18-Jan-2019 06:44 AM
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मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने 15 साल से जमे भारतीय जनता पार्टी के अंगद के पांव को उखाड़कर सत्ता तो हासिल कर ली, अब उसके सामने अगला लोकसभा चुनाव बड़ी चुनौती बना हुआ है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के पास 29 में से सिर्फ तीन लोकसभा सीटें ही हैं, लिहाजा कांग्रेस ने जीत के लिए अनुभव का लाभ लेने की रणनीति बनाई है। इसका मकसद 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में अपनी स्थिति को मजबूत बनाना है।
हाल में हुए विधानसभा चुनाव के बाद भी राज्य में कांग्रेस अकेले अपने बल पर सरकार नहीं बना सकी। उसे बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और निर्दलीय विधायकों का सहयोग लेना पड़ा है। इन दलों के सहयोग के चलते कांग्रेस बहुमत के आंकड़े 116 से आगे निकल गई है और उसके पास अब 121 विधायकों का समर्थन हासिल है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बड़े-बड़े दिग्गज हार गए। इनमें अजय सिंह, रामनिवास रावत, राजेंद्र सिंह, सुभाष सोजतिया, अरुण यादव, सुरेश पचौरी, सरताज सिंह, मुकेश नायक ऐसे नेता थे, जिनका कमलनाथ की सरकार में मंत्री बनना तय था। अब पार्टी ने इन अनुभवी नेताओं का लोकसभा चुनाव में बेहतर उपयोग की रणनीति बनानी शुरू कर दी है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह राजगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने बीते दिनों चुनाव हारे उम्मीदवारों के साथ बैठक की। इस बैठक में कमलनाथ ने साफ कहा कि वे चुनाव भले हार गए हों, मगर पार्टी के लिए उनकी हैसियत विधायक से कम नहीं है। अब लोकसभा चुनाव में उन्हें अपनी पूरी ताकत लगानी है। कांग्रेस की नई रणनीति के तहत अजय सिंह, अरुण यादव व सुरेश पचौरी को लोकसभा चुनाव में उतारा जा सकता है। वहीं पार्टी मुकेश नायक, सुभाष सोजतिया, रामनिवास रावत जैसे अनुभवी नेताओं व पूर्व मंत्रियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने को लेकर मंथन कर रही है। अजय सिंह व अरुण यादव सीधे तौर पर दिग्विजय सिंह के समर्थकों में गिने जाते हैं। सोजतिया के दिग्विजय सिंह व कमलनाथ से करीबी रिश्ते हैं, वहीं पचौरी की भी कमलनाथ से नजदीकियां हैं। मुकेश नायक व रामनिवास रावत को ज्योतिरादित्य सिंधिया के खेमे में गिना जाता है। पार्टी की बैठक में पहुंचे हारे उम्मीदवारों ने प्रदेश अध्यक्ष को अपनी हार की वजह बताई। कमलनाथ ने सभी को लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाने को कहा। इंदौर के अश्विन जोशी ने कहा कि कमलनाथ ने उनकी बात सुनी और गंभीरता से लिया है।
उधर, प्रदेश में सरकार बनने के साथ ही प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के अच्छे दिन आने वाले हैं। 15 साल से भाजपा नेताओं के दबाव में रहे इन कार्यकर्ताओं को सत्ता में भागीदारी देने की तैयारी की जा रही है। राहुल की मंशा के मुताबिक अब प्रदेश के कार्यकर्ताओं को बीस सूत्रीय क्रियान्वयन समिति और जनभागीदारी समितियों में पद दिए जाएंगे। जिन कार्यकर्ताओं ने 15 साल से पार्टी के प्रति निष्ठा से काम किया है और इस चुनाव में पूरी ताकत के साथ कांग्रेस उम्मीदवारों को जिताने में मेहनत की है उनकी सूची तैयार की जा रही है। जिला स्तर पर इन समितियों में कार्यकर्ताओं की नियुक्ति होगी। हर विधानसभा क्षेत्र से ऐसे 50 कार्यकर्ताओं की सूची मांगी गई है जिनको नियुक्तियां दी जाएंगी। ये नियुक्तियां लोकसभा चुनाव के पहले की जाएंगी। करीब 12 हजार कार्यकर्ताओं को नियुक्ति दी जाएगी।
विधानसभा चुनाव के परिणामों से उत्साहित मप्र कांग्रेस ने लोकसभा की 20 सीटों को जीतने का टारगेट बना लिया है। पार्टी के रणनीतिकारों को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस का जनाधार और मजबूत होगा। क्योंकि सरकार वचन पत्र में की गई घोषणों को अमलीजामा पहनाकर जनता का विश्वास जीतने में जुटी हुई है। गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें हासिल हुई थीं। बाद में एक सीट रतलाम झाबुआ उपचुनाव के कारण कांतिलाल भूरिया ने जीत ली थी। इस तरह से फिलहाल भाजपा के पास 26 सीटें हैं और कांग्रेस के पास 3 सीटें है। अब कांग्रेस का लक्ष्य है कि मध्यप्रदेश में सरकार बनने के बाद वह लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक सीटें जीते ताकि केंद्र में यूपीए की सरकार बन सके।
कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन
कांग्रेस के जानकारों का कहना है कि इस बैठक के जरिए कमलनाथ ने अपनी भावी रणनीति का संदेश दे दिया है। कांग्रेस लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना चाहती है और इसके लिए कमलनाथ अपने पुराने अनुभवी नेताओं पर बड़ा दांव खेल सकते हैं। इससे सरकार की छवि तो बनेगी ही, साथ ही प्रदेशवासियों के बीच यह संदेश जाए कि कांग्रेस जनहित को अहमियत देती है। इस कदम से कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी लगेगा कि नेता चुनाव भले हार गए, मगर उनका कद कम नहीं हुआ है, क्योंकि कार्यकर्ता के उत्साह के आधार पर ही जीत की संभावना बनती है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ का सबसे ज्यादा जोर विंध्य और निमाड़ अंचल पर रहने वाला है। इसके चलते अजय सिंह, अरुण यादव व सोजतिया के कद में इजाफा होना तय है।
-रजनीकांत पारे