19-Nov-2018 09:28 AM
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अपने देश में एक कहावत लोकप्रिय है कि बिच्छू का मंत्र जानते नहीं और सांप के बिल में हाथ डालना। इस बार मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कुछ ऐसा ही कर दिया है। पहले तो कांग्रेस ने सॉफ्ट हिंदुत्व को अपना और अब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का जिक्र कर एक बार फिर सेल्फ गोल मारा है। संघ का जिक्र होने से बीजेपी ने इसे चुनावी मुद्दे में बदलना शुरू कर दिया है। शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार से नाराज कार्यकर्ता इस मुद्दे के कारण धीरे-धीरे चुनाव मैदान में सक्रिय होता जा रहा है। इससे कांग्रेस की सारी चुनावी तैयारी पर पानी फिर सकता है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने विधानसभा चुनाव में इस बार घोषणा पत्र को वचन पत्र के नाम से जारी किया है। कांग्रेस के इस वचन पत्र में कहा गया है कि शासकीय परिसरों में संघ की शाखाएं लगाए जाने पर प्रतिबंध लगाया जाएगा एवं शासकीय सेवकों को शाखा जाने के लिए दी गई छूट को निरस्त किया जाएगा। कांग्रेस के इस वचन पत्र में संघ का जिक्र आते ही बीजेपी ने इस मुद्दे को लपकने में देर नहीं की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि संघ की शाखाएं सरकारी कार्यालयों में भी लगेगी और सरकारी कर्मचारी भी आरएसएस की शाखा में हिस्सा लेंगे, कोई इस पर रोक नहीं लगा सकता। प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि कांग्रेस के विकास के मुद्दे पर चर्चा बचने के लिए संघ के मुद्दे को हवा दे रही है। पूरी कांग्रेस अब इस मामले में बचाव करती नजर आ रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को बार-बार इस बात की सफाई देनी पड़ रही है कि कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में संघ पर प्रतिबंध लगाने की बात नहीं की है। उन्होंने कहा कि प्रतिबंध सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के शाखा जाने पर लगाया जाएगा।
प्रदेश कांग्रेस की चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि देश-प्रदेश सभी जगह सरकारी कर्मचारियों को राजनीतिक गतिविधियों पर हिस्से लेने पर रोक है। हम मध्य प्रदेश में सिर्फ इसी नियम का पालन कराने की बात कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य में वर्ष 2006 से पहले तक सरकारी कर्मचारियों के शाखा जाने पर रोक लगी हुई थी। वर्ष 2000 में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक आदेश जारी कर स्पष्ट तौर पर कहा था कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी शाखा जाता है, तो इसे आचरण नियमों की अवहेलना माना जाएगा। शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2006 में मुख्यमंत्री बनते ही इस आदेश को निरस्त कर दिया था और शाखा जाने पर लगे प्रतिबंध को भी हटा दिया था। शिवराज सिंह चौहान के इस कदम के बाद राज्य में आएसएस की शाखा में जाने वाले लोगों की संख्या में आश्चर्यजनक तौर पर वृद्धि देखी गई थी। चुनावी वचन पत्र में कांग्रेस की इस चूक ने चुनाव के मूल मुद्दों को पीछे छोड़ दिया है। आएसएस को लेकर कांग्रेस के इरादे सामने आने के बाद सरकार से नाराज बीजेपी कार्यकर्ता अब चुनाव प्रचार के लिए घर से निकलने लगे हैं। बीजेपी के कार्यकर्ताओं की बड़ी नाराजगी एट्रोसिटी एक्ट को लेकर थी। एक्ट में संशोधन का विरोध बीजेपी को कई स्तरों पर झेलना पड़ रहा है। उच्च वर्ग का उसका प्रतिबद्ध वोटर चुनाव में नोटा के उपयोग को हवा दे रहा था।
चुनाव में सपाक्स की मौजूदगी से भी बीजेपी के सामने नई चुनौती खड़ी हुई थी। मंदसौर गोलीकांड के बाद किसानों की नाराजगी के कारण बीजेपी को ग्रामीण क्षेत्र में अपनी सीटें बचाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही हैं। टिकट वितरण से भी पार्टी में बड़े स्तर पर नाराजगी सामने आई है। कई विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के दिग्गज नेता बागी के तौर मैदान में हैं। पिछले तीन दिन से संघ के प्रभावशाली प्रचारक, बीजेपी के बागी नेताओं को मनाने में लगे हुए हैं।
मतदान के ठीक पहले बदली राजनीतिक हवा ने कांग्रेस को बैकफुट पर खड़ा कर दिया है। कांग्रेस के सामने राम मंदिर का मुद्दा भी चुनौती के तौर पर खड़ा हो गया है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि दिग्विजय सिंह की सक्रियता के कारण इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि चुनाव में इस बार भी अल्पसंख्यक बनाम बहुसंख्यक का मुद्दा तूल पकड़ लेगा। दिग्विजय सिंह यह आशंका भी प्रकट कर चुके हैं कि मध्य प्रदेश में वोटिंग से तीन दिन पहले वीएचपी द्वारा नागपुर और बेंगलूरू में राम मंदिर के लिए जनाग्रह रैली चुनाव को प्रभावित करने के लिए ही निकाली जा रही है।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में कांग्रेस का अजीबो-गरीब रवैया हिंदुत्व के वैचारिक विरोधियों को नाराज कर देगा। वे ऐसा सोच सकते हैं कि इस राज्य में कांग्रेस की जीत भारत की राजनीति को निर्णायक रूप से दक्षिणपंथ की तरफ मोड़ देगी और बहुसंख्यकवाद को इस पार्टी द्वारा व्यावहारिक तौर पर मान्यता दे दी गई है। वे इस बात का भी आंकलन करने लगेंगे कि क्या कांग्रेस को फिर से पुनर्जीवित के लिए चुकाई जाने वाली कीमत वाजिब है। हिंदुओं के तुष्टिकरण का फॉर्मूला तैयार करने की दिशा में उठाया गया कदम देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी का घोषणापत्र वाकई में अजीबो-गरीब बयानों और इसी तरह के वादों में डूबे हुए दस्तावेज जैसा है। इस घोषणा पत्र में कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी की नकल करते हुए राम पथ गमन विकसित करने का वादा किया है। इसके तहत उस रास्ते को विकसित करने की बात है, जहां से हिंदू मान्यताओं के मुताबिक भगवान राम वनवास के दौरान गुजरे थे। ऐसी मान्यता है कि राम ने अपने 14 साल वनवास में कुल 11 साल मौजूदा मध्य प्रदेश में स्थित इन जंगलों में ही गुजारे थे। इसके अलावा, हिंदू धर्मगुरुओं को तुष्ट करने के लिए भी कई तरह की बातों का जिक्र कांग्रेस के इस चुनावी घोषणा पत्र में किया गया है। दरअसल, ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने भी गाय की राजनीति को अपनाने के लिए गांधी टोपी को उतार कर फेंक दिया है।
-विशाल गर्ग