19-Nov-2018 09:04 AM
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महाराष्ट्र सरकार ने भले ही 14 से ज्यादा लोगों की जान लेने वाली बाघिन अवनि को मारने में कामयाबी हासिल कर ली हो लेकिन इस कदम से सरकार अब खुद ही घिर गई है। अवनि नाम की इस बाघिन की मौत पर महाराष्ट्र से दिल्ली तक सियासी बवाल मचा हुआ है। केंद्र और राज्यों दोनों ही जगह बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। वहीं कांग्रेस ने भी सरकार को घेरने का यह मौका नहीं छोड़ा।
अवनि की करीब डेढ़ साल से तलाश जारी थी। इस पर वन संरक्षण से जुड़े कई एक्टिविस्ट्स ने भी सरकार पर दबाव बनाये रखा था, अब अवनि की मौत के बाद यह लोग भी सरकार के खिलाफ खड़े हो गए हैं। इस एनकाउंटर को सियासी फायदे के लिए उठाया गया कदम बताया जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भी अवनि की मौत को एक आपराधिक घटना बताया है। उन्होंने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बाघिन का मर्डर किया गया है। मेनका ने इस मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार के सीएम देवेंद्र फडणवीस से बात करने की बात भी कही है। इस घटना के विरोध में मेनका ने ट्वीट किया, जिस तरह से अवनि को यवतमाल में मारा गया मैं उससे बहुत दुखी हूं। यह कुछ नहीं बल्कि सीधा-सीधा एक आपराधिक मामला है। कई पक्षों के अनुरोध के बावजूद महाराष्ट्र के वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने अवनि को गोली मारने का आदेश दिया। साथ ही मेनका गांधी ने अवनि को मारने के लिए चलाये गए ऑप्रेशन में शामिल शूटर पर भी सवाल खड़े किये। अपनी ही पार्टी के मंत्री और सरकार पर सोशल मीडिया के जरिए मेनका के लगाए इन आरोपों के बाद महाराष्ट्र सरकार चारों ओर से घिर गयी। इसके बाद बचाव के लिए खुद सीएम फडणवीस और वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार को सामने आना पड़ा।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने भी इस मामले में एक सनसनीखेज दावा किया था। ठाकरे का आरोप है कि यवतमाल में उद्योगपति अनिल अंबानी के एक प्रस्तावित प्रॉजेक्ट को बचाने के लिए बीजेपी की अगुआई वाली सरकार ने मारने का फैसला लिया। हालांकि अनिल अंबानी ग्रुप के एक प्रवक्ता ने कहा है कि यवतमाल जिले में उनके समूह का कोई प्रॉजेक्ट नहीं है। वहीं, यवतमाल जिले के एक अधिकारी ने कहा कि अंबानी ग्रुप का प्रस्तावित प्रॉजेक्ट उस जगह से काफी दूर है, जहां अवनि को गोली मारी गई थी।
सुधीर मुनगंटीवार ने कहा, अवनि पर की गयी कार्यवाही के लिए सारे कदम नियमों के दायरे में उठाये गए थे, अवनि ने कई लोगों को अपना शिकार बनाया था उसके बारे में भी सोचा जाना चाहिए। मेनका गांधी के ट्वीट से वन विभाग के अधिकारियों का मनोबल गिरेगा, वन विभाग ने यह कार्यवाही कोर्ट के आदेश के बाद ही की थी। मेनका गांधी बड़ी नेता हैं अगर उन्हें लगता है कि कुछ गलत हुआ है तो वह इस मामले की जांच करवा सकती हैं।
वहीं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इस मामले में वन मंत्रालय का समर्थन किया और एक सधा हुआ बयान दिया। मुख्यमंत्री ने कहा, यह दुखद है कि अवनि को मारने का निर्णय लेना पड़ा लेकिन सरकार ने जो निर्णय लिया उसके पीछे कई लोगों की मौत कारण है। बावजूद इसके अगर इसमें कुछ खामियां रही हैं तो उसकी जांच होगी।
सरकार की मुसीबते यहीं खत्म नहीं हुई। सरकार को कोसने का कोई मौका नहीं छोडऩे वाली सहयोगी शिवसेना ने भी सरकार द्वारा बाघिन अवनि पर की गयी कार्यवाही को हत्या बताया और इस एनकाउंटर पर सवाल खड़े किये। शिवसेना ने वन मंत्रालय का नाम बदल कर इसे शिकार मंत्रालय रखने की सलाह तक दे डाली और पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की।
1 हफ्ते से भूखी थी बाघिन अवनि
बाघिन अवनि की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने आने के बाद पता चला है कि उसने एक हफ्ते से ज्यादा वक्त से कुछ भी खाया नहीं था। वन विभाग के अधिकारियों को आशंका है कि उसके शावक (बच्चे) भी भूख की वजह से मौत के मुंह में जा सकते हैं। इसको देखते हुए वन विभाग के 100 अधिकारियों को उनकी तलाश में तुरंत लगाया गया है जिससे उनकी जिंदगी बचाई जा सके। हालांकि वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि शावकों का बचना काफी मुश्किल है। इस बीच जहां अवनि को गोली मारी गई थी, वहां से त्वचा और मांसपेशियों के सैंपल लेकर केमिकल और बैलिस्टिक जांच के लिए रीजनल फरेंसिक लैबरेटरी भेजा गया है। अवनि की बाईं जांघ से निकाली गई नीडल की उसकी मांसपेशियों के साथ जांच की जाएगी। इसके जरिए यह जानने की कोशिश की जाएगी कि बाघिन को मारने से पहले जाइलाजीन, कीटामीन या कोई दूसरी बेहोशी की दवा का तो इस्तेमाल नहीं किया गया था। इसके साथ ही यूरिन, हार्ट, ब्लड, मृत शरीर से निकाली गईं दो गोलियां, हड्डी, गोली लगने वाली जगह से मांसपेशियों के टुकड़ों और टूटी हुई पसली के टुकड़ों को जांच के लिए लैब भेजा गया है। इस बीच शूटर असगर अली के पिता शफात अली खान ने अपने बेटे को अपराधी और हत्या के केस में संदिग्ध कहने पर केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी दी है।
-सिद्धार्थ पाण्डे