22-Dec-2018 11:00 AM
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हरी सब्जियों का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। पोषकता से भरपूर होने के कारण ये हमारे आहार का अनिवार्य हिस्सा हैं। इसीलिए गो ग्रीनÓ इस वक्त सबसे ज्यादा प्रचलन में भी है। लेकिन आजकल मंडी से लेकर सड़क किनारे तक जो हरी भरी, चमकती-दमकती सब्जियां बड़े चाव से हम खरीदते और खाते हैं, उनमें ज्यादातर सब्जियां मिलावट के कारण स्वादहीन और गुणहीन तो होती ही हैं, साथ जहरीली भी होती हैं। हम में से हर कोई जाने-अनजाने हर दिन बाजार से कीटनाशकों के छिड़काव वाली सब्जियां और फल खरीद रहे हैं।
आजकल कम समय में ज्यादा उपज और कमाई के लालच में मुनाफाखोर और मिलावटखोर सब्जियों की कुदरती उपज को कीटनाशक व अन्य घातक रसायनों व दवाइयों के प्रयोग से जहरीला बनाने से भी नहीं चूक रहे हैं। विभिन्न प्रकार के कीटनाशक, धातुओं और रसायनों का उपयोग इस स्वस्थ आहार को धीमा जहरÓ बना रहे हैं। पत्तेदार सब्जियों के पत्ते कीटनाशक और धातुओं को अवशोषित कर लेते हैं जो खाने के साथ पेट में चले जाते हैं। सामान्यतया धोने से कीटनाशक निकल जाते हैं, लेकिन ज्यादा मात्रा में प्रयोग होने से ये स्थायी हो जाते हैं। जागरूकता के अभाव में और प्रशासनिक लापरवाही, दोनों ही कारणों से किसान सब्जियों को कीट पतंगों से बचाने, खरपतवार मिटाने और अधिक से अधिक पैदावार के लालच में प्रतिबंधित कीटनाशक, दवाइयों और अन्य कई रसायनों का भारी तादाद में प्रयोग करते हैं। इनमें डायल्ड्रिन, डीडीआई, डाइऑक्सीन, आर्सेनिक, ऑक्सीटोसिन आदि प्रमुख हैं। ये सभी तत्व मानव स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद खतरनाक होते हैं। हालांकि सीवर और गंदे नालों में सब्जियां उगाना पूर्णतया प्रतिबंधित है, फिर भी निगरानी की कमी के कारण ऐसा धड़ल्ले से हो रहा है। कई सब्जियां शहर के किनारे फैक्ट्रियों से निकले रसायन युक्त पानी के गंदे नालों में उगाई जा रही हैं। साथ ही साथ जो खेतों में ट्यूबवेल के पानी से सिंचित सब्जियां होती हैं, उनको भी तोड़ कर गंदे नालो में ही धोया जाता है।
मप्र की राजधानी भोपाल और इससे सटे सीहोर, होशंगाबाद, रायसेन तक में जहरीली सब्जियां धड़ल्ले से बिक रही हैं। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब प्रदेश की राजधानी में ऐसा हो रहा है तो शहरों में इन पर रोक लगाने वाला कौन है? भोपाल में तो नालों के आसपास की मिट्टी भी खेती के लिहाज से खराब हो चुकी है। कारखानों से निकलने वाले रासायनिक पानी को सोखने से जमीन ही जहरीली हो गई है। इन सबके अलावा सब्जियों को ताजा रखने और गहरा हरा रंग दिखाने के लिए उन्हें हरे रंग में डुबोया जाता है जो रसायनों से बना होता है। भिंडी, गोभी, टमाटर, मटर, लौकी, खीरा आदि को ताजा रखने के लिए रसायनयुक्त पानी में भिगो कर रखा जाता है। जब सब्जियां कृत्रिम रूप से चमकदार हो जाती हैं तो महंगी भी बिकती हैं।
सब्जियों और फलों को जल्द पकाने के लिए इस्तेमाल उपयोगी कैल्शियम कारबाइड भी बाजार में उपलब्ध है। मिलावट के पीछे आमदनी के लालच के आलावा जो प्रमुख कारण है वह खेती योग्य भूमि की कमी और बढ़ती जनसंख्या की मांग की पूर्ति करना है। ऐसी सब्जियों के सेवन से मुंह के घातक रोग, पेट संबंधी बीमारियां, डायरिया, फेफड़ों और आंतों में संक्रमण, एलर्जी, तंत्रिका तंत्र संबंधी रोग और कैंसर जैसी बीमारियां तक हो जाती हैं। घातक रसायनों में क्रोमियम तत्व की मौजूदगी से चर्म, श्वास, प्रतिरोधी क्षमता का नष्ट होना, आंखों की बीमारियां, लीवर संबंधी रोग और उच्च रक्तचाप जैसे खतरे तेजी से बढ़ जाते हैं।
- रजनीकांत पारे