रूला रही प्याज
22-Dec-2018 07:31 AM 1234816
एक बार फिर से प्याज और किसान सुर्खियों में हैं। प्याज के गिरते भाव से किसान बर्बादी की कगार पर है। मंडी में किसान लुट रहा है लेकिन बाजार में उपभोक्ता को कोई राहत नहीं है। चांदी काट रहे हैं व्यापारी और बिचौलिए। जब तक नयी सरकार नहीं बन जाती तब तक बर्बादी का ये दौर जारी रहेगा। किसानों के मुताबिक भाड़ा, ढ़ुलाई और भराई मिलाकर गिरी से गिरी हालत में प्याज की लागत करीब 6 रुपए किलो आती है। लेकिन मंडी में प्याज 50 पैसे से लेकर 1 रुपए तक में बिक रहा है। इसकी वजह है कि प्याज की बंपर क्रॉप हुई है। और मंडी में व्यापारियों की दादागिरी है। वो सब मिलकर जो भाव तय कर देते हैं प्याज उसी दर पर बिकता है। अब प्याज कहीं 50 पैसे प्रति किलो तो कहीं 1.25 रुपए प्रति किलो के भाव पर बिक रहा है। नई प्याज जरूर 5 रुपए किलो पर बिक रही है, लेकिन वो भी लागत और ढुलाई से कम भाव है। इसलिए किसान यहां भी नुकसान में हैं। परेशान किसान अब ढुलाई का खर्च भी अपनी जेब से दे रहा है। इसलिए मजबूरी में वो अपने खून-पसीने से तैयार उपज को ढोर-डंगर को खिलाना ज्यादा पसंद कर रहा है। व्यापारियों की मनमानी इतनी ज्यादा है कि वो किसान से तो 50 पैसे और 1 रुपए में प्याज खरीद रहा है लेकिन बाजार में उपभोक्ता को वही प्याज 10 से 15 रुपए प्रति किलो में बेच रहा है। इस मार्जिन का लाभ किसानों और बिचौलियों को मिल रहा है। व्यापारियों का कहना है पूरा खेल डिमांड और सप्लाई का है। मंडी में आवक ज्यादा होने पर फसल का दाम अपने आप गिर जाता है। व्यापारी रेट जान बूझकर नहीं गिराता। अब आवक ज्यादा है तो व्यापारी क्या करे। सरकार को रास्ता निकालना चाहिए। प्रदेश की सबसे बड़ी सीमांत मंडी नीमच में प्याज 50 पैसे और लहसुन 2 रुपए किलो बिकी। इसके चलते किसान या तो अपनी फसल वापस ले जा रहे हैं या फिर मंडी में छोड़कर जा रहे हैं। इन किसानों का कहना है कि इस भाव में बेचने से अच्छा है कि वे मवेशियों को खिलाएंगे। नीमच जिले के गांव केलूखेड़ा से इंदरमल पाटीदार 15 क्विंटल प्याज लेकर नीमच मंडी आए थे। सोचा था कि प्याज बेचकर कुछ जरूरी सामान खरीदेंगे लेकिन जब मंडी पहुंचे तो पता चला कि प्याज का भाव तो मात्र 50 पैसे किलो रह गया है। प्याज किसान पाटीदार ने कहा कि मैं यह प्याज वापस अपने गांव ले जा रहा हूं और वहां मवेशियों को खिलाऊंगा। पाटीदार उन्नत किसान हैं और उनके पास अपना ट्रैक्टर भी है जिससे वो प्याज नीमच मंडी में लाए। पड़ोसी राज्य राजस्थान के मरजीवी से आए किसान महेश कुमार कहते हैं कि हम प्याज लेकर नीमच आ तो गए लेकिन अब भाव नहीं मिल रहे, ऐसे में यह प्याज यहीं छोड़कर जा रहे हैं, क्योंकि ले जाने का भाड़ा कौन भुगतेगा? यदि लहसुन की बात करें, तो प्रदेश की सबसे बड़ी लहसुन मंडी नीमच में लहसुन का भाव मात्र 2 रुपए किलो रह गया। निम्बाहेड़ा (राजस्थान) से आए किसान श्यामलाल धाकड़ कहते हैं कि लहसुन किसान बर्बाद हो गए। हमारी लागत तक नहीं निकल रही है। सब कुछ अंधेर नगरी चौपट राजा जैसा है। किसानों की कोई सुनने वाला ही नहीं है। इस मामले में लहसुन और प्याज व्यापारी कहते हैं कि आवक ज्यादा है इसलिए भाव कम है, क्योंकि इस समय नीमच मंडी में लहसुन और प्याज की 10-10 हजार बोरी आवक हो रही है जबकि मंडी सचिव संजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि किसान बेहतर गुणवत्ता का माल लेकर मंडी में आएंगे तो उनको बेहतर दाम मिलेगा। मप्र ही नहीं महाराष्ट्र में भी प्याज के हाल बेहाल हैं। महाराष्ट्र का एक किसान फसल की कम कीमत मिलने से इतना निराश और हताश हो गया कि उसने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए फसल की बिक्री से मिली राशि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मनी ऑर्डर से भेज दी। नासिक जिले के निपहद तहसील के रहने वाले संजय साठे को उनकी फसल के बदले में एक रुपए प्रति किलो से भी कम दाम मिल रहे थे। काफी मोल-भाव करने पर उन्हें 1.40 रुपए प्रति किलो का भाव मिला। लिहाजा, 750 किलो प्याज के बदले में उन्हें महज 1,064 रुपए का दाम ही मिला। चार महीने की मेहनत के बदले में इतनी थोड़ी सी राशि देखकर दुख हुआ। खर्चा 15 हजार मिल रहा 750 गौरतलब है कि एक बीघा में प्याज लगाने में करीब 15 हजार रुपए का खर्च आता है और इस एक बीघा में लगभग 15 क्विंटल प्याज पैदा होता है। यदि वर्तमान भाव से जोड़ें तो किसान को मात्र 750 रुपए मिल पा रहे हैं। वहीं खंडवा, मंदसौर आदि जिलों की मंडियों में प्याज बेचने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों से आ रहे किसानों को मायूस होना पड़ रहा है। व्यापारी किसानों का प्याज सात से आठ रुपए किलो में खरीद रहे हैं। उपज का लागत मूल्य भी नहीं मिलने से नाराज किसान शासन की नीतियों को कोसते नजर आए। खंडवा के टाकलीमोरी के किसान जुगंदर सिंह ने बताया कि एक एकड़ में प्याज की फसल लगाई थी। इसमें 50 हजार रुपए तक की लागत लगी। मंडी तक उपज लाने का भाड़ा अलग लगा। 70 क्विंटल प्याज लाया हूं जो 700 रुपए क्विंटल में बिका है। लागत मूल्य तक नहीं निकाल पाया हूं। इसी तरह की शिकायत ग्राम बावडिय़ा काजी के वीरेंद्र भदौरिया ने भी की। भारतीय किसान संघ के जिला संयोजक सुभाष पटेल कहते हैं कि मैंने प्याज की फसल लेने में 75 हजार की लागत लगा दी। लागत मूल्य से भी कम में प्याज बिका है। यदि यही हालात रहे तो किसानों को आंदोलन के लिए विवश होना पड़ेगा। - विकास दुबे
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