03-Jan-2019 06:11 AM
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मप्र में लोगों को सस्ती और सुलभ बिजली उपलब्ध कराने की दिशा में नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग निरंतर प्रयासरत है। इसी दिशा में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गत दिनों छिंदवाड़ा में पुलिस विभाग के भवनों में रूफटॉप सोलर संयंत्र स्थापना के लिए 22 करोड़ 2 लाख रूपए लागत के कार्य का भूमिपूजन किया। छिंदवाड़ा प्रदेश का पहला जिला है जहां विभिन्न विभागों में सोलर ऊर्जा से बिजली उपलब्ध कराने का संयंत्र स्थापित किया जा रहा है। छिंदवाड़ा जिले के विभिन्न कार्यालयों में सोलर रूफटॉप प्रोजेक्ट लगाए जा रहे हैं। यहां आरआई ऑफिस, 270 हॉस्टल बिल्डिंग, आठवीं बटालियन, हॉस्पीटल बिल्डिंग आठवीं बटालियन में सोलर रूफटॉप लगेंगे। इसके अलावा हाईस्कूल, हायर सेंकडरी और हॉस्टल, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, एसडीएम ऑफिस, जिला पंचायत तथा डाइट भवन में सिस्टम लगेंगे।
नवीन व नवकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा पुलिस विभाग के भवनों में रूफटॉप सोलर संयंत्र स्थापित करने रिनूवल इनर्जी सर्विस कंपनीज यानि रेस्को पद्धति अपनाई जा रही है। इसमें पुलिस विभाग के भवनों पर बिना कोई पूंजीगत निवेश किए रूफटॉप सोलर परियोजना स्थापित हो सकेगी और हितग्राही भवन को अत्यंत कम दर पर सौर ऊर्जा प्राप्त होगी। रेस्को के अन्तर्गत आवश्यक निवेश चयनित विकासकर्ता द्वारा किया जाता है। इसमें रूफटॉप पर स्थापित सौर परियोजना से उत्पादित संपूर्ण ऊर्जा का विक्रय संबंधित संस्था को किया जाता है। इस पद्धति से बिजली 7 रुपए यूनिट की जगह ढाई से तीन रुपए प्रति यूनिट पड़ती है।
रेस्को पद्धति अंतर्गत, रूफटॉप सोलर परियोजना लगाने के लिए आवश्यक निवेश चयनित विकासक द्वारा किया जाता है। विकासक, रूफटॉप पर स्थापित सौर परियोजना से उत्पादित सम्पूर्ण ऊर्जा का विक्रय संबंधित संस्था को करता है और उक्तानुसार अपने निवेश की भरपाई करता है। ऊर्जा की विक्रय दर (टेरिफ) ही विकासक के चयन की निविदा में बिडि़ंग पार्टनर है।
मध्यप्रदेश ने अपने अभिनव सोलर रूफटॉप कार्यक्रम में शानदार बिड परिणाम प्राप्त किए हैं। इस कदम ने देश में सोलर रूपटॉप की त्वरित प्रगति के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। सोलर रूफटॉप कार्यक्रम में रेस्को व्यवस्था में नीतिगत, अनुबंध और प्रकिया के स्तर पर कई नवाचार किए गए हैं। इसके अंतर्गत हितग्राही उपभोक्ता उस विद्युत के लिए भुगतान करता है, जो कि चयनित विकासक द्वारा स्थापित सौर संयंत्र से उत्पादित होती है। विकासक संयंत्र की डिजाईन, आपूर्ति व स्थापना की जिम्मेदारी लेता है और 25 वर्षो तक संचालन एवं रख-रखाव करता है।
सम्पादित निविदा में पुलिस विभाग के भवनों के लिए रू. 2.33 की दर प्राप्त हुई हैं। इसके अनुसार पुलिस कार्यालयों में वर्तमान देय विद्युत दर से 1/3 तक की कम दर पर स्वच्छ सौर ऊर्जा प्राप्त हो सकेगी। जिससे प्रदेश के 160 पुलिस संस्थान अब सस्ती बिजली से रोशन होंगे। ऐसा करने से प्रदेश के विभिन्न पुलिस संस्थानों को प्रथम वर्ष में 2.45 पैसे प्रति यूनिट की दर पर सौर ऊर्जा मिलेगी। इस प्रकार सौर ऊर्जा से प्राप्त दर उनकी वर्तमान विद्युत दर 7.40 पैसे प्रति यूनिट की एक तिहाई है। यह दर प्रति वर्ष 3 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी और इस प्रकार 25 साल की प्रोजेक्ट लाईफ के अंत में 5 रूपए प्रति यूनिट हो जायेगी, जो कि उनके द्वारा वर्तमान में विद्युत वितरण कंपनी को दी जा रही दर के आधे से भी कम होगी। रेस्को मॉडल में हितग्राही उपभोक्ता को कोई निवेश नहीं करना होता एवं मौजूदा विद्युत दरों से कहीं कम दरों पर सौर ऊर्जा की सुविधा प्राप्त होती है। यह परियोजना विश्व बैंक और इंटरनेशनल सोलर अलायंस के सहयोग से राज्य में लागू की गई है। भारत सरकार द्वारा मध्यप्रदेश की रेस्को परियोजना की विशिष्टताएं समस्त राज्यों में भेज कर उसे देशभर में लागू करने के निर्देश दिए गए है। इस संबंध में विश्व बैंक दल द्वारा बिहार व आसाम में मध्यप्रदेश मॉडल पर रूफटॉप सोलर परियोजना लगवाने की कार्यवाही प्रारंभ की गई है। अभी हाल ही में नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के दल के एक सदस्य इसी उद्देश्य से इंटरनेशनल सोलर अलायंस के तत्वाधान में 15 दिन के लिए पश्चिम अफ्रीका स्थित देश घाना की यात्रा पर रहे।
- श्याम सिंह सिकरवार