03-Jan-2019 06:12 AM
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प्रदेश में सत्ता संभालने के साथ ही राज्य के नए नवेले मुख्यमंत्री कमलनाथ अब एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं। पहले राज्य में किसानों की कर्ज माफी और फिर पुलिस के आला अफसरों के साथ बैठक के बाद कमलनाथ ने कई किस्तों में प्रशासनिक फेरबदल किए हैं। उन्होंने करीब ढाई दर्जन से अधिक जिलों के कलेक्टरों को बदल डाला है। तबादले के स्वरूप को देखकर लगता है कि यह चुनावी जमावट है। कहा तो यह जा रहा है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पिछली सरकार के नजदीकी अफसरों पर ही तबादले की गाज गिराई है।
मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक सर्जरी करते हुए 48 आईएएस अधिकारियों का तबादला कर दिया है, जिसमें 26 जिलों के कलेक्टर भी शामिल हैं। 15 कलेक्टरों से जिलों की जिम्मेदारी छीनकर उन्हें मंत्रालय या दूसरे विभाग में भेज दिया गया, जबकि 11 का दूसरे जिलों में तबादला कर दिया गया। सबसे बड़ा चौंकाने वाला फैसला अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार श्रीवास्तव का रहा, श्रीवास्तव वाणिज्यिक कर विभाग का जिम्मा संभाल रहे थे एक दिन पहले उन्हें सांची विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया गया था लेकिन फेरबदल में उन्हें पशुपालन विभाग भेज दिया गया। साथ ही उन्हें पीईबी (प्रोफेशनल्स एग्जामिनेशन बोर्ड) यानी पूर्व के व्यापमं की भी जिम्मेदारी दे दी है।
उधर वर्तमान सरकार ने व्यापमं महाघोटाले की जांच करने का वादा अपने वचन पत्र में किया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ इसको लेकर काफी संवेदनशील दिख रहे हैं। ऐसे में चर्चा यह है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि सरकार मनोज श्रीवास्तव को पीईबी की जिम्मेदारी सौंपकर उन्हें चक्रव्यूह में डाल रही है। क्योंकि अगर व्यापमं घोटाले की जांच होती है तो निश्चित रूप से बड़े-बड़े सफेदपोश और नौकरशाह इसकी गिरफ्त में आएंगे तथा सबके लिए मनोज श्रीवास्तव टारगेट बन जाएंगे। गौरतलब है कि मनोज श्रीवास्तव प्रदेश के नौकरशाहों में सबसे तेज तर्रार और तजुर्बेकार अफसर हैं। हर सरकार उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देते आई है। माना जा रहा है कि जल्द ही श्रीवास्तव को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कई किश्तों में मैदानी प्रशासनिक अमले को बदल तो डाला है, लेकिन जिनको प्रमुख पदों पर बिठाया है क्या वे सरकार के फ्रेम में सही बैठेंगे। हालांकि सरकार मानकर चल रही है कि इस पदस्थापना से लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस को फायदा होगा। लेकिन वह यह नहीं जानती है कि जिन अफसरों को उसने कलेक्टरी सौंपी है वे पिछले 15 साल मलाईदार पदों पर रहे हैं। इनमें से कई अफसर ऐसे रहे हैं जिन्होंने खुलकर कांग्रेसियों का विरोध भी किया है। ऐसे अफसरों को फिर से कलेक्टरी सौंपकर सरकार ने अपने ही लोगों को नाखुश कर दिया है। इससे कांग्रेस में ही असंतोष की लहर देखी जा रही है।
यही नहीं मुख्यमंत्री ने 30 दिसंबर को यह घोषणा की कि अब विकास की घोषणाएं कलेक्टर करेंगे और उन्हें अमलीजामा पहनाने की जिम्मेदारी भी कलेक्टरों पर ही रहेगी इससे अफसरशाही में भी हड़कम्प मचा हुआ है। माना जा रहा है कि सरकार की इस घोषणा के बाद अब अफसर कलेक्टर बनने से भी कतराएंगे। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने अपने हालिया प्रशासनिक फेरबदल में जिन नौकरशाहों को कलेक्टर बनाया है उनमें से कई का विवादों से नाता रहा है। रीवा कलेक्टर प्रीती मैथिल जो चुनाव के वक्त ईवीएम के पास फटकने वाले संदिग्धों को गोली मारने का आदेश देते सुनी गई थीं, उन्हें सागर कलेक्टर बनाया गया है।
प्रदेश में मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद कमलनाथ ने 24 घंटे के भीतर पहली प्रशासनिक सर्जरी करते हुए 2001 बैच के आईएएस अधिकारी रीवा के कमिश्नर महेंशचंद्र चौधरी का तबादला किया। उनकी जगह पर शहडोल संभाग के कमिश्नर जेके जैन को तैनात किया गया है। जानकारी के अनुसार 2014 में महेशचंद्र चौधरी छिंदवाड़ा के कलेक्टर थे, इस दौरान उन्होंने कमलनाथ के शिकारपुर स्थित आवास पर दस्तक दी थी। जिसके बाद उनकी कमलनाथ के समर्थकों से बहस भी हुई थी। वहीं उसी दिन छिंदवाड़ा के एसपी अतुल सिंह का भी कमलनाथ ने स्थानांतरण कर दिया। भोपाल एसपी रेल मनोज राय को छिंदवाड़ा का नया एसपी बनाया गया है। अतुल सिंह की कार्यप्रणाली से कमलनाथ खुद नाराज थे, लिहाजा उनका ट्रांसफर कर दिया गया और भोपाल के एसपी रेल मनोज राय को छिंदवाड़ा का एसपी बनाया गया।
उधर राज्य शासन ने भारतीय पुलिस सेवा के तीन बैच की पदोन्नति के लिए डीपीसी की। इसमें पांच अधिकारियों को एडीजी, छह को आईजी और दो अधिकारी डीआईजी के लिए चुने गए हैं। 2006 बैच के 18 अधिकारियों को सिलेक्शन ग्रेड दिया गया है। इन्हें प्रवर श्रेणी का वेतनमान मिलेगा।
नए प्रशासनिक मुखिया बने सुधि रंजन मोहंती
मध्य प्रदेश के नए मुख्य सचिव 1982 बैच के आईएएस अधिकारी सुधि रंजन मोहंती बनाए गए हैं। लंबे समय से मोहंती के नाम पर चर्चा चल रही थी। पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह 31 दिसंबर को ही रिटायर हो गए हैं। सुधि रंजन मोहंती इससे पहले माध्यमिक शिक्षा मंडल के अध्यक्ष थे। मोहंती आईआईएम अहमदाबाद से पास आउट हैं। वे पहले रिन्यूवल एनर्जी के प्रमुख सचिव भी रह चुके हैं। मोहंती के काम की शैली से वैसे कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों प्रभावित बताए जा रहे हैं। उनकी छवि अफसरों के बीच सख्त और काम को तरजीह देने वाले अधिकारियों में गिनी जाती है। वह सरकार की हर योजना को प्रदेश में लागू करने से लेकर उसके क्रियावान तक बेहद समर्पित रहते हैं। गवर्नेंस में नवाचारों के लिए विश्व बैंक और 19 अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा स्थापित सबसे नवीन परियोजना के लिए ग्लोबल डेवलपमेंट नेटवर्क अवार्ड के विजेता रहे हैं। उन्हें ये पुरस्कार दिसंबर 2000 में मिला था। उन्होंने रोगी कल्याण समिति का खाका तैयार किया था। दुनिया भर से 160 प्रोजोक्ट में से उनका ये कांसेप्ट चुना गया था। जूरी में विश्व बैंक के अध्यक्ष, एडीबी के अध्यक्ष, दो नोबेल पुरस्कार विजेता और छह अन्य प्रमुख विशेषज्ञ शामिल थे।
- ए. राजेन्द्र