग रहना होगा। - कुमार राजेंद्र
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