कैसे मिलेगा टाइगर स्टेट का दर्जा?
22-Dec-2018 07:27 AM 1234784
मध्य प्रदेश को अप्रैल 2019 में टाइगर स्टेट का दर्जा मिल सकता है। भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) देहरादून अप्रैल में राष्ट्रीय बाघ आकलन-2018 (बाघों की गिनती) के प्रारंभिक आंकड़े घोषित करने की तैयारी कर रहा है। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) ने दिल्ली में बाघ आकलन की समीक्षा बैठक में डब्ल्यूआईआई को अप्रैल तक आंकड़े घोषित करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन प्रदेश में पिछले कुछ सालों में जिस बड़ी संख्या में बाघों की मौत हुई है उससे सवाल उठने लगा है कि मप्र को टाइगर स्टेट का दर्जा कैसे मिलेगा। गौरतलब है कि पिछले 8 साल में प्रदेश में बाघ प्रबंधन पर 1120 करोड़ रूपए खर्च हुए हैं, लेकिन बाघों की मौत के आंकड़े कम होने की बजाय बढ़े हैं। हालांकि इस बार प्रदेश में 400 से अधिक बाघों की उपस्थिति का अनुमान लगाया जा रहा है। एनटीसीए ने दिसंबर 2017 से अप्रैल 2018 के बीच देशभर के सभी संरक्षित और गैर संरक्षित क्षेत्रों में बाघों की गिनती करवाई है। यह गिनती चार साल में एक बार होती है। वर्ष 2014 में कराई गई गिनती में प्रदेश में 308 बाघों की उपस्थिति के प्रमाण मिले थे। इस बार आसार अच्छे बताए जा रहे हैं। गिनती के पहले चरण के रुझान के आधार पर प्रदेश में 400 से अधिक बाघों की उपस्थिति संभावित है। इससे संभावना जताई जा रही है कि इस बार मप्र को टाइगर स्टेट का दर्जा मिल सकता है। हालांकि वर्तमान में डब्ल्यूआईआई देशभर से इक_े डाटा को सॉफ्टवेयर में अपलोड कर रहा है। इसमें करीब तीन महीने लगेंगे। इसके बाद सॉफ्टवेयर पहचान चिन्हों के आधार पर बताएगा कि किस क्षेत्र में कितने बाघ मौजूद हैं। मध्य प्रदेश से टाइगर स्टेट का तमगा वर्ष 2010 में तब छिन गया था, जब 2006 की गिनती के मुकाबले बाघों की संख्या 300 से घटकर 257 रह गई थी और 300 बाघों के साथ यह तमगा कर्नाटक को चला गया था। कर्नाटक ने 2014 की बाघ गणना में 406 बाघों की गिनती कराकर अपनी प्रतिष्ठा को बरकरार रखा। जबकि 2006 में कर्नाटक में 290 बाघ थे और उनकी संख्या लगातार बढ़ती गई। 2014 की गणना में प्रदेश में 308 बाघ पाए गए थे। ज्ञात हो कि इस बार प्रदेश में पूरी तरह से वैज्ञानिक तरीके से बाघों की गिनती की गई है। वन विभाग ने एसएफआरआई से वर्ष 2016 में प्रदेश के संरक्षित क्षेत्र (नेशनल पार्क व अभयारण्य) में बाघों की गिनती कराई थी। तब इन क्षेत्रों में 250 वयस्क बाघ पाए गए थे। जबकि 2014 में राष्ट्रीय स्तर पर कराई गई गिनती में प्रदेश के इन्हीं क्षेत्रों में कुल 286 बाघ गिने गए थे, जिनमें 222 वयस्क थे। यानी महज दो साल में प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों में 28 बाघ बढ़ गए थे। लेकिन इस दौरान बाघों की मौत के मामले भी बढ़े हैं। इस वर्ष भी सबसे ज्यादा बाघों की मौत संरक्षित क्षेत्र (टाइगर रिजर्व, नेशनल पार्क और अभयारण्य) में हुई है। हाल ही में होशंगाबाद वन वृत्त की दो घटनाएं सामने आई हैं। जिनमें दो बाघों के शिकार हुए हैं। उनके शिकार होने की समय-सीमा में भी कोई खास अंतर नहीं है। दोनों बाघों का शिकार किया गया है और दोनों के पंजे और दांत गायब थे। सबसे ज्यादा बाघों की मौत और एक तेंदुए का शिकार महज एक-एक माह के अंतराल में हुआ है। पिछले साल भी संरक्षित क्षेत्र के अंदर जहर और करंट से बाघों की मौत के मामले सामने आए थे। इनमें से कई मामले में वन विभाग के कर्मचारी भी शामिल थे। दरअसल, प्रदेश सरकार वन्य प्राणियों की रक्षा के लिए कोई ठोस नीति नहीं बना पाई है। प्रदेश में टाइगर प्रोटेक्शन फार्स नहीं बन पाई है। केन्द ने राष्ट्रीय वन्य प्राणी क्राइम ब्यूरो की तरह राज्य सरकार में भी स्टेट वन्य प्राणी केन्द्रीय ब्यूरो बनाने का सुझाव दिया था। इस पर राज्य सरकार ने यह कहते हुए प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया कि यहां वन्य प्राणी अपराध पुलिस ही इन कामों को अच्छे से कर रही है। हर साल मरते हैं 27 बाघ, 7 शिकारियों के हाथों से प्रदेश में बाघों की सुरक्षा से जुड़े करीब आधा दर्जन प्रस्ताव केन्द्र और राज्य सरकार के बीच फुटबाल बने हुए हैं। आपसी खींच-तान के चलते यह प्रस्ताव मूर्तरूप नहीं ले रहे हैं, इसके चलते हर साल औसत 27 बाघों की मौतें हो रहे हैं, जिसमें सात बाघ शिकारियों के हाथों मारे जा रहे हैं। वन विभाग का मानना है कि ज्यादातर बाघों की हत्या तांत्रिक क्रियाओं के लिए की गई हैं, यही वजह है कि बाघों की खाल, नाखून, दांत और पूंछ के बाल काट कर ले जाने की घटनाएं बढ़ रही हैं। प्रदेश में पिछले सात-आठ सालों में बाघों की सुरक्षा, मैंनेजमेंट और टाइगर रिजर्व, अभयारण्यों से गांवों की शिफ्टिंग पर 1120 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन बाघों की मौत का ग्राफ कर्नाटक की तुलना में कम नहीं हो रहा है। -अक्स ब्यूरो
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^