चुनाव तय करेंगे राम मंदिर का भविष्य
19-Nov-2018 09:51 AM 1234786
देश में आरएसएस, भगवा ब्रिगेड और भाजपा राम मंदिर मुद्दे के करंटÓ को मापने के साथ जनमानस का दिल टटोल रही हैं। शुरूआती रूझानों से हिंदूवादी संगठनों और भाजपा को पर्याप्त मात्रा में राजनीतिक प्राणवायु प्रदान की है और इससे उत्साहित भगवा टोली नये सिरे से अयोध्या विवाद को गरमाने में जुट गये हैं। चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, ऐसे में मोदी सरकार इस मसले पर अध्यादेश लाने से कुछ ज्यादा करने की स्थिति में नहीं है। राजनीतिक गलियारों से जो हवाएं छनकर आ रही हैं वो यह संदेश दे रही हैं कि मोदी सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में राम मंदिर पर अध्यादेश लाएगी। राम मंदिर अध्यादेश की खबर ऊपरी हवा है। अंदरखाने भगवा टोली पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों पर नजरें गढ़ाए है। और पांच राज्यों के चुनाव नतीजे ही राम मंदिर निर्माण का भविष्य तय करेंगे। संघ और हिंदूवादी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद की सुनवाई की तारीख से पूर्व ही मोदी सरकार पर राम मंदिर के लिये अध्यादेश लाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया था। संघ प्रमुख ने चेतावनी भरे लहजे में सरकार को इस बाबत कोई ठोस कदम उठाने का फरमान सुनाया है। संघ, हिन्दूवादी संगठनों और जनमानस से मिल रही प्रतिक्रियाओं के बीच मोदी सरकार के सामने राम मंदिर का मुद्दा सुरसा के मुंह की भांति खड़ा हो गया है। यह बात सच है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने मोदी सरकार की मुश्किल बढ़ा दी है, लेकिन एक सच यह भी है कि इस फैसले से बीजेपी को नया चुनावी मुद्दा भी मिल सकता है। यदि विकास के नाम पर भाजपा के पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में जीत मिलती है तो संभव है कि मोदी सरकार राम मंदिर निर्माण पर अध्यादेश के बारे में विचार भी न करे, लेकिन कहीं अगर उसके हाथ हार लगी तो हिंदुत्व की शरण में जाने के सिवाय बीजेपी के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं रह जाएगा। राम मंदिर की सियासत के उबाल के बीच मोदी सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में बिल पेश किए जाने या सत्र के बाद अध्यादेश का सहारा लेने के सियासी नफा नुकसान तौलने में पूरी तरह जुट गई है। सरकार, भाजपा और संघ का एक बड़ा धड़ा शीतकालीन सत्र में बिल पेश कर कांग्रेस समेत तमाम विपक्ष को सियासी पिच पर बैकफुट पर धकेलने के पक्ष में है। 11 दिसंबर को पांच राज्यों के चुनाव नतीजे देश के सामने होंगे। इसके बाद पूरे घटनाक्रम में नाटकीय मोड़ आ सकता है। दिसंबर के दूसरे सप्ताह में संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होगा। रणनीति के तहत मंदिर निर्माण मामले में सरकार फ्रंट फुट पर खेलने के लिए तैयार है। फिलहाल दो विकल्पों अध्यादेश लाने या बिल पेश किए जाने के प्रश्न पर सरकार, भाजपा, संघ और संतों के बीच गहन विमर्श का दौर जारी है। यदि भाजपा 2019 लोकसभा का चुनाव राम नाम पर लडऩे का मन बनाती है तो उसके पास दो विकल्प होंगे, पहला- अध्यादेश और दूसरा शीतकालीन सत्र में विधेयक लाने का। - अरविन्द नारद
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^