आदमखोर की दहशत
02-Nov-2018 07:06 AM 1234818
मप्र के पन्ना, बांधवगढ़, सारणी, दमोह में इन दिनों आदमखोर बाघों की दहशत है। वहीं राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के कई क्षेत्रों में बाघ जंगल के बाहर भी देखें जा रहे हैं। जानकार बताते हैं कि सिमटते वन क्षेत्र और बाघों की बढ़ती आबादी के कारण बाघ जंगल से बाहर आ रहे हैं और पालतू पशुओं के साथ ही मनुष्यों पर भी हमले कर रहे हैं। मप्र से भले ही टाईगर स्टेट का दर्जा छिन गया हो, लेकिन अभयारण्यों के पास जिस तरह बाघों का आतंक मचा हुआ है उससे तो यह बात साफ है कि प्रदेश में बाघों की संख्या तेजी से बढ़ी है। वन विभाग के अफसरों का कहना है कि कई जगह वन क्षेत्र कम पडऩे लगे हैं। इससे बाघ जंगल से निकलकर रहवासी क्षेत्रों में दस्तक दे रहे हैं। प्रदेश में बाघों की संख्या पिछले चार साल में 74 से अधिक बढ़ी है। यह आंकलन मप्र स्टेट फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट जबलपुर (एसएफआरआइ) ने किया है। सरकार ने इस रिपोर्ट को वन अनुसंधान संस्थान देहरादून भेज दिया है। यह संस्थान विभिन्न आधार पर बाघों की गणना को वैज्ञानिक पद्धति के आधार पर आंकलन कर अपनी रिपोर्ट दो माह के अंदर केन्द्र सरकार को सौंपेगा। वर्ष 2014 में बाघों की संख्या 308 बताई गई थी। एसएफआरआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि नेशनल पार्क, सेंचुरी के कोर और बफर जोन के अलावा अन्य वन क्षेत्रों में भी बाघों के रहने के प्रमाण और उनकी अलग-अलग तस्वीरें कैमरे में कैद हुई हैं। नेशनल पार्क के बाहर सबसे ज्यादा बाघों की संख्या रातापानी अभ्यारण्य में पाई गई है। बाघों का आवागमन उन क्षेत्रों में भी हो रहा है, जहां इससे पहले बाघ कभी नहीं दिखाई देते थे, वहीं एसएफआरआइ के सिस्टम में शावकों का आंकलन वास्तविक रूप से नहीं हो पाया है। कान्हा नेशनल पार्क और उसके आस-पास लगाए गए कैमरों में बाघों की सबसे ज्यादा तस्वीरे कैद हुई है। बाघों की गणना के लिए नेशनल पार्कों और वन क्षेत्रों में 17 सौ से अधिक बीटें बनाई गई थीं, जिनमें संरक्षित और गैर संरक्षित वन क्षेत्रों में पिछले साल करीब 9 हजार से अधिक ट्रैप कैमरे लगाए गए थे, जबकि 2014 में इसकी गणना के लिए 717 बीटें बनाई गई थीं। फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून को भेजी गई एक रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि मप्र के जंगलों में कैमरा ट्रैपिंग से ली गई रिपोर्ट में 385 बाघों के चित्र आए हैं यानि विश्लेषण में ये स्पष्ट हो गया है कि 385 बाघ पूरी तरह से अलग-अलग हैं। भोपाल और उसके आसपास के इलाके में हुई गणना में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। इसी साल 5 फरवरी से 26 मार्च तक चली इस गणना में यहां 19 बाघों का मूवमेंट मिला है। इनमें 13 वयस्क और 6 शावक शामिल हैं। लैंडस्कैप के अनुसार वर्ष 2014 में की गई गणना में जहां भोपाल वनमंडल और सीहोर वनमंडल में एक-एक बाघ ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी। इस साल हुई गणना में औबेदुल्लागंज डिवीजन और रातापानी सेंचुरी में 45 वयस्क और 18 शावकों ने मौजूदगी दर्ज कराई है। यहां 2014 की गणना में 16 बाघों की पुष्टि हुई थी। वाइल्ड लाइफ मुख्यालय ने राज्य वन अनुसंधान संस्थान द्वारा तैयार किए गए जियोग्राफिकल मैपिंग में बाघों की मौजूदगी के आंकड़े जारी किए हैं। जानकार बताते हैं कि वनों में बाघों की बढ़ती संख्या के कारण उनमें आपसी टकराव बढ़ रहा है। इस कारण वे रहवासी इलाकों में आने लगे हैं। -बृजेश साहू
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