22-Dec-2018 11:07 AM
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हाल ही में अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में संपन्न दो-दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन कई मायनों में सार्थक रहा। इस शिखर सम्मेलन में संरक्षणवादी प्रवृत्ति से बचने, अंतरराष्ट्रीय व्यापार को सरल बनाने, आर्थिक अपराधों की अंतरराष्ट्रीय रोकथाम तथा उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों की चिंताओं को कम करने के मद्देनजर एकमत से सकारात्मक निर्णय लिए गए। इस सम्मेलन का सबसे उज्ज्वल पक्ष यह रहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सहित जी-20 के सभी राष्ट्र प्रमुख विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में सुधार के लिए सहमत हो गए। इसी के साथ अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर के थमने की उम्मीद बढ़ गई है। अमेरिका और चीन ने एक जनवरी के बाद नए शुल्क नहीं लगाने पर सहमति जताई है।
इसमें कोई दोमत नहीं कि जी-20 ब्यूनस आयर्स शिखर सम्मेलन अब तक का सबसे सफल शिखर सम्मेलन रहा है। गौरतलब है कि जी-20 का गठन वर्ष 1999 में हुआ था। इस संगठन का लक्ष्य दुनिया के विकसित और विकासशील देशों को एक मंच पर लाना और आर्थिक मुद्दों पर एक राय बनाने की कोशिश करना है। जी-20 दुनिया के सकल वैश्विक उत्पाद (जीडब्ल्यूपी) का 85 फीसदी, विश्व व्यापार का 80 फीसदी और दुनिया की कुल जनसंख्या का 75 फीसदी हिस्सा रखने वाला संगठन है। इस संगठन को शुरुआती कई वर्षों तक प्रभावशाली देशों के निष्क्रिय संगठन के रूप में ही जाना जाता रहा। लेकिन वर्ष 2008 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में छाई मंदी के बाद जी-20 एकाएक उठ खड़ा हुआ। उस समय दुनिया के शक्तिशाली देशों का संगठन जी-7 वैश्विक आर्थिक मंदी का मुकाबला करने में सक्षम नहीं दिखाई दिया था। ऐसे में दुनिया को वैश्विक मंदी से उबारने में जी-20 की अहम भूमिका समझी गई। अब 2008 के एक दशक बाद 2018 में जी-20 संगठन एक बार फिर वैश्विक अर्थव्यवस्था को सुचारू बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता नजर आ रहा है।
बहरहाल, जी-20 का हालिया सम्मेलन भारत के लिहाज से भी काफी सार्थक रहा। इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे भगोड़े आर्थिक अपराधियों से संयुक्त रूप से निपटने के लिए जी-20 के सदस्य देशों के बीच मजबूत एवं सक्रिय सहयोग के आह्वान के साथ फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के गठन का जो नौ-सूत्री एजेंडा पेश किया, उसे एकमत से स्वीकार किया गया। यह एजेंडा भारत के घरेलू कारकों से भी प्रेरित था। देशभर में पिछले एक वर्ष में बैंकों से धोखाधड़ी कर विदेश भागने वाले आर्थिक अपराधियों के कारण मोदी सरकार के खिलाफ आलोचना का माहौल
बना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मेलन से इतर जी-20 के सदस्य देशों के साथ भारत के आर्थिक व सामरिक संबंधों को और मजबूत करने की डगर पर आगे बढ़े। इस सम्मेलन के दौरान एक बार फिर से भारत का गुटनिरपेक्ष चेहरा दुनिया ने देखा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली त्रिपक्षीय बैठक की। रणनीतिक महत्व के हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती दादागीरी के मद्देनजर यह बैठक काफी मायने रखती है। इस बैठक से तीनों देशों के बीच आर्थिक-कारोबारी संबंध बढ़ाने का परिदृश्य भी उभरकर सामने आया। भारत सबसे ज्यादा निर्यात अमेरिका को करता है। जाहिर है, अमेरिका को भारत की जरूरत है और भारत को भी अपने आर्थिक उद्देश्यों के लिए अमेरिका की जरूरत है। इसी तरह हाल के वर्षों में जापान के साथ भी आर्थिक रिश्ते मजबूत हुए हैं। जापान सरकार हमारे देश की कई प्रमुख बुनियादी परियोजनाओं के लिए बड़ी मात्रा में धन प्रदान कर रही है।
इसके साथ-साथ इस सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक भी काफी अहम रही। यह अच्छी बात है कि चीन और रूस के साथ भारत के संबंधों की एक नई धुरी बन रही है। चीन और भारत के बीच आपसी व्यापार को 2020 तक 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य है। चीन का कहना है कि पश्चिमी देशों के बढ़ते संरक्षणवादी रवैये को देखते हुए भारत और चीन को आपसी सहयोग बढ़ाना चाहिए।
- माया राठी