18-Jan-2019 06:33 AM
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मप्र में स्वच्छ भारत अभियान को किस तरह पलीता लगाया गया है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार मप्र को ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) घोषित कर दिया है, लेकिन आज भी यहां की 25 फीसदी आबादी खुले में शौच कर रही है। वह भी तब जब यहां के सभी 52 जिले, 22,834 ग्राम पंचायतें और 50,228 ग्राम ओडीएफ घोषित हो चुके हैं। दरअसल, यह खुले में शौच से मुक्ति अभियान की कड़वी हकीकत है कि किस तरह अफसरों ने आंकड़ेबाजी करके मप्र को ओडीएफ घोषित कराया है।
गौरतलब है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का मानना था कि साफ-सफाई, ईश्वर भक्ति के बराबर है और इसलिए उन्होंने लोगों को स्वच्छता बनाए रखने की शिक्षा दी। महात्मा गांधी का सपना था कि भारत का हर कोना-कोना साफ-सुथरा और स्वच्छ हो। महात्मा गांधी के इसी सपने को साकार करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत की थी। लेकिन पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत के तहत जो अभियान शुरू किया था इसकी पोल हाल ही में आए एक सर्वे ने खोल कर रख दी हैं। पिछले दिनों आए एक सर्वे से ये पता चला है कि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में अभी भी 44 फीसदी लोग खुले में शौच कर रहे हैं। जबकि स्वच्छ भारत मिशन पोर्टल के अनुसार 98.6 फीसदी घरों में शौचालय बनाया जा चुका है। सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि सरकार द्वारा वित्त प्रदत्त अधिकांश शौचालय जुड़वां गड्ढे वाले डिजाइन के हैं। इसका एक कारण यह हो सकता है कि लोगों द्वारा जुड़वां गड्ढे का विकल्प चुने जाने पर वे 12,000 रुपये की सरकार द्वारा मिलने वाली सब्सिडी का उपयोग कर सकते थे।
स्वच्छ भारत मिशन पोर्टल पर बताया गया है कि मध्य प्रदेश खुले में शौच मुक्त है यानी की मध्य प्रदेश के हर घर में शौचालय हैं। जबकि सर्वे के अनुसार मध्य प्रदेश में 90 फीसदी घरों में ही शौचालय हैं। स्वच्छ भारत अभियान की ये पोल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर कम्पेशनेट इकोनॉमिक्स (राइस) और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) ने अपने एक सर्वे में खोली है। स्वच्छ भारत मिशन पोर्टल ने मध्य प्रदेश को खुले में ओडीएफ घोषित किया हुआ है। जबकि राइस के सर्वे के अनुसार ऐसा नहीं हैं। यहां लोग अभी भी खुल में शौच के लिए जाते हैं। गौरतलब है कि पिछले चार वर्षों में शौचालय निर्माण काफी तेजी से हुआ है। लेकिन जो जानकारी स्वच्छ भारत मिशन पोर्टल में दी गई है वो सही नहीं है। आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में 2014 में 43 फीसदी शौचालय थे। उस समय 68 फीसदी लोग खुले में शौच करते थे। लेकिन 2018 में जब 90 फीसदी लोगों के पास शौचालय हो गए हैं तो भी 25 फीसदी लोग खुले में शौच कर रहे हैं।
सर्वे में यह बात सामने आई है कि खुले में शौच की दर में हर साल लगभग 6 प्रतिशत अंकों की तेजी से गिरावट हो रही है। लेकिन खुले में शौच से मुक्त घोषित किए जाने के बाद भी मप्र अभी तक उस लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाया है। प्रदेश का कोई भी जिला खुले में शौच मुक्त नहीं हो पाया है। सरकार अपने दावों का जरूरत से ज्यादा प्रचार कर रही है और हकीकत से दूर भाग रही है। सर्वे में यह तथ्य सामने आया है कि स्वच्छ भारत मिशन में अपने आप को अव्वल दिखाने के लिए अफसरों ने जमकर आंकड़ेबाजी की है। दरअसल, पूर्ववर्ती सरकार ने पहले से ही टारगेट तय कर दिया था कि अमूक तिथि को जिला ओडीएफ घोषित किया जाएगा। ऐसे में अफसरों ने जमकर कागजी घोड़े दौड़ाए हैं। लेकिन सर्वे में हकीकत सामने आ गई है।
- विकास दुबे