फाइलों में मिनी स्मार्ट सिटी
18-Jan-2019 05:58 AM 1234870
केंद्र सरकार ने शहरों का तेजी से विकास करने स्मार्ट सिटी का कॉन्सेप्ट तैयार किया। प्रदेश के सात शहरों को स्मार्ट सिटी योजना के तहत विकसित करने के लिए चिह्नित किया गया है। भारत सरकार की तर्ज पर मध्यप्रदेश सरकार ने मिनी स्मार्ट सिटी योजना लॉन्च की है। पहले चरण में प्रदेश में 1 लाख से ज्यादा आबादी वाले 12 शहरों को मिनी स्मार्ट सिटी चुना जाएगा। इनमें से अमरकंटक, मैहर और ओरछा का चयन पहले ही कर लिया गया है। शेष नौ शहरों को योजना में शामिल होने के लिए स्मार्ट सिटी की तरह प्रतिस्पर्धा पास करना होंगी। मिनी स्मार्ट सिटी के चयन के लिए प्रदेश में 24 नगर निगम और नगर पालिका को आमंत्रित किया गया है, जिसमें भिंड, दतिया और शिवपुरी को भी मौका मिला है। नगरीय निकाय एवं विकास मध्यप्रदेश भोपाल के ईएनसी प्रभाकांत कटारे ने इस संबंध में 22 अप्रैल 2018 को प्रदेश के सभी नगर निगम आयुक्त और नगरपालिका सीएमओ को पत्र भेजकर उन्हें तैयारी के निर्देश दिए हैं। भारत सरकार की तर्ज पर प्रदेश सरकार भी प्रतियोगिता के माध्यम से मिनी स्मार्ट सिटी के लिए शहरों का चयन करेगी। मिनी स्मार्ट सिटी के लिए 25 करोड़ रुपए की रकम दी जाएगी। संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास ने 12 मिनी स्मार्ट सिटी के लिए 300 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। पहले साल में चयनित होने वाले 6 शहरों को 25-25 करोड़ के हिसाब से 150 करोड़ रुपए की राशि दी जाएगी। 150 करोड़ की राशि दूसरे साल में चयनित होने वाले 6 शहरों की नगर निगम या नगरपालिका को दी जाएगी। नगरीय प्रशासन एवं विकास आयुक्त विवेक अग्रवाल ने मध्यप्रदेश मिनी स्मार्ट सिटी की पूरी परिकल्पना और योजना तैयार की है। इसके तहत मिनी स्मार्ट सिटी में चयनित होने वाले शहरों में पर्याप्त जल आपूर्ति, बिजली आपूर्ति की सुनिश्चितता करना। स्वच्छता के उपाय करना। सार्वजनिक परिवहन सेवा यानी बड़े शहरों की तर्ज पर शहर की परिवहन सेवा होगी। गरीबों के लिए किफायती आवास होंगे। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गो की सुरक्षा के पर्याप्त उपाय किए जाएंगे। मिनी स्मार्ट सिटी योजना के तहत एक लाख की आबादी से अधिक के शहरों को शामिल करने की योजना है। जिसमें शुरुआती दौर में 12 शहरों के लिए राज्य सरकार ने योजना लागू की थी। इसमें शर्त थी कि स्मार्ट सिटी में चयनित शहर शामिल नहीं होंगे। प्रतिस्पर्धा के बाद शहरों में काम की प्राथमिकता तय करने के लिए कहा गया था। जिसमें रीवा, कटनी, सिंगरौली, देवास, रतलाम, बुरहानपुर, खंडवा, भिंड, छिंदवाड़ा, गुना, शिवपुरी, विदिशा, छतरपुर, दमोह, मंदसौर, नीमच, पीथमपुर, होशंगाबाद, इटारसी, सीहोर, बैतूल, सिवनी, दतिया व नागदा के बीच प्रतिस्पर्धा करानी थी। मिनी स्मार्ट सिटी के लिए अमरकंटक, मैहर और ओरछा का चयन पहले ही कर लिया गया है। अभी 9 शहरों का नाम और शामिल किया जाना है। अब निर्धारित मापदंडों के अनुरूप प्रतिस्पर्धा होगी और जो खरा उतरेगा उसे विकास के लिए अतिरिक्त राशि दी जाएगी। बीते साल मुख्यमंत्री ने सीधी को भी शामिल करने की घोषणा कर दी थी, उस पर भी कार्रवाई नहीं हुई है। मैहर और अमरकंटक के लिए अधिकारियों की नियुक्ति तो की गई है लेकिन काम अभी नजर नहीं आ रहा है। गौरतलब है कि साल 2016 में केन्द्र की भाजपा सरकार ने देश के शहरों को आधुनिक और साफ-सुथरा बनाने के लिए एक महत्वकांक्षी योजना स्मार्ट सिटी मिशन की शुरूआत की थी। इस योजना के तहत सरकार ने विभिन्न राज्यों से करीब सौ शहरों का चुनाव किया था। सरकार ने इस योजना के तहत चुने गए प्रत्येक शहर के लिए भारी बजट का ऐलान किया था। सरकार ने 3 साल में एक लाख करोड़ रूपए आवंटित किए हैं, लेकिन हाल यह है कि इंदौर-भोपाल जैसे शहरों में विकास कार्यों के लिए फंड का अभाव बना हुआ है। वहीं आधे से अधिक शहर ऐसे हैं जिन्होंने अभी तक अपने फंड का 50 फीसदी भी खर्च नहीं किया है। इसका खुलासा अभी हाल ही में आई एक रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, स्मार्ट सिटी योजना के तहत चुने गए 20 शहरों में से आधे शहरों ने भी आवंटित फंड में से पिछले तीन सालों के दौरान 50 प्रतिशत फंड का भी इस्तेमाल नहीं किया है। - नवीन रघुवंशी
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