18-Jan-2019 06:13 AM
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विधानसभा के पटल पर राज्य के कंट्रोलर ऑडिटर जनरल ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की तो आर्थिक अनियमितता से जुड़े कई खुलासे हुए हैं। कैग की रिपोर्ट पटल पर रखते हुए राज्य के मुख्य ऑडिटर जनरल विजय कुमार मोहंती ने बताया कि पिछले वर्ष ई-टेंडरिंग पोर्टल के माध्यम से 4601 करोड़ के कुल 1921 टेंडर्स की ऑनलाइन बीडिंग 74 कॉमन कंप्यूटर्स के माध्यम से की गई। इससे टेंडरिंग की प्रक्रिया में गड़बड़ी खुले तौर पर सामने आ रही है। इसके अलावा राज्य के सबसे पुराने पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में प्राध्यापकों के वाहन भत्ते के नाम पर 1 करोड़ 40 लाख रुपये की अनियमितता सामने आई है।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के संचालन में भी राज्य सरकार की ओर से कई कमियां सामने आई हैं। इस मिशन में राज्य में स्पेसलिस्ट डॉक्टर्स के 89 फीसदी पद भरे ही नहीं गए हैं। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक ट्राइबल विभाग द्वारा स्कूलों में आदिवासी छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति में भारी अनियमितता पाई गई है। इस मामले में सरकारी स्कूलों के 6, निजी स्कूलों के 12 प्राचार्यों सहित जांजगीर के आदिवासी विकास विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा कैग ने की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि किस तरह छात्रवृत्ति की राशि छात्रों को नहीं मिली और किस तरह इसमें अनियमितता बरती गई। छत्तीसगढ़ सरकार की 12 में से 7 कंपनियां 544.84 करोड़ के घाटे में चल रही हैं। खास बात यह है कि इसमें से 5 कंपनियां विद्युत सेक्टर की हैं। कैग ने घाटे में चल रही कंपनियों को बंद करने की सिफारिश की है। कैग की जांच के दौरान हजारों करोड़ रुपए के घोटाले के साथ ही तमाम गड़बडिय़ां भी सामने आई हैं। खास बात कि तत्कालीन भाजपा सरकार के बहुचर्चित विभाग चिप्स के माध्यम से किए गए ई-टेंडर में 17 विभागों का 4601 करोड़ रुपए का घोटाला भी सामने आया है। कैग ने तीन सेक्टर में अपनी रिपोर्ट पेश की है।
सदन में रिपोर्ट रखे जाने के बाद महालेखाकार विजय कुमार मोहंती ने बताया कि ई-टेंडर के जरिए 4601 करोड़ के 74 कॉमन कंप्यूटर से गलत तरीके से बिडिंग का खुलासा हुआ है। जांच की गई तो पता चला कि जिन कंप्यूटरों से टेंडर को जारी किया गया था, उसी आईपी से टेंडर भरे गए। ऐसे में इस बात की भी आशंका है कि ये टेंडर अधिकारियों ने ही भरे हैं। सरकार की ई-टेंडरिंग प्रकिया में 17 विभागों की ओर से चिप्स के जरिए 1921 निविदाओं के लिए 4601 करोड़ के टेंडर भरे गए। 79 ठेकेदारों ने दो पैनकार्ड का उपयोग टेंडर प्रक्रिया में किया, जिन्हें वेरीफाई भी नहीं किया गया। एक पैन का इस्तेमाल पीडब्ल्यूडी में रजिस्ट्रेशन के लिए और दूसरा ई प्रोक्योरमेंट में किया गया। ठेकेदारों ने आयकर अधिनियम की धारा 1961 का उल्लंघन किया है। इन 79 ठेकेदारों को 209 करोड़ का काम दिया गया। नवंबर 2015 से मार्च 2017 के बीच 235 ईमेल आईडी का इस्तेमाल 1459 विक्रेताओं ने किया। जबकि सभी को यूनिक आईडी देने का प्रावधान था। एक ईमेल आईडी का इस्तेमाल 309 निविदाकारों ने किया। रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि टेंडर से पहले टेंडर डालने वाले और टेंडर की प्रक्रिया में शामिल अधिकारी, एक-दूसरे के संपर्क में थे, जिसके संकेत मिलते हैं। कैग ने मामले में जांच की सिफारिश की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 5 अयोग्य ठेकेदारों को 5 टेंडर जमा करने दिया गया। इसके साथ चिप्स की कार्यप्रणाली पर भी कैग ने सवाल उठाए हैं।
कैग की रिपोर्ट में ट्राइबल विभाग की ओर से स्कूलों में दी जाने वाली छात्रवृत्ति का बड़ा घोटाला सामने आया है। ऐसे 21 स्कूलों में एससी/एसटी छात्रवृत्ति बांटी गई, जो अस्तित्व में ही नहीं हैं। इस मामले में 1.40 करोड़ रुपए की रिकवरी और एफआईआर दर्ज की अनुशंसा की गई है। इसमें सरकारी स्कूल के 6 और प्राइवेट स्कूल के 13 प्रिंसिपल शामिल हैं। इनके साथ ही जांजगीर के आदिवासी विकास विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा कैग ने की है। वहीं रविशंकर यूनिवर्सिटी में भी तय ट्रांसपोर्ट एलाउंस से ज्यादा भत्ता लिए जाने का खुलासा रिपोर्ट में किया है। ये रकम 1.40 करोड़ की है, इसकी भी रिकवरी की जाएगी।
-रायपुर से टीपी सिंह