18-Jan-2019 05:56 AM
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इंपोर्टेड जैसी दिखने वाली शानदान पिस्टल महज 15 हजार रुपए में और देशी कट्टा चार से पांच हजार का...। ये रेट हैं उन तस्करों के जो जबलपुर व आसपास के अंचलों में जाकर पिस्टल और कट्टों की बिकवाली और तस्करी करते थे। जबलपुर का नाम देशभर में तब उछला जब सीओडी फैक्ट्री कर्मी द्वारा एके 47 का मामला सामने आया। आतंकी समूहों सहित बिहार, उत्तरप्रदेश के नामी बदमाशों द्वारा हथियार खरीदने की बातें सामने आयी। जिसकी जांच एनआईए द्वारा जारी है। हथियार सौदागरों के जबलपुर से कनेक्शन की बात सामने आते ही सभी जांच एजेंसियों के कान जहां खड़े कर दिए वही जबलपुर पुलिस अभी भी सो रही है।
यूं तो यदा कदा कार्रवाई के नाम पर एकाद हथियार तस्कर पुलिस की गिरफ्त में आ जाता है जिसकी प्रेस कॉन्फेंस कर पुलिस अपनी पीठ थपथपाकर वाहवाही लूटती नजर आती है। जबकि वास्तविक स्थिति यह है कि शहर के बदमाशों तक ये हथियार आज भी बड़ी आसानी उपलब्ध हो रहे है। बेखौफ बदमाश इन हथियारों का उपयोग अपराधिक वारदातों में कर रहे है।
कई मामलों में देखने में आया है कि शहर के अपराधियों के पास देशी कट्टा सहित माउजर और अन्य अत्याधुनिक हथियार बड़ी ही आसानी से मिल जाया करते है। कुछ वर्षो पूर्व नरसिंहपुर क्षेत्र के राकई गांव से पकड़े गए हथियार इसका जीता जागता उदाहरण है जब भारी मात्रा में शहर के अपराधी से पकड़े गए अत्याधुनिक हथियार देखकर पुलिस ने दांतों तले उंगलियां दबा ली थी। हथियार तस्करों पर नकेल कसने में पुलिस की असफलता का कारण बहुत हद तक मुखबिर तंत्र का फेल होना कहा जा सकता है। अभी तक इन मुखबिरों के माध्यम से ऐसी कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी जब कोई बड़ा हथियार तस्कर पुलिस के हत्थें चढ़ा हो। शहर के वांछित लोगों द्वारा जमा किये जा रहे हथियारों से किसी गेंगवार या किसी बड़ी वारदात की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। बड़े स्तर पर सामने आ रही हथियार तस्करी के मामले सामने आने से इस संभावना को और बल मिलता प्रतीत हो रहा है।
पुलिस को इस बात के पुख्ता प्रमाण मिल चुके हैं कि अवैध हथियारों के तस्करों ने जबलपुर को सेंटर पॉइंट बना लिया है। दमोह और खरगोन से हथियारों की खेप चोरी-छिपे जबलपुर पहुंचती है फिर यहां से आसपास के जिलों समेत उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, राजस्थान में सप्लाई की जा रही है। कुछ दिन पूर्व दिल्ली में क्राइम ब्रांच द्वारा पकड़े गए हथियारों के अवैध जखीरे में मध्यप्रदेश से सप्लाई शस्त्र भी मिले थे। पहले मुंगेर से दिल्ली में अवैध हथियार पहुंचते थे, अब यह जगह मध्यप्रदेश ने ले ली है। इस गोरखधंधे में आम्र्स डीलर्स, मैन्युफैक्चरर्स की भूमिका भी संदिग्ध है।
एसटीएफ और जबलपुर पुलिस अवैध हथियारों की तस्करी के बढ़ रहे ग्राफ से हैरान है। अवैध रूप से संचालित फैक्ट्रियों में बनाए गए ये हथियार किसी वैध फैक्ट्री के मापदंडों के अनुरूप ही होते हैं। इन हथियारों में यदि किसी सरकारी फैक्ट्री की मुहर लगा दी जाए तो असली व नकली में पहचान करने में एक्सपर्ट भी धोखा खा जाएं। एसटीएफ और जिला पुलिस ने वर्ष 2018 में कई तस्करों को पकड़कर 300 से ज्यादा रिवॉल्वर, पिस्टल, माउजर, कट्टा, बंदूक और करीब 600 कारतूस जब्त करने में सफलता हासिल की है। सूत्रों की माने तो इससे कहीं ज्यादा तादाद में अवैध हथियार गैंगस्टर्स के हाथों में पहुंच चुके हैं।
-सिद्धार्थ पाण्डे