असंतुष्टों का कुनबा
01-Jan-2019 10:27 AM 1234820
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल का मंत्रिमंडल गठन होते ही कांग्रेस नेताओं के बीच बगावत सामने आने लगी है। भाजपा ने कांग्रेस मंत्रिमंडल को असंतुष्टों का कुनबा करार दिया है। हालांकि एक मंत्री की जगह अभी भी खाली है, जिसे 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद भरा जाएगा। माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल कैबिनेट में एक जगह खाली रखकर बड़ा दांव चला है। इसके मुताबिक सूबे में जो भी विधायक 2019 के लोकसभा चुनाव में सबसे बेहतर प्रदर्शन करेगा, उसे मंत्री पद के तोहफे से नवाजा जाएगा। इसी के मद्देनजर सूबे की नई कांग्रेस सरकार में अभी 11 मंत्री बनाए गए हैं। जबकि नियम के मुताबिक मुख्यमंत्री के अलावा अधिकतम 12 मंत्री बनाए बनाए जा सकते हैं। छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल गठन होते ही कांग्रेस नेताओं के बीच बगावत सामने आई है। सत्यनारायण शर्मा, धनेंद्र साहू, अरुण वोरा और अमितेष शुक्ला खुलकर विरोध जता चुके हैं। राजिम विधानसभा सीट से विधायक और कांग्रेस के दिग्गज नेता अमितेश शुक्ला ने मंत्री ना बनाए जाने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि, मेरा नाम शपथ लेने वाले मंत्रियों में नहीं है। मेरा परिवार नेहरु-गांधी परिवार की तीन पीढिय़ों के साथ जुड़ा रहा है। मैं उनसे हमेशा न्याय की उम्मीद करूंगा। मालूम हो कि छत्तीसगढ़ में कुल 10 मंत्रियों ने शपथ ली है। अब तक यह कयास लगाए जा रहे थे कि नवनिर्वाचित विधायक व पूर्व पंचायत मंत्री अमितेश शुक्ला को दोबारा कांग्रेस की नई सरकार के मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मंत्री ना बनाए जाने से अमितेश शुक्ला के समर्थक भी खासे नाराज हैं। दरअसल, ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि शुक्ला ने राजिम सीट से छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा मतों के अंतर से जीत दर्ज की है। यही नहीं उनके परिवार और राजिम विधानसभा से कांग्रेस की जीत होने पर सालों से यह रिकॉर्ड रहा है कि जो भी यहां से जीत हासिल करता है, उसे कांग्रेस सरकार में मंत्री पद दिया जाता है। इस क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करते स्व. श्यामाचरण शुक्ला तीन बार अविभाजित मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री रहे। इसके चलते यह क्षेत्र ना केवल कांग्रेस का गढ़ माना जाता है बल्कि प्रदेश कांग्रेस की राजनीतिक में अहम स्थान भी रखता है। बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में शुक्ला चुनाव जीतने के बाद से दिल्ली में थे और राहुल गांधी, पीएल पुनिया सहित कई बड़े नेताओं से लगातार मुलाकात भी की थी पर बात नहीं बनी और उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। राजनीतिक जानकारों के अनुसार, छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्रिमंडल की सूची में क्षेत्रीय और जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए फैसले लिए गए हैं। मुख्यमंत्री बनने की रेस में रहे कांग्रेस नेता चरणदास महंत छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष बने हैं। उनके अलावा रविंद्र चौबे, मोहम्मद अकबर, प्रेमसाय सिंह और कवासी लखमा ने मंत्री पद की शपथ ली। इसके अलावा शिव डहरिया कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। वो कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। डहरिया सतनामी समाज के नेता हैं। अनिला भेडिय़ा दूसरी बार विधायक चुनी गई हैं। महिला और आदिवासी वर्ग की शर्त पूरी करती हैं। जयसिंह अग्रवाल लगातार तीन बार कोरबा विधानसभा सीट से विधायक चुनकर आए हैं। जबकि रुद्र गुरू दूसरी बार विधायक बने हैं। अनुसूचित जाति में सतनामी समाज के धर्मगुरू उमेश पटेल लगातार दूसरी बार विधायक बने। बता दें कि सूबे में कांग्रेस के कई नेता मंत्री पद की दौड़ में शामिल थे, लेकिन रविंद्र चौबे, मोहम्मद अकबर, प्रेमसाय सिंह, कवासी लखमा, शिव डहरिया, अनिला भेडिय़ा, जयसिंह अग्रवाल, रुद्र गुरू और उमेश पटेल को मंत्री पद की शपथ दिलाई है। जबकि टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू बतौर मंत्री मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ पहले ही शपथ ले चुके हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 67 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई है। ऐसे में कई कांग्रेसी विधायक मंत्री बनने की कोशिश में जुटे थे, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कैबिनेट का गठन किया है। इनमें जातीय समीकरण का पूरा ध्यान रखा गया है। इसके बावजूद एक जगह अभी खाली रखी गई है। इसके लिए 2019 के फैसले के बाद निर्णय किया जाएगा। हालांकि, इसके लिए विधायकों को लोकसभा चुनावों में अपनी ताकत लगानी होगी, उसके बाद ही वे मंत्री बन सकेंगे। -रायपुर से टीपी सिंह
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