03-Jan-2019 05:56 AM
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तीन राज्यों की जीत से उत्साहित कांग्रेस का दावा है कि इस बार महाराष्ट्र में भी उसकी ही सरकार बनेगी। इसके लिए विपक्ष वजह गिनाते हुए कहता है कि एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान से ज्यादा खराब स्थिति महाराष्ट्र की है और यहां किसान-युवा पूरी तरह से टूट चुके हैं। विपक्ष का दावा है कि कांग्रेस-एनसीपी और कुछ निर्दलीय जोड़कर उनके पास 85 विधायक हैं। सत्ता की सीढ़ी तक पहुंचने के लिए उन्हें 60 विधायकों की जरूरत है। इतनी सीटें हासिल करने के लिए कांग्रेस रणनीति बनाने में जुट गई है। कांग्रेस-एनसीपी अपनी गलतियों को सुधार कर और फडणवीस सरकार की खामियों को जनता के सामने रखकर सत्ता हासिल करने की रणनीति पर जी-तोड़ मेहनत कर रही है। इन दिनों महाराष्ट्र का एक बड़ा हिस्सा सूखे से जूझ रहा है। इससे फसलों को हुए नुकसान ने किसानों की कमर तोड़ दी है।
कर्जमाफी को लेकर किसानों में कोई उत्साह नहीं है। भले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विपक्ष और किसानों के उग्र होते आंदोलनों के दबाव में कर्जमाफी की घोषणा कर दी हो, लेकिन सचाई यह है कि किसानों को अब तक सही लाभ नहीं मिला है। जमीनी स्तर पर किसान आज भी मायूस हैं। इसी सरकार के कार्यकाल की शुरुआत में अच्छी बारिश हुई और किसानों का उत्पादन भी बढ़ा, लेकिन किसानों को उनके उत्पादन का उचित मूल्य नहीं मिल सका। फिलहाल, राज्य में सूखे के हालात हैं। केंद्र सरकार की टीम ने मुआयना किया, लेकिन किसानों को लाभ नहीं मिला। वहीं, फसलों के बीमा की रकम जमा करने के बाद भी बीमा कंपनियों ने किसानों को लटका दिया। जिन किसानों को बीमा की रकम मिली भी, तो ऊंट के मुंह में जीरा जैसी। किसानों की इन्हीं समस्याओं को विपक्ष जोर-शोर से उठाने की तैयारी में है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि महाराष्ट्र की हालत उन 3 राज्यों से भी बदतर है। यहां की जनता बीजेपी के झूठे वादों, झूठे आंकड़ों से तंग है। आम जनता कांग्रेस की तरफ बड़ी उम्मीद से देख रही है। मोदी का हौवा खत्म हो चुका है। अगली सरकार कांग्रेस की ही बनेगी।
बेरोजगार युवा फडणवीस सरकार से खार खाए बैठा है। वहीं, सरकार अपने आंकड़ों में दावा करते नहीं थकती कि उसने युवकों के लिए रोजगार मुहैया कराया है। सच्चाई तो यह है कि निवेश के मामले में राज्य का बुरा हाल है। मेक इन महाराष्ट्र में सरकार ने खूब तामझाम किया, लेकिन निवेश...? मुख्यमंत्री जो आंकड़े पेश कर रहे हैं, विपक्ष उन पर सवाल उठा रहा है। दरअसल, उद्योग मंत्री सुभाष देसाई से जब निवेश के आंकड़े मांगे जाते हैं, तो वह हाथ खड़े कर देते हैं। ऐसे में सवाल यही उठता है कि राज्य में निवेश आया ही नहीं और जब निवेश नहीं है, तो रोजगार कहां से होगा। उस पर जब सरकार की तरफ से पकौड़े बेचने जैसे बयान दिए जाते हैं, तो पढ़े-लिखे युवाओं की नाराजगी लाजिमी है। विपक्ष युवाओं की नब्ज पकडऩे की कोशिश में लगा है।
तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार की पृष्ठभूमि में महाराष्ट्र में कांग्रेस का मानना है कि वह कृषि संकटÓ और रोजगार में कमी को लेकर लोगों की नाराजगी को अगले साल होने वाले लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ मोड़ सकती है। उत्तर प्रदेश (80) के बाद सबसे ज्यादा 48 सांसद महाराष्ट्र से आते हैं। साथ ही, कांग्रेस नेता इस बात से भी अवगत हैं कि चुनाव में बीजेपी का सामना करने के लिए अपने यहां की चीजों को दुरूस्त करना होगा।
2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया था और उसे मात्र दो सीटें मिली थीं। कांग्रेस और राकांपा का गठबंधन 1999 से 2014 तक तीन बार लगातार राज्य की सत्ता में रहा। लेकिन अक्टूबर, 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में उसे 42 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार कृषि संकटÓ और बेरोजगारी को लेकर लोगों में नाराजगी महाराष्ट्र में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की अपेक्षा ज्यादा गंभीर है। इन तीनों प्रदेशों में बीजेपी को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। इन तीनों राज्यों के विपरीत महाराष्ट्र ऐसा राज्य है, जहां शिवसेना और राकांपा जैसी क्षेत्रीय पार्टियों को अलग-अलग हिस्से में मजबूत माना जाता है। इसके अलावा राज ठाकरे नीत मनसे, नारायण राणे की महाराष्ट्र स्वाभिमान पार्टी, सपा, बसपा, एसएसएस, भाकपा, आरपीआई जैसे दल भी हैं।
महाराष्ट्र कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि पार्टी की भविष्य की रणनीति बीजेपी के सभी उम्मीदवारों को हराने की होगी। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस तथा राकांपा अपने उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने में नाकाम रहते हैं तो रणनीति यह होगी कि प्रभावशाली उम्मीदवार को सीधे या परोक्ष रूप से समर्थन किया जाए। मुंबई के वरिष्ठ कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने कहा कि उनका ध्यान मुंबई पर है, जहां से 36 विधायक आते हैं। अगर हमें महाराष्ट्र जीतना है तो हमें मुंबई में अच्छा प्रदर्शन करना होगा। एक पार्टी के रूप में हमें सबको साथ लाना होगा।
-बिन्दु माथुर