करंट का झटका
01-Jan-2019 10:46 AM 1234766
दरअसल केंद्र सरकार का इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल-2018 और नई टैरिफ पॉलिसी लागू हुई तो बिजली दरों में मिल रही सब्सिडी तीन साल में चरणबद्ध तरीके से समाप्त हो जाएगी। यही नहीं इसके लागू होने के बाद बिजली सप्लाई व्यवस्था को पूरी तरह से निजी हाथों में सौंप दिया जाएगा। गौरतलब है कि इस मामले में केंद्र सरकार ने राज्यों से आपत्ति और सुझाव मांगे थे। पूर्ववर्ती सरकार इसके समर्थन में अपना मत दे चुकी है। यदि मौजूदा प्रदेश की सरकार भी इसके पक्ष में रही तो बिल संसद में पेश हो जाएगा और वहां से पारित होने के बाद इस पर अमल होना शुरु हो जाएगा। गौरतलब है कि 2003 में प्रदेश में बिजली बोर्ड को भंग करके कंपनीकरण किया गया था। इसका उद्देश्य बिजली क्षेत्र में हो रहे घाटे को रोकना था, लेकिन फिर भी प्रदेश की बिजली कंपनियां 36 हजार करोड़ के घाटे में पहुंच गई हैं। नई पॉलिसी के आर्टिकल 61 (डी) के मुताबिक उपभोक्ताओं से बिजली की पूरी लागत वसूली जाएगी। सरकार किसानों और बीपीएल उपभोक्ताओं को दी जाने वाली सब्सिडी की राशि कंपनी के खाते में देने की बजाय उपभोक्ताओं के खाते में जमा कराएगी लेकिन इसके लिए उन्हें पहले बिल जमा करना होगा, जो कई बार इन उपभोक्ताओं की सीमा के बाहर होगा। मौजूदा स्थिति में उद्योगों और कमर्शियल उपभोक्ताओं के लिए बिजली टैरिफ अधिक होता है और घरेलू व अन्य श्रेणियों के लिए बिजली सस्ती होती है। इस क्रॉस सब्सिडी के जरिए बिजली कंपनी अपनी लागत वसूलती है। इसमें भी सरकार किसानों और बीपीएल उपभोक्ताओं को अतिरिक्त सब्सिडी देती है। नए अधिनियम में सब्सिडी खत्म करने के लिए तीन साल का समय निर्धारित किया गया है। उम्मीद की जा रही थी कि यह बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पारित हो जाएगा, लेकिन इसे टाल दिया गया है। यदि 2019 में यह बिल पास हुआ तो 2022 तक सब्सिडी खत्म हो जाएगी। नए बिल में बिजली डिस्ट्रीब्यूशन के निजीकरण का भी प्रावधान है। इसके बाद एक ही क्षेत्र में कई कंपनियां आ सकेंगी और वे अपनी पसंद के उपभोक्ताओं को बिजली सप्लाई करने को स्वतंत्र होंगी। जिन उपभोक्ताओं को निजी कंपनियां बिजली सप्लाई देने से इनकार कर देंगी, उन्हें सरकारी कंपनियां बिजली सप्लाई करेंगी। सरकार द्वारा किए जा रहे इस बदलाव से कर्मचारी-अधिकारी तो अपने अपको ठगा महसूस कर ही रहे हैं, लेकिन आम लोग भी मुसीबत में आ जाएंगे, क्योंकि उन्हें सरकारी व्यवस्थाओं के बजाय निजी लोगों से भिडऩा पड़ेगा। इसके विरोध में बिजली कंपनी के अधिकारी-कर्मचारी लामबंद हो गए हैं शनिवार को प्रदेश के सभी प्रमुख बिजली मुख्यालयों पर इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल का विरोध किया गया। वर्ष 2003 के पहले विद्युत मंडल बिजली वितरण व्यवस्था देखता था। इसके बाद इसे कंपनी के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। सरकार ने यह कहते हुए उक्त परिवर्तन किया कि इससे बिजली व्यवस्थाओं में सुधार होगा। इस कंपनीकरण का अधिकारी-कर्मचारी विरोध करते आ रहे हैं। अब केन्द्र सरकार इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2018 ला रही है। इससे बिजली कंपनी की अधिकांश व्यवस्थाएं निजी कंपनी के हाथों में चली जाएंगी, वहीं उपभोक्ता का सीधा संबंध कंपनी से न के बराबर होगा। इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2018 में बिजली कंपनी अलग-अलग क्षेत्रों में निजी हाथों में दिए जाने का विद्युतकर्मी विरोध कर रहे हैं। - विकास दुबे
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