12-Feb-2019 07:56 AM
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छत्तीसगढ़ से शुरु हुई मोदी केयर के नाम से दुनिया भर में प्रचारित प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना आयुष्मान भारत अब छत्तीसगढ़ में ही बंद होने जा रही है। इससे पहले पश्चिम बंगाल ने भी इस योजना को बंद करने की घोषणा की है। दिल्ली, केरल, ओडिशा, पंजाब और तेलंगाना पहले ही इस योजना को लागू करने से इंकार कर चुके हैं। केंद्र की भाजपा सरकार इसे दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना होने का दावा करती रही है। इस योजना के तहत हर साल प्रति परिवार को 5 लाख रुपए के स्वास्थ्य बीमा की बात की गई थी।
पिछले महीने छत्तीसगढ़ में सत्ता में आई कांग्रेस पार्टी की सरकार का आरोप है कि इस योजना से आम जनता को कोई लाभ नहीं मिल रहा है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, इस योजना में 100 से ज्यादा बीमारियों के संदर्भ में, बीमारी के इलाज के लिये एक नया पैसा नहीं है। बीमारी हो जाने के बाद, उसके ऑपरेशन के लिये पैसा है। ये दूषित योजना है। इस योजना के तहत 40 फीसदी रकम का भुगतान राज्य सरकार करती है। सिंहदेव का कहना है कि राज्य अगर आयुष्मान भारत योजना को बंद कर दे तो भी अपने बजट से राज्य सरकार यूनिवर्सल हेल्थकेयर स्कीम के तहत उससे बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने में
सक्षम है।
हालांकि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह इस बदलाव से सहमत नहीं हैं। रमन सिंह कहते हैं, ये देश की सबसे बड़ी योजना है और मैं समझता हूं कि यह दुनिया की सबसे बड़ी योजना है। राज्य सरकार अगर इस योजना को लेकर कोई निर्णय लेती है तो गरीबों के हक में, उनका ध्यान रखकर निर्णय लेना चाहिये। साल 2008 में देशभर में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की गई थी जिसमें गरीब परिवार के लोगों को चिकित्सा सुविधा का लाभ देने का प्रावधान था। इसके बाद साल 2012 में छत्तीसगढ़ सरकार ने मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की। इस योजना में उन लोगों को शामिल किया गया, जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के दायरे से बाहर थे। पिछले साल 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजापुर से प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना आयुष्मान भारत की शुरुआत करते हुये दावा किया था कि इस योजना से इलाज और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी मुश्किलें आसान हो जाएंगी। इस योजना को बीते साल 15 सितंबर को पूरे राज्य में लागू कर दिया गया था।
राज्य सरकार ने दावा किया था कि राज्य के 57.14 लाख परिवारों में से 37.29 लाख परिवारों को इस योजना में शामिल किया गया है। लेकिन राज्य भर के डॉक्टर लगातार इस योजना का विरोध कर रहे थे। पिछले कई महीनों से डॉक्टरों ने इस योजना के तहत इलाज का काम छत्तीसगढ़ में बंद कर रखा था। कई-कई दौर की बातचीत हुई, कई निजी हॉस्पिटल को इस योजना से बाहर किया गया, नर्सिंग होम को चेतावनी दी गई लेकिन बात नहीं बनी।
कांग्रेस पार्टी की चिकित्सा प्रकोष्ठ से जुड़े छत्तीसगढ़ हॉस्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता कहते हैं, आयुष्मान भारत में जिस तरह के सॉफ्टवेयर डाले गये, वह आपत्तिजनक था। मरीज की कई-कई स्थितियों में तस्वीर डालने का प्रावधान अपने आप में मरीज की निजता का उल्लंघन करने वाला था। इसी तरह इलाज पर हुये खर्च की तुलना में लगभग 40 प्रतिशत चिकित्सा पैकेज का प्रावधान था, इसमें गुणवत्ता पूर्वक इलाज संभव ही नहीं था। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का कहना है कि छत्तीसगढ़ की नई सरकार जिस तरीके से यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम को लागू करने की बात कह रही है, वह तो पहले से ही लागू है। वे कहते हैं, यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम पहले से चल रही थी, चलनी चाहिये। लेकिन आयुष्मान भारत योजना में गरीब लोगों को 5 लाख तक के मुफ्त इलाज के प्रावधान से गरीबों को पैसे के लिये भटकना नहीं पड़ता था।
भाजपा सरकार की आयुष्मान भारत योजना का छत्तीसगढ़ में बंद होना अब जबकि तय हो चुका है, तब सबकी नजरें इस बात पर लगी हुई हैं कि कांग्रेस सरकार जो यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम लेकर आने वाली है, उससे छत्तीसगढ़ की सेहत कितनी सुधरेगी।
-रायपुर से टीपी सिंह