ममनून पाक के नए राष्ट्रपति, जरदारी विदेश भागेंगे?
03-Aug-2013 05:41 AM 1234761

पाकिस्तान में भारतीय मूल के आगरा में जन्मे ममनून हुसैन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी का स्थान लेंगे। सितम्बर में जरदारी के पद छोडऩे के साथ ही वे पहले राष्ट्रपति होंगे जो लोकतात्रिक रूप से सत्ता हासिल करेंगे । उधर जरदारी के देश छोडऩे की अटकलें लगाई जा रही हैं। पूर्व प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी ने अपने पद का बलिदान देकर बचा लिया था। आम चुनाव में बुरी तरह पराजित हो चुकी पाकिस्तान की पीपुल्स पार्टी की ताकत देश की  राजनीति में सिमटने के साथ ही जरदारी के सर पर एक बार फिर अदालत की दहलीज पर जाने का खतरा मंडरा रहा है। जरदारी के खिलाफ स्विट्जरलैड में भ्रष्टाचार का एक मामला फिर से खोला जा सकता है उन पर कई अन्य आरोप भी हंै। इसी वर्ष अप्रैल माह में पाकिस्तान के सर्वोंच्च न्यायालय ने तत्कालीन प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी को अवमानना का दोषी करार देते हुए 30 सेकेंड की सजा सुनाई थी क्योंकि उन्होंने जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को दोबारा खोलने के लिए स्विस अधिकारियों को पत्र नहीं लिखा था। बाद में गिलानी को अपने पद से भी हाथ धोना पड़ा। लेकिन इस घटना के बावजूद जरदारी के खिलाफ कोर्ट के रुख में कोई नरमी नहीं आई है। जरदारी का कार्यकाल 8 सितम्बर को समाप्त हो रहा है।
जरदारी के मित्रों ने उन्हें सलाह दी है कि वे अपना कार्यकाल समाप्त होते ही लंबे समय के लिए विदेश चले जाएं क्योंकि उनकी जिंदगी को गम्भीर खतरा है। फिलहाल राष्ट्रपति पद पर रहते हुए उन्हें राष्ट्रपति के तौर पर मिले विशेषाधिकार उपलब्ध होने के कारण कोर्ट उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। लेकिन सितम्बर माह में वे जब राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत होंगे उस वक्त एक आम आदमी की हैसियत से उनके खिलाफ मुकद्दमा चलाया जा सकता है और परवेश मुशर्रफ की तरह उन्हें भी नजर बंद किया जा सकता है। दूसरा खतरा सुरक्षा का भी है फिलहाल राष्ट्रपति के रूप में उन्हें विशेष सुरक्षा मिली हुई है। एक बार पद से हट जाने के बाद कड़ी सुरक्षा नहीं मिलेगी और जरदारी के ऊपर हमले की आंशका भी बढ़ सकती है। जरदारी के मुख्य सुरक्षा अधिकारी सहित कराची में उनके निजी आवास के सुरक्षा अधिकारी की पहले ही हत्या हो चुकी है। 2011 में भुट्टो परिवार से जुड़े एक अन्य व्यक्ति की भी गोली मार कर हत्या कर दी गई थी इन हत्याओं से जरदारी सहमे हुए हंै वे कभी कभार ही जनता के सामने आते हैं। इसीलिए उनके अनिश्चित काल के लिए विदेश जाने की संभावना बढ़ गई है।
इस बीच जरदारी के तरफदारी करने के कारण अपने पद से हाथ धो बैठे पूर्व प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी ने पाकिस्तान की न्यायपालिका पर हमला बोल दिया है उन्होंने परवेज मुर्शरफ द्वारा तकता पलट के दौरान मुशर्रफ का साथ देने वाले न्यायधीशों पर शिकंजा कसने की वकालत की है।
अक्टूबर 1999 में जनरल मुशर्रफ ने नवाज शरीफ की सरकार का तख्तापलट किया था और मई 2000 में सुप्रीम कोर्ट की 12 सदस्यीय पीठ ने इस तख्तापलट को वैध घोषित करने के साथ ही जनरल मुशर्रफ को तीन साल के लिए कार्यकारिणी और विधायी शक्तियां प्रदान की थीं। इस 12 सदस्यीय पीठ में मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी भी शामिल थे। गिलानी से पहले किसी भी राजनेता ने इस घटना का उल्लेख नहीं किया था। गिलानी ने कहा कि अगर नवंबर 2007 में आपातकाल घोषित करने के लिए जनरल मुशर्रफ के खिलाफ संविधान के उल्लंघन का मामला चल सकता है तो जनरल मुशर्रफ द्वारा किए गए तख्तापलट को कानूनी मान्यता देने वालों के खिलाफ भी संविधान के छठे अनुच्छेद के उल्लंघन के आरोप में मुकदमा चलाना चाहिए। शरीफ की पार्टी ने यह घोषणा की है कि देश में 2007 में जनरल मुशर्रफ ने आपातकाल लागू करके संविधान के छठे अनुच्छेद का उल्लंघन किया है और इसी संबंध में उनके खिलाफ मामला चलाया जाएगा।  गिलानी कहते हैं कि अगर ऐसा मामला है तो 1999 में हुए तख्तापलट के लिए जनरल मुशर्रफ और उनके इस काम को कानूनी मान्यता देने वाले लोगों के खिलाफ मुकदमा क्यों नहीं चलाया जाना चाहिए। गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश चौधरी की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने गिलानी की सरकार को अयोग्य घोषित कर दिया था। मुशर्रफ फिलहाल इस्लामाबाद के चक शहजाद में अपने फार्म हाउस में कैदी जीवन बिता रहे हैं। पाक अदालत ने उनके फार्महाउस को ही उपकारावास  घोषित कर दिया है। मुशर्रफ के खिलाफ 2007 में आपातकाल लागू करने के अलावा 2006 में एक सैन्य कार्रवाई के दौरान बलूचिस्तान के नेता अकबर बुगाती की हत्या और 2007 में पूर्व पाक प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या करने का आरोप भी है।
उधर पाकिस्तानी प्रशासन ने एक आतंकवादी नेटवर्क का भंडाफोड़ कर प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को निशाना बनाने की साजिश को विफल करने का दावा किया है। ये आतंकी लाहौर के बाहरी इलाके रायविंद में शरीफ के निवास पर आत्मघाती हमला करने की योजना बना रहे थे । पूर्व प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी के बेटे अली हैदर गिलानी के अपहरण मामले की जांच कर रही पुलिस तथा खुफिया अधिकारियों की संयुक्त जांच टीम ने इस साजिश का पता लगाया। मई में चुनाव प्रचार अभियान के दौरान अली हैदर का अपहरण किया गया था। गिलानी के मामले की जांच करते हुए अधिकारियों ने उत्तरी वजीरिस्तान स्थित एक आतंकवादी गुट का पता लगाया था जो लाहौर में सक्रिय था और रायविंद में शरीफ को उनके आवास पर आत्मघाती हमले के जरिए निशाना बनाने की साजिश रच रहा था। आतंकवादी गुट को भेदने के लिए लाहौर में संयुक्त टीम द्वारा चलाए गए अभियान में टीम को एक अन्य आतंकवादी समूह का पता चला जो तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान के उत्तरी वजीरिस्तान में स्थित कमांडरों मतिउर रहमान तथा मुहम्म्द यासिन उर्फ असलम से जुड़ा था।

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