18-Jan-2019 06:10 AM
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केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा सिंचाई साधनों को बढ़ाने के लिए नाले, तालाब, छोटी-बड़ी नदियों सहित पहाड़ों पर स्टाप डैमों का निर्माण किया गया। यह स्टाप डैम करोड़ों रुपए की लागत से किसानों को सुविधाएं देने के लिए बनाए गए। लेकिन इन स्टाप डैमों में आज तक बारिश का पानी नहीं रूक पाया है। जिसके कारण आज भी किसानों को सिंचाई सुविधा से वंचित होना पड़ रहा है।
प्रदेश सरकार और संभाग स्तरों के आदेशों पर जिला, जनपदों पर बारिश का पानी संग्रह के लिए विभाग के अधिकारी, कर्मचारी और जनप्रतिनिधियों सहित समाजसेवी संस्थाओं की मॉनिटरिंग में स्टाप डैमों का निर्माण वर्षो से किया जा रहा है, लेकिन यह योजनाएं किसानों के पूरे समय काम नहीं आ रही है। बारिश समापन के बाद भी यह योजना धरातल पर सूखी ही दिखाई दे रही है। कई स्टाप डैमों के फाटक टूटे पड़े, तो कई स्टाप डैम निर्माण होते ही ध्वस्त हो गए। तो कई स्टाप डैमों का बारिश के दौरान नामो निशान मिट गया। गुणवत्ताहीन तरीके से निर्माण किए गए स्टाप डैमों की शिकायतें ग्रामीणों द्वारा की गई। मामले को लेकर विभाग द्वारा जांच की गई। लेकिन विभाग के जिम्मेदारों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
टीकमगढ़ जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी रोकने और किसानों की सिंचाई सुविधाएं बढ़ाने के लिए वन विभाग, कृषि विभाग के साथ जिला पंचायत, जनपद पंचायत, आरईएस द्वारा रोजगार गारंटी, बुंदेलखण्ड पैकेज, वाटर सेट योजना, चैकडैम, स्टाप डैम और तालाबों के नवीन निर्माण और मरम्मत की गई। लेकिन मामले की जांच की जाए तो धरातल पर सफल कम और फेल की संख्या लम्बी दिखाई देगी।
जल संरक्षण को लेकर जिला पंचायत, आरईएस, जलसंसाधन सहित अन्य विभागों में कलेक्टर द्वारा कई बार बारिश के पहले बैठकें आयोजित की गई। जिम्मेदारों द्वारा जल संरक्षण करने के लिए टीम गठित की गई। टीम द्वारा जिले के सभी जनपद क्षेत्रों के स्टाफ डैमों में जल संग्रह करनेे के लिए मॉनिटरिंग की गई। लेकिन अभी तक स्टाफ डैमों में जल संग्रह नहीं हो पाया।
जिला करीब 10 वर्षो से सूखे की मार झेल रहा था। जिसके कारण किसान खेती को पूर्ण तरीके से नहीं कर पा रहा था। इस वर्ष जिले में 1134.0 मिमी वर्षा आंकडे से अधिक हो चुकी है। इसके बाद भी जिला प्रशासन बारिश का पानी संग्रह नहीं कर पाया है। तालाब, नाले, नदियों के स्टाप डैम खाली दिखाई दे रहे है। जिसके कारण किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट दिखने लगी है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश का पानी संग्रह रोकने के लिए पहाड़ी क्षेत्रों में वाटर सेट, ग्रामीण यांत्रिकी विभाग, रोजगार गारंटी और बुंदेलखण्ड पैकेज के साथ अन्य योजनाओं के तहत स्टाप डैम निर्माण किए गए। निर्माण के दौरान एजेंसियों द्वारा न तो स्टाप डैमों में फाटक लगाए और न ही तालाबों के किनारों को मजबूत किया गया। यह निर्माण पहली और दूसरी बारिश में क्षतिग्रस्त हो गए। जिसके कारण आज तक उन स्थानों पर जल जलसंग्रहण नहीं हो सका।
पहाड़ी क्षेत्रों को हरा भरा करने के लिए वाटर सेट विभाग द्वारा करोड़ों की लागत से जलसंग्रहण के उद्देश्य से चैक डैम बने थे। लेकिन खुले छोड़ देने के कारण जल संग्रह नहीं हो रहा है। जल संरक्षण के प्रतीक स्टापडैम, चैक डैम और तालाब सरकार की नाकामयाबी की पोल खोलते नजर आ रहे हैं। बंद पड़े स्टापडैमों पर न ही प्रशासन की नजर है और न ही उनका निर्माण करने वाली एजेंसियों का।
-अक्स ब्यूरो