03-Aug-2013 05:26 AM
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वह क्षण अविश्वासनीय ही था और अकल्पनीय भी, लेकिन देर से ही सही साकार तो हुआ भूरिया का बहु संचित सपना- जब कांग्रेस के सारे दिग्गज एक मंच पर दिखाई दिए। अन्यथा इस दिल के टुकड़े हजार

हुए कोई यहां गिरा कोई वहां गिरा की तर्ज पर वर्ष 2003 की एतिहासिक पराजय के बाद मायूस कांग्रेस के आला नेता इतनी बड़ी तादाद में एकजुट नहीं दिखाई दिए। अब यह बात अलग है कि यह एकजुटता कहीं खीरे की जैसी न हो।
रहिमन प्रीत न कीजिए जस खीरा ने कीन
बाहर से तो दिल मिला भीतर फांके तीन...
चुनाव नजदीक हैं इसलिए मुंह में राम बगल में छुरी की तर्ज पर कांग्रेसी बाहर से एक दिख ही सकते हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के चुनावी क्षेत्र बुदनी के नसरूल्लागंज में कुछ इसी तरह की एकता का प्रकटन हुआ। कांग्रेस के आला नेताओं की दृष्टि से तो नहीं, किंतु कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की दृष्टि से यह एक उत्साहवर्धक क्षण था। जिसका असर शिवराज की जनआशीर्वाद यात्रा के दौरान देखने को भी मिला। जिसे कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह काले झंडे दिखाई और एक-आध दो जगह तो फुटबाल टीम के प्रशंसकों की तरह कांग्रेसियों ने सिर भी मुंडवा लिए, सत्ता के लिए इतना तो करना ही होगा।
कांग्रेस आलाकमान जानता है कि मध्यप्रदेश में तमाम बिखराव के बावजूद कांग्रेस एडवांटेज की स्थिति में आ सकती है क्योंकि एंटी इनकमबेन्सी के साथ-साथ प्रदेश में शिवराज के अतिरिक्त अन्य मंत्रियों से जनता उतनी खुश नहीं है। इसीलिए राहुल गांधी ने शिवराज को घेरने और मंत्रियों को नेस्तानाबूद करने की बात कही है। राघवजी प्रकरण के बाद समां कुछ बंधने भी लगा था, लेकिन चौधरी राकेश सिंह ने फिर बैकफुट पर धकेल दिया। बहरहाल घायल कांग्रेस अपने घावों को सहलाते हुए अब फिर आर-पार की लड़ाई लडऩे के मूड में है। हाल ही में कांगे्रस ने भाजपा पर कई तीखे आरोप लगाए हैं और कांग्रेस द्वारा की जा रही अविश्वास सभाएं भी कहीं न कहीं जनता को प्रभावित तो कर ही रही हैं, जिस तरह इंदौर में आयोजित अविश्वास सभा के दौरान भाजपा नेताओं के मुखौटे पहनकर कांग्रेेस ने कटाक्ष किया उससे भी समां बंधा। मुख्यमंत्री पर पेंशन घोटाले, सिंहस्थ, सुगनी देवी घोटाले सहित कई आरोपों को कांग्रेस ने जनता के सामने सीधे रखा क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस किसी भी स्थिति में अपनी बात नहीं कह पाई थी। लेकिन सवाल वही है कि कांग्रेस मुख्यमंत्री के विशाल व्यक्तित्व से कैसे लड़ सकती है। कांग्रेस में कोई ठोस प्रोग्राम नहीं है। जबकि इसके विपरीत शिवराज की तैयारी ज्यादा मजबूत है। सरकार के पास खजाने में भी साढ़े आठ हजार करोड़ रुपए हैं वे जो चाहे घोषणा कर सकते हैं और जनता को झूठा नहीं सच्चा वादा करके दिखा सकते हैं।
बुदनी विधानसभा क्षेत्र में सभा के दौरान कांगे्रेसी नेताओं ने मुख्य तौर पर मुख्यमंत्री के परिजनों पर निशाना साधा है। इससे यह लगता है कि कांग्रेस जानती है कि भाजपा की यूएसपी शिवराज सिंह चौहान की छवि ही है। कांगे्रस इस छवि को ध्वस्त करने का हर संभव प्रयास कर रही है। अविश्वास सभाओं के दौरान भी मुख्यत: इसे ही निशाना बनाया जाता है, लेकिन कांग्रेस की दिक्कत यह है कि वहां नेताओं में एक रूपता नहीं है। राजघरानों की राजनीति ने कांग्रेस को ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। मुख्यमंत्री को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। कुछ समय पहले कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में सक्रियता दिखाई थी, लेकिन अब वे भी शांत ही नजर आ रहे हैं। दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कांतिलाल भूरिया और सुरेश पचौरी जैसे नेता ही ज्यादा सक्रिय दिखाई दे रहे हैं, लेकिन कांग्रेस का चुनावी प्रबंधन उतना असरकारी नहीं है इसका नजारा नगरीय निकाय के चुनाव में भी देखने को मिला था जब कांग्रेस ने चुनाव प्रबंधन के अभाव में कई सीटें खो दी थीं। उधर भाजपा द्वारा तैयार की गई एक 21 पृष्ठीय बुकलेट ने भी कांग्रेस को परेशान किया है जिसमें 1948 में हुए जीप घोटाले से लेकर कोलगेट कांड तक का जिक्र है। इस बुकलेट में मनमोहन ङ्क्षसह सहित कई प्रमुख कांग्रेसी नेताओं को निशाना बनाया गया है। लेकिन कांग्रेस भी भाजपा सरकार के खिलाफ एक दस्तावेज लेकर आ रही है। देखना है कि उसमें कौन सा कच्चा चिट्ठा खोला जाता है।
विकास दुबे