22-Dec-2018 09:56 AM
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अगुस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर डील में कथित घोटाले के बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को भारत लाने में सफलता मिली है। फिलहाल मिशेल से सीबीआई पूछताछ चल रही है। मिशेल को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया जाएगा और ईडी दोनों अदालत से मिशेल से हिरासत में पूछताछ की मांग करेंगे। ऐसी उम्मीद है कि मिशेल इस मामले में भारतीय राजनीतिकों के नामों का खुलासा कर सकता है, जिससे वह अभी तक इनकार करता रहा है।
मिशेल के भारत आते ही एक बड़े राजनीतिक तूफान का स्टेज सेट हो चुका है। बीजेपी ने इसे बड़ी कूटनीतिक जीत बताते हुए कहा है कि कांग्रेस और उसकी फस्र्ट फैमिली गांधी परिवार के लिए मुसीबत बढऩे वाली है। बता दें कि प्रत्यर्पण के खिलाफ मिशेल की अपील के खारिज होने के बाद दुबई की जस्टिस मिनिस्ट्री ने उसके प्रत्यर्पण के लिए ऑर्डर जारी किया था। प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार के प्रतिनिधि पिछले कुछ दिनों से दुबई में थे।
आपको बता दें कि यूपीए शासनकाल में 12 वीवीआईपी चॉपर की सप्लाई में कथित घोटाला हुआ था। पिछले कुछ दिनों से मोदी सरकार को राफेल डील पर कांग्रेस के आक्रामक हमलों का सामना करना पड़ रहा है। अब जबकि 2019 के चुनाव नजदीक हैं तो ऐसा माना जा रहा है कि मोदी सरकार और बीजेपी अगुस्टा वेस्टलैंड डील को लेकर कांग्रेस पर पलटवार करेगी। जांच एजेंसियों को उम्मीद है कि मिशेल उन नेताओं और नौकरशाहों के नामों का खुलासा कर सकता है जिन्हें कथित तौर पर रिश्वत दी गई थी। हालांकि अभी बड़ा सवाल यही है कि मिशेल इस बारे में कितनी जानकारी देगा और नेताओं के नाम लेगा या नहीं। भारत में अपने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए मिशेल ने दुबई की अदालत में दलील दी थी कि भारत में उसके साथ अमानवीय व्यवहारÓ हो सकता है और राजनीतिक हस्तियों से संबंध स्वीकारने के लिएÓ दबाव डाला जा सकता है। हालांकि कोर्ट ने उसकी अपील खारिज कर दी थी।
अब तक इस केस में जिस तरह से चीजें आगे बढ़ी हैं, मसलन जबसे संभावित रिश्वतखोरी के बारे में खुलासा किया गया, इटली कोर्ट के फैसले, 2013 और 2014 के शुरू में तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा डर के परिणाम स्वरूप इस पूरे मामले को लेकर दिखाई गई प्रतिक्रिया और दुबई की एक कोर्ट की तरफ से क्रिश्चियन मिशेल के प्रत्यर्पण की इजाजत दिया जाना और इस शख्स का दिल्ली पहुंचना जैसे घटनाक्रमों से स्थापित हो चुका है कि पहली नजर में यह रिश्वतखोरी का साफ मामला नजर आता है। दिल्ली की एक अदालत ने हिरासत में पूछताछ के मकसद से मिशेल को सीबीआई की पांच दिनों की रिमांड में भेज दिया है। अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील में रिश्वत देने वाले के बारे में अब पता चल चुका है। जांच एजेंसियों को इस पूरे मामले में रिश्वत लेने वालों के नाम के बारे में ठोस प्रमाण इक_ा करने होंगे और इसे कानून की अदालत में साबित करना होगा।
इस केस की बोफोर्स मामले से काफी समानताएं हैं, जहां कानून की अदालत में गांधी परिवार के खिलाफ कुछ साबित नहीं हो सका, लेकिन इसमें गांधी परिवार के करीबी लोगों को पैसे दिए जाने से संबंधित लोगों की अवधारणा अब भी लोगों के जेहन में जिंदा है।
अगस्ता वेस्टलैंड डील में भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद से संबंधित इन घटनाक्रमों से जुड़े इन तथ्यों पर जरा गौर कीजिए- मार्च 2013 में तत्कालीन रक्षा मंत्री ए.के एंटनी ने स्वीकार किया था कि वीवीआईटी हेलिकॉप्टर डील को अगस्ता वेस्टलैंड के पक्ष में झुकाने के लिए रिश्वत दी गई। सीबीआई को इस पूरे मामले की जांच करने को कहा गया। इस पूरे मामले पर पैदा हुए बवाल को लेकर दबाव में आई तत्कालीन यूपीए सरकार ने साल के आखिर तक 12 हेलिकॉप्टरों की सप्लाई करने से संबंधित 3,600 करोड़ की डील रद्द कर दी। इसमें एयर फोर्स के पूर्व प्रमुख एस पी त्यागी एक अभियुक्त थे। हालांकि, इस डील में गड़बडिय़ों के आरोपों से संबंधित प्रमुख सवाल का जवाब नहीं मिल पाया- क्या त्यागी खुद से अगस्ता वेस्टलैंड के पक्ष में समझौते को झुकाने में सक्षम थे या वह यूपीए सरकार में शीर्ष नेतृत्व से संबंधित किसी शख्स के आदेश पर या इस तरह के किसी नेतृत्व के साथ मिलकर इस दिशा में काम कर रहे थे।
डायरी के मुताबिक पैसे एपीÓ और परिवारÓ को ट्रांसफर किए गए
डायरी में दर्ज जानकारी के मुताबिक, पैसे ट्रांसफर किए गए। इसके अलावा नौकरशाही और त्यागी को पैसे का भुगतान भी किया गया। डायरी की जानकारी के तहत पैसे का भुगतान एपी और परिवार को भी किया गया। हालांकि, अब तक किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं है कि क्या परिवार का मतलब गांधी परिवार से है और क्या एपी से मतलब सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल से है। जाहिर है कि इस तरह की एंट्री का संबंध किसी एक्सवाईजेड परिवार से हो सकता है और इसी तरह से एपी का मतलब इस अक्षर से नाम वाला कोई अन्य शख्स भी हो सकता है। हालांकि, यह आशंका (बोफोर्स मामले की तरह) कि कांग्रेस नेताओं की इस पूरे मामले में भूमिका हो सकती है, देश की सबसे पुरानी और प्रमुख विपक्षी पार्टी के लिए नुकसानहेद साबित हो रही है। इससे संबंधित मामले में अप्रैल 2016 में मिलान की अपीलीय अदालत ने 225 पेज में अपना फैसला दिया, जिसमें एक जगह पर सोनिया गांधी को मुख्य संचालन शक्ति के तौर पर बताया गया। यह कांग्रेस के लिए काफी असहज करने वाली बात थी। दरअसल, इस कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को पलट दिया था और फिनमेक्कानिका के पूर्व प्रमुख जी ओर्सी को साढ़े चार साल जेल की सजा सुनाई थी।
-अक्स ब्यूरो