01-Jan-2019 10:45 AM
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मप्र ने छठी बार कृषि कर्मण अवार्ड की दावेदारी कर दी है। राज्य सरकार के अफसरों को उम्मीद है कि इस बार भी अवार्ड मिल जाएगा। उधर प्रदेश में रबी की खेती कर रहे किसानों के सामने यूरिया का संकट खड़ा हो गया है। आलम यह है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने केंद्र सरकार से गुहार लगाने के साथ ही राज्य सरकार के अफसरों को फटकार लगाई है कि वे किसानों को समय पर खाद उपलब्ध कराए। जानकारी के अनुसार प्रदेश में हर माह 3 लाख टन यूरिया की जरूरत है, लेकिन दिसंबर में 1.34 लाख टन ही उपलब्ध हो सका। हालांकि केंद्र सरकार से यूरिया की नई खेप लगातार आ रही है।
गौरतलब है कि प्रदेश में नई सरकार ने किसानों का कर्ज तो माफ कर दिया लेकिन किसान फिर भी परेशान है। कहीं उन्हें खाद नहीं मिल रही तो कहीं फसल का बेहद कम दाम मिल रहा है। कहीं खरीद केन्द्र ही बंद पड़े हैं। गेहूं, चना, मसूर सहित अन्य रबी फसलों के लिए मौसम अनुकूल होने की वजह से प्रदेश में एकाएक यूरिया की मांग काफी बढ़ गई है। किसी भी जिलों में मांग के हिसाब से आपूर्ति नहीं हो पा रही है। दिसंबर में तीन लाख
मीट्रिक टन यूरिया की दरकार है, लेकिन अभी तक 1.34 लाख टन यूरिया ही प्रदेश को मिल पाया है।
हालात यह हैं कि होशंगाबाद और रायसेन में किसानों ने चक्काजाम कर विरोध दर्ज कराया। गुना में जाम लगा रहे किसानों को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा तो पिपरिया में लंबी कतार लग रही है। अगले कुछ दिन और स्थिति में सुधार होने की संभावना नहीं है, क्योंकि आवक कम हो रही है। हालांकि, पिछले साल की तुलना में इस बार एक लाख टन ज्यादा यूरिया बिक चुका है। जानकारी के अनुसार विधानसभा चुनाव के समय से यूरिया संकट चला आ रहा है। अक्टूबर में एक लाख टन यूरिया केंद्र सरकार से कम मिला। इसके कारण यूरिया संकट गहरा गया, इसका असर चुनाव पर पड़ सकता था, इसे देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्र सरकार से बात करके आपूर्ति बढ़वा ली।
इसकी वजह से नवंबर में प्रदेश को यूरिया लक्ष्य से ज्यादा मिला। दिसंबर में फिर पुरानी स्थिति बन गई। तीन लाख टन यूरिया की मांग के विरुद्ध अभी तक 1.34 लाख मीट्रिक टन यूरिया ही मिल पाया है। कुल मिलाकर देखा जाए तो 15 दिसंबर तक 4.64 लाख मीट्रिक टन यूरिया मिल चुका है। जबकि पिछले साल इस अवधि में 3.81 लाख यूरिया मिला था।
पिपरिया के किसान स्वदेश ढिमोले ने बताया कि गेहूं की ज्यादातर बोवनी नवंबर में हो गई थी। अभी फसल में सिंचाई चल रही है। इसमें यूरिया का छिड़काव लाभप्रद होता है, लेकिन बीते 15 दिन से खाद की कमी चल रही है। जरूरत 25 बोरी यूरिया की है, लेकिन पांच बोरी से ज्यादा नहीं मिल रहा है। साईंखेड़ा में भी यही हालात हैं। मांग ज्यादा होने से उदयपुरा में भी यूरिया की राशनिंग करना पड़ी है।
कृषि और सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि किसान हायतौबा मचा रहे हैं। जिस किसान को आज यूरिया की जरूरत नहीं है वो भी बोरी लेकर रख रहा है। इसकी वजह से आपूर्ति व्यवस्था गड़बड़ा रही है। रैक पाइंट से दूरदराज क्षेत्रों में यूरिया पहुंचाने में भी समय लग रही है। इस बार रबी फसलों का रकबा भी लगभग तीन लाख हेक्टेयर बढ़ गया है। इसके कारण भी मांग बढ़ी है।
प्रदेश के कई जिलों के कलेक्टरों द्वारा पुलिस अधीक्षक की मदद से संगीनों के साये में यूरिया वितरण कराया जा रहा है। लगभग एक दर्जन जिलों के कलेक्टरों ने पत्र लिखकर सरकार से कहा है कि जल्दी ही यूरिया की व्यवस्था कराई जाए, अन्यथा कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित हो सकती है।
- रजनीकांत पारे