18-Jan-2019 06:38 AM
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स्कूल चलें हम, दूध पिएं हम...Ó स्लोगन के साथ आंगनवाडिय़ों व स्कूलों में छात्र-छात्राओं को उपलब्ध कराया जाने वाला मीठा सुगंधित स्किम्ड मिल्क पाउडर (दूध) के पैकेट लापरवाही की भेंट चढ़ रहे हैं। बच्चों के लिए जो पैकेट बांटे जाने थे, वे रखे हुए ही एक्सपायर हो गए। लापरवाही सामने न आए, इसलिए अब जिम्मेदार इन्हें जलाकर सबकुछ खत्म करना चाह रहे थे लेकिन मामला सामने आ गया।
खंडवा जनपद के 141 प्राथमिक स्कूलों में बांटने के लिए आया 10 क्विंटल मिल्क पावडर अफसरों ने शौचालय में रखवा दिया। इसके बाद इसे बांटना भी भूल गए। एक्सपायरी होने पर मिल्क पावडर को जलाकर सबूत मिटाने के प्रयास किए गए। तीन साल पहले दूध पावडर के यह पैकेट आए थे। जनपद पंचायत के अफसरों ने इसे अनुपयोगी शौचालय में रखवा दिया था। इतनी बड़ी लापरवाही सामने आने के बाद भी जिम्मेदार विभाग व प्रशासनिक अफसर हरकत में नहीं आए। केवल जिम्मेदारों पर कार्रवाई की बात कही। सिविल लाइन स्थित जनसंपर्क विभाग के पास 9 जनवरी को जनपद पंचायत कार्यालय द्वारा सांची कंपनी के प्रोटीन युक्त दूध पाउडर के करीब 10 हजार पैकेट जला दिए गए। पैकेटों पर एक्सपायरी डेट मई 2016 की अंकित थी। उधर जनपद के एनआरसी भवन के शौचालय में भी एक-एक किलो के करीब 500 पैकेट लावारिस पड़े थे।
विभाग के ही कर्मचारियों ने बताया तीन साल पहले जनपद पंचायत की ग्राम पंचायतों के 141 स्कूलों में बच्चों को पिलाने के लिए मिल्क पाउडर वितरित किया गया था। लेकिन तत्कालीन अफसरों ने इसे शौचालय में रखवा दिया और वितरण करना भूल गए। अब जब कार्यालय का नाम आईएसओ प्रमाण पत्र के लिए आया और साफ सफाई शुरू की तो बड़ी मात्रा में दूध पाउडर के पैकेट कचरे में निकले।
स्कूलों में भी लापरवाही हो रही है। शहर के प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को प्रोटीन युक्त दूध का वितरण नहीं किया जा रहा। सूरजकुंड प्राथमिक विद्यालय की जानकारी लेने पर पता चला मध्यान्ह भोजन के साथ ही दूध बनाने का गर्म पानी आया। बच्चों ने केवल खाना खाया। प्राचार्य उषा शुक्ला ने बताया पहले मध्यान्ह भोजन के डेढ़ घंटे पहले सुबह 11 बजे गर्म पानी आता था जिसमें मिल्क पाउडर मिलाकर बच्चों को देते थे, अब भोजन पहुंचाने वाली संस्था खाना और गर्म पानी साथ भेज रही है ऐसे में बच्चे दूध नहीं पी रहे। स्कूलों में दूध वितरण सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को किया जाता है लेकिन शहरी क्षेत्र में ऐसा नहीं हो पा रहा।
2016 में शासन द्वारा महिला बाल विकास विभाग के माध्यम से आंगनवाड़ी केंद्रों एवं जिले की जनपद पंचायतों के प्राइमरी स्कूलों में प्रोटीन युक्त मिल्क पाउडर वितरित करने की जिम्मेदारी दी गई थी। उस दौरान अप्रैल में खंडवा जनपद कार्यालय की 59 ग्राम पंचायतों के 141 प्राइमरी स्कूलों के लिए एक किलोग्राम के करीब 10 हजार पैकेट वितरण के लिए मिले थे लेकिन तत्कालीन सीईओ ने दूध के पैकेट को वितरित करवाने के बजाए शौचालय में रखवा दिया। वर्तमान में जनपद पंचायत की ग्राम पंचायतों के स्कूलों में मिल्क पाउडर के पैकेट पहुंचाने की जिम्मेदारी बीआरसी की है।
जनपद पंचायत खंडवा का नाम जिले के 12 कार्यालयों के आईएसओ प्रमाण पत्र में शामिल है। कलेक्टर विशेष गढ़पाले द्वारा अधिकारियों की लगातार बैठकें लेकर लगातार मॉनिटरिंग भी की गई। 8 जनवरी को सभी के साथ जनपद खंडवा को क्वालिटी मैनेजमेंट सिस्टम के लिए आईएसओ अवार्ड भी मिल गया। अब देखना है कि कलेक्टर जिम्मेदार विभाग की लापरवाही पर क्या कार्रवाई करते हैं। यहां अधिकारियों के मॉनिटरिंग सिस्टम पर भी सवाल खड़े होते हैं।
इस मामले में अपर कलेक्टर बीएस इवने का कहना है कि अफसर द्वारा बच्चों के लिए आया दूध पाउडर वितरण के बजाए शौचालय में बंद कर रखा गया था जो कि गंभीर लापरवाही है, हम मामले की जांच कराएंगे, जो भी दोषी होगा कार्यवाही होगी।
कलेक्टर के प्रयास पर अधीनस्थ फेर रहे पानी
जिले से कुपोषण का कलंक मिटाने के लिए कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने यहां नवाचार करते हुए फूलमालाओं या गुलदस्तों से स्वागत-सत्कार की बजाय बिस्किट भेंट करने की परंपरा प्रोत्साहित की। लोगों ने इसे अपनाया भी, लेकिन इन बिस्किट पैकेट पर अधीनस्थों की लापरवाही भारी पड़ रही है। गौरतलब है कि खंडवा कुपोषितों का जिला माना जाता है। मप्र शासन की योजना अंतर्गत आंगनवाड़ी व प्राथमिक स्कूलों में सांची का मीठा सुगंधित स्किम्ड मिल्क पाउडर प्रदाय किया जाता है। एमपी स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड से संबद्ध सहकारी दुग्ध संघों का प्रोपायटरी उत्पाद है। हालांकि यहां ये दूध पैकेट जिलास्तर के दफ्तरों में रखे हुए खराब हो रहा है, जबकि जिन्हें इसकी जरूरत है, वे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं।
- श्याम सिंह सिकरवार