21-Feb-2019 06:35 AM
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भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश में नेतृत्व विहीन नजर आ रही है। कुछ माह पहले तक प्रदेश में एकजुट और मजबूत संगठन वाली पार्टी बिखर सी गई है। पिछले 15 सालों के दौरान पार्टी में कुछ ही नेताओं का वर्चस्व रहा इस कारण पार्टी में कोई नया नेतृत्व तैयार नहीं हो सका। मौजूदा नेतृत्व चाहे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, थावरचंद गेहलोत महासचिव कैलाश विजयवर्गीय हों या पूर्व सीएम उमा भारती सभी निष्क्रिय बने हुए हैं। ऐसे में पार्टी का पूरे संगठन मोर्चा प्रकोष्ठों के नेताओं के भरोसे चल रहा है। ऐसे में लोकसभा चुनाव भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
पिछले 15 सालों के दौरान भाजपा संगठन लगातार सक्रिय नजर आता रहा। लेकिन कुछ माह से संगठन निष्क्रिय हो गया है। इसकी मूल वजह यह है कि पार्टी के बड़े नेता घर बैठ गए हैं या केन्द्रीय नेतृत्व में चले गए हैं। पार्टी ने नए नेतृत्व के लिए सांसद राकेश सिंह को प्रदेशाध्यक्ष, वीडी शर्मा को महामंत्री, गोपाल भार्गव को मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया, लेकिन स्थापित नेतृत्व के चलते ये नेता बौने ही साबित हो रहे हैं।
प्रदेश में पिछले 15 साल भाजपा की सरकार रही, जिसका खामियाजा अब संगठन को भुगतना पड़ रहा है। पार्टी ने इस दौर में किसी भी युवा नेतृत्व को आगे बढऩे का मौका नहीं दिया। अब ये हाल है कि पार्टी जिन्हें आगे बढ़ाना चाहती है, मौजूदा नेतृत्व की वजह से उन्हें आगे बढऩे का मौका नहीं मिल रहा है। सांसद राकेश सिंह को पार्टी ने प्रदेशाध्यक्ष की कमान दी तो उन्हें मजबूती देने के लिए खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह आए। फिर भी विधानसभा टिकट वितरण के दौर में सिंह पर दिग्गज नेता भारी पड़ गए। नेता प्रतिपक्ष की कमान गोपाल भार्गव को दी गई तो विधानसभा सत्र में ही वो हाशिए पर रहे।
पार्टी नेताओं ने महसूस ही नहीं किया कि भार्गव 109 विधायकों के नेता हैं। यही हाल वीडी शर्मा का है, पार्टी ने उन्हें महामंत्री बनाकर ब्राह्मण नेतृत्व खड़ा करने की कोशिश की, लेकिन पार्टी उसमें भी सफल नहीं हो पाई। दिग्गजों ने शर्मा की घेराबंदी ऐसी की कि उन्हें विधानसभा का टिकट भी नसीब नहीं हो सका। ये हाल तब हैं, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से शर्मा की एंट्री हुई थी। भाजपा में प्रदेश से लेकर जिला स्तर तक ये हाल हैं कि कोई भी नेता चुनावी मैदान नहीं छोडऩा चाहता है। विधानसभा चुनाव में जो हारे हुए नेता हैं, वे लोकसभा चुनाव की टिकट की जुगाड़ में जुटे हैं। दमोह में चंद वोटों से हारे पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया इन दिनों सागर लोकसभा सीट से टिकट की जोड़-तोड़ में लगे हैं। बालाघाट लोकसभा सीट से पूर्व कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन अपनी बेटी मौसम को टिकट दिलाने के लिए भोपाल-दिल्ली एक कर रहे हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा लोकसभा चुनाव नहीं लडऩे की घोषणा के बाद विदिशा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह को टिकट दिलाए जाने का अभियान सोशल मीडिया पर खुद वहां के जिलाध्यक्ष चला रहे हैं। सत्यनारायण जटिया भी उज्जैन से एक बार फिर ताल ठोकना चाहते हैं। बचे हुए कई नेता भी नए लोगों को सामने लाने के बजाय खुद ही टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर भोपाल से टिकट की दौड़ में हैं। पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया और सरताज सिंह तो कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं।
मध्यप्रदेश प्रभारी डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी ही देश में एकमात्र ऐसी पार्टी है जो राजनीति में नए व गैर पारिवारिक चेहरों को सर्वाधिक अवसर देती है। यही कारण है कि राजनीति में मिशन को लेकर काम करने वालों के लिए भाजपा ही एकमात्र अवसर और विकल्प है। हम इस पर लगातार काम करते रहते हैं। पाटी के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय का कहना है कि पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी में लगी है, भाजपा कार्यकर्ता आधारित दल है, लिहाजा समय और जरूरत के अनुसार कार्यकर्ता की भूमिका बदलती रहती है।
कई जिलों में चेहरे बदले
भाजपा ने मध्य प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जमीनी स्तर पर संगठन में मजबूती लाने की कवायद तेज कर दी है। इसी क्रम में राजधानी भोपाल सहित 11 जिलों में नए अध्यक्ष बनाए गए हैं, वहीं प्रदेश कार्यसमिति में 12 विशेष आमंत्रित सदस्य नियुक्त किए गए हैं। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह और संगठन महामंत्री सुहास भगत ने राजधानी का जिलाध्यक्ष विकास वीरानी को बनाया है। इसके अलावा 10 अन्य जिलों में नए जिलाध्यक्ष नियुक्त किए हैं। भाजपा ने 11 जिलों में नए अध्यक्ष बनाए हैं। पार्टी ने श्योपुर का जिलाध्यक्ष गोपाल आचार्य, मुरैना का केदार सिंह यादव, भिंड का नाथूसिंह गुर्जर, अशोकनगर का धर्मेन्द्र रघुवंशी, छतरपुर का मलखान सिंह, डिंडौरी का संजय साहू, अलीराजपुर का किशोर शाह, रतलाम का राजेन्द्र लुनेरा, मंदसौर का राजेन्द्र सुराना और अनूपपुर का जिलाध्यक्ष ब्रजेश गौतम को बनाया है। वहीं प्रदेश कार्यसमिति में 12 नए विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए गए हैं। इनमें से अधिकांश वे लोग हैं जो जिलाध्यक्ष थे। इसमें अशोक गर्ग, अनूप सिंह भदौरिया, संजीव कांकर, जयकुमार सिंघई, डॉ. सुनील जैन, सुरेन्द्रनाथ सिंह, राकेश अग्रवाल, कान्हसिंह चौहान, चंदर सिह सिसोदिया, आधाराम वैश्य, पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह, अभय प्रताप सिंह यादव शमिल हैं। भाजपा संगठन में हुए इस बदलाव को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को डेढ़ दशक बाद सत्ता से बाहर होना पड़ा था, साथ ही पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में किसी तरह के नुकसान को उठाने के लिए तैयार नहीं है। राज्य में भाजपा के पास लेाकसभा की 29 में से 26 सीटें हैं। भाजपा अपने पिछले प्रदर्शन को बरकरार रखना चाहती है, लिहाजा संगठन को निचले स्तर पर और मजबूत किया जा रहा है।
- श्याम सिंह सिकरवार