22-Dec-2018 09:54 AM
1234805
विधानसभा के नतीजे आते ही भाजपा ने अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियां मिशन 19 के रूप में शुरू कर दी हैं।
प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें हैं। अविभाजित मध्यप्रदेश में लोकसभा की 40 सीटें हुआ करती थी, लेकिन छत्तीसगढ़ अलग राज्य बन जाने के बाद 11 लोकसभा की सीटें उनके पास चली गई अब प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें शेष हैं। विधानसभा चुनाव आने के पहले ही लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने मिशन 19 के तहत तैयारियां शुरू कर दी हैं। जिसके तहत हर लोकसभा सीट पर एक प्रभारी तैनात होगा और प्रदेश में सरकार बनी तो हर लोकसभा सीट पर एक मंत्री को चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। भाजपा के लिए इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया की शिवपुरी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की छिंदवाड़ा और आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया रतलाम-झाबुआ सीट विशेष टारगेट पर हैं। भाजपा इन तीनों सीटों पर हर हाल में फतह हासिल करना चाहती है। इन सीटों पर कांग्रेस की घेराबंदी कर भाजपा पार्टी के सारे दिग्गज नेताओं को उनके इलाकों में ही बांधकर रखना चाहती है, ताकि वे अपने इलाकों से बाहर न निकल सकें।
उल्लेखनीय है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश संगठन को इस बार लोकसभा की सभी 29 सीटेें जीतने का लक्ष्य दिया है। इसको देखते हुए प्रदेश संगठन इस दिशा में कार्य करने में जुट गया है। इसको लेकर प्रदेश संगठन ने हर स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है। 11 दिसंबर को मतगणना के बाद प्रदेश संगठन कांगे्रस के कब्जे वाली तीनों सीटों पर सक्रियता बढ़ा देगा। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा का फोकस लोकसभा चुनाव पर है। पार्टी हाईकमान ने नेताओं से लोकसभा चुनावी तैयारियों को लेकर अपना प्लान तैयार कर भेजने का कहा है। हाईकमान ने मिशन 2019 के लिए मंत्रियों, विधायक और सांसदों से राय मांगी है। पार्टी हाईकमान का आदेश है कि सांसद, मंत्री, विधायक हर दिन करीब 10 किमी की पैदल यात्रा करे और मोदी सरकार की योजनाओं को जनता के बीच पहुंचाए।
भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि फाइनल में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है। मई में मोदी सरकार का कार्यकाल खत्म हो रहा है। ऐसे में भाजपा नेताओं को उम्मीद है कि विधानसभा चुनावों के नतीजे अच्छे रहेंगे, लेकिन यदि उनमें कोई कमी रह भी जाती है तो पार्टी उससे विचलित नहीं होगी। इसके लिए पार्टी 26 जनवरी तक करीब दस बड़े कार्यक्रमों का आयोजन करेगी। इससे नेता सीधे जनता से रुबरु होंगे। इनमें से कुछ कार्यक्रम केन्द्रीय नेतृत्व में तैयार किए गए है तो कुछ राज्य स्तर पर।
इन कार्यक्रमों में मतदाता सूची परीक्षण, टोली यात्रा, अभिनंदन समारोह, पुनरीक्षण, बाइक रैली, संपर्क अभियान और पदयात्रा शामिल है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से भाजपा का उद्देश्य लोगों को बूथ स्तर तक जोडऩा है। कार्यकर्ताओं को विधानसभा चुनाव से ज्यादा सतर्क रहने को कहा गया है। जल्द ही सर्वे कराने की बात हो रही है। दिल्ली को लगातार रिपोर्ट भेजी जा रही है। कांग्रेस इस मामले में अभी थोड़ा पीछे जरूर है पर लोकसभा की तैयारी को लेकर सतर्क भी दिख रही है। विधानसभा चुनाव के दौरान जो माहौल बना है उसे दोनों दल लोकसभा चुनावों तक बनाए रखना चाहते हैं। कार्यकर्ताओं को एकजुट रखकर लगातार फील्ड में सक्रिय रहने के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं।
सेमीफाइनल के बाद फाइनल
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को लोकसभा का सेमीफाइनल कहा जा रहा है। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि इसके बाद कोई और चुनाव नहीं है। अब सीधे लोकसभा चुनाव होंगे। इन चुनावों को सेमीफाइनल मानकर ही प्रचार के दौरान दोनों बड़े दलों के नेताओं ने राष्ट्रीय मुद्दों को हवा भी दी। कई बड़े नेताओं ने खुद मैदान में उतरकर मोर्चा संभाला और अपनी पैठ जमाई। भाजपा नेता गांधी परिवार पर हमलावर रहे तो कांग्रेस नोटबंदी, राफेल और जीएसटी, कर्जमाफी जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरती रही। अब परिणाम आने के बाद भाजपा मिशन 2019 में जुट गई है।
- अजय धीर