03-Aug-2013 05:37 AM
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जनवरी माह में ही उत्तरप्रदेश के ललितपुर में एक घर के भीतर स्थित मंदिर के सामने बने पक्के फर्श के आंगन को जब एक अधिकारी ने बुल्डोजर से तोड़ दिया था तो विरोध करने वाले हिन्दुओं को यूपी

पुलिस ने न केवल धमकाया बल्कि कुछ युवकों की पिटाई भी कर दी थी। आज उत्तरप्रदेश में एक कर्तव्यनिष्ठ महिला अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने जब ग्रेटर नोएडा में अवैध रूप से सरकारी जमीन पर बनाई जा रही मस्जिद की दीवार को तोडऩे का आदेश दे दिया तो उन्हें निलंबित कर दिया गया। अखिलेश यादव की धर्मनिरपेक्ष सरकार से और उम्मीद भी क्या की जा सकती थी। यदि मस्जिद की दीवार तोडऩे पर निलंबन अनिवार्य तो मंदिर के फर्श को उखाडऩा भी तो उसी दृष्टि से गलत कहा जाएगा।
असल में देखें तो दोनों मामले अतिक्रमण के ही हैं। दोनों मामलों में बिना भेदभाव के अतिक्रमण तोड़ डालना चाहिए। चाहे मंदिर हो या मस्जिद बिना अनुमति के सरकारी जमीन पर बनाई गई है तो उसे टूटना ही चाहिए इसका वोट बैंक या धर्म से क्या ताल्लुक। लेकिन अखिलेश सरकार ने मस्जिद में अतिक्रमण की कार्रवाई करने वाली आईएएस अधिकारी को बिना किसी ठोस कारण के निलंबित कर दिया। सिर्फ इसलिए कि इससे मुसलमान खुश हो जाएंगें और मुलायम सिंह यादव के प्रधानमंत्री बनने की संभावना थोड़ी ओर प्रबल हो जाएगी। अखिलेश सरकार की इसी शह के कारण पूरे उत्तरप्रदेश में मुस्लिम समुदाय ने धर्म स्थलों के नाम पर जो अतिक्रमण किया है उससे कई शहरों की तस्वीर बदनुमा हो गई है। इन्हें देखकर हिन्दुओं ने भी बड़ी तादात में धर्म स्थलों की आड़ में अतिक्रमण कर लिए हैं जिन्हें हटाना भी एक सरदर्द ही है। आलम यह है कि वर्तमान सरकार न तो मंदिर से अतिक्रमण हटा सकती है न मस्जिद से। मस्जिद से तो हटाना और भी कठिन है क्योंकि अखिलेश सरकार ने अघोषित रूप से अधिकारियों को कह रखा है कि वे मुस्लिम समुदाय से जुड़े सभी मसलों पर अतिरिक्त सावधानी बरतें। इस अतिरिक्त सावधानी का अर्थ है वे अतिक्रमण करें, कानून व्यवस्था ध्वस्त करें या कोई भी गड़बड़ी करें तो उसे नजर अंदाज किया जाए। कुछ समय पहले महात्मा बुद्ध की मूर्ति को भी उत्तरप्रदेश में मुस्लिम उपद्रवकारियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया था। वे म्यांमार में मुस्लिमों के ऊपर हुए अत्याचारों का बदला भारत में महात्मा बुद्ध की मूर्ति से ले रहे थे। कोई कार्रवाई नहीं की गई। बल्कि उत्तरप्रदेश सरकार आतंकवादी बताकर गिरफ्तार किए गए मुस्लिम युवकों को छुड़ाने का भरसक प्रयत्न कर रही है, जो कि एक अच्छी पहल भी है किसी भी निर्दोष को बचाना सरकार की जिम्मेदारी है लेकिन हमेशा समुदाय विशेष के निर्दोषों को बचाना और बाकियों सताना अन्याय ही कहा जाएगा। यही कारण है जब आईएएस दुर्गा ने अतिक्रमण पर एक शक्तिशाली कदम उठाया तो अखिलेश सरकार ने उन्हें बिना किसी ठोस कारण के निलंबित कर दिया। इस निलंबन ने सपा को कटघरे में खड़ा कर दिया है। आईएएस एसोसियेशन ने आपात बैठक बुलाकर अखिलेश यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विपक्ष ने भी सरकार के इस कदम की आलोचना की है आईएएस दुर्गा खनन माफिया को भी तंग कर रही थी। खास बात यह है कि अखिलेश सरकार ने खनन माफिया होने का आरोप झेल रही गायत्री प्रजापति को ही खनन मंत्रालय का कार्यभार सौप दिया है उनके खिलाफ अवैध खनन और जमीन अधिग्रहण के कई मामलें चल रहे है।
कौन हैं आईएएस दुर्गा?
2009 बैच की आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल पिछले साल एसडीएम नोएडा सदर बनाई गई थीं। यूपी कैडर की आईएएस अफसर दुर्गा शक्ति नागपाल छत्तीसगढ़ की रहने वाली हैं। उन्होंने आईएएस परीक्षा में बैठने से पहले कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में ग्रैजुएशन भी किया है। 2009 में सिविल सेवा परीक्षा में दुर्गा शक्ति ने देश में 20वीं रैंक हासिल की। नागपाल ने ग्रेटर नोएडा में अवैध रूप से सरकारी जमीन पर बनाई जा रही मस्जिद की दीवार को तोडऩे का आदेश दिया था। दुर्गा के बारे में बताया जाता है कि वह अभी प्रोबेशन पर हैं और बेहद ईमानदार छवि की अधिकारी हैं। अखिलेश यादव ने सांप्रदायिकता का हवाला देते हुए उन्हें सस्पेंड करने का फैसला लेने की बात कही थी। अपनी तैनाती के बाद से ही उन्होंने खनन माफियाओं के खिलाफ जबरदस्त अभियान छेड़ दिया था। हिंडन और यमुना नदी में अवैध खनन करने वालों में कुछ दिनों में ही खौफ का नाम बन गई थीं वो। हाल के महीनों में हरियाणा के अधिकारी अशोक खेमका के बाद वह दूसरी आइएएस अधिकारी हैं, जिनके बारे में सरकार के फैसले के बाद बवाल मचा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा के जमीन सौदों की जांच करवाने पर हरियाणा सरकार ने वरिष्ठ आइएएस खेमका का तबादला किया था। दरअसल नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की स्थापना के बाद जिले में जमीन की कीमत आसमान छूने लगी हैं। इमारतों के निर्माण में प्रतिदिन बड़ी मात्रा में बालू खपती है। इसका फायदा खनन और भू माफिया उठा रहे हैं। ग्राम समाज की जमीन पर अवैध कब्जे कर उन पर कालोनी काटी जा रही है। तालाबों का मिट्टी से भराव कर अवैध मकान बनाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, भू माफिया ने गौचर, श्मशान, कब्रिस्तान व चकरोड की जमीन पर भी अवैध कब्जे कर लिए हैं। दुर्गा शक्ति नागपाल ने एसडीएम का पद संभालते ही अवैध कब्जे हटवाने के लिए अभियान चलाया था। दुर्गा ने दनकौर, अट्टा गुजरान, भट्टा पारसौल, मिर्जापुर, गिरधपुर, सूरजपुर आदि 17 गांवों में अभियान चलाकर करीब 500 एकड़ ग्राम समाज की जमीन मुक्त कराई थी। इसके अलावा एक दर्जन तालाब अवैध कब्जों से मुक्त कराए थे। बालू और मिट्टी का अवैध खनन करने वालों पर दुर्गा शक्ति ने कार्रवाई करते हुए फरवरी से अब तक 274 डंपर, जेसीबी मशीन, ट्रैक्टर ट्राली, पॉपलेन आदि जब्त किए। 22 के खिलाफ थाने में मामला दर्ज कराया। खनन करते हुए दोबारा पकड़े जाने पर 34 लोगों के खिलाफ कोर्ट में मामला भेजा। 54 लाख 30 हजार रुपये का जुर्माना भी खनन माफिया से उन्होंने वसूला।
लखनऊ से मधु आलोक निगम