भुखमरी में तरक्की
02-Nov-2018 06:37 AM 1234858
देश की जीडीपी को हवाभरे गुब्बारे की तरह लहराने वाली सरकार की नजर में देश तरक्की कर रहा है, जिओ ने कई जीबी डाटा से सबका पेट भर दिया है। लेकिन उन चंद निवालों का इन्तेजाम नहीं करा पाई जिसे भूखा आदमी रोटी कहता है। सबका साथ सबका विकास का दावा लोगों के खाली पेटों में तब लात मारता दिखता है जब ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोट आती है। हर बार उम्मीद की जाती है कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स यानी जीएचआई में भारत की स्थिति पिछले इंडेक्स से बेहतर होगी, लेकिन होता है बिलकुल उल्टा। अब इस पिछले साल भारत का इस लिस्ट में 100वां नंबर था पर साल 2018 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स के मुताबिक भारत 119 देशों की सूची में 103वें स्थान पर है। यानी भुखमरी खत्म करने वाले देशों की सूची में भारत लगातार रुपये के एकीमत सरीखा लुढ़क रहा है। 2014 में भारत 99वें, 2015 में 80वें और 2016 में 97वें स्थान पर था। पर इस बार तो नतीजे और शर्मनाक हैं। बता दें कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स वैश्विक, क्षेत्रीय, और राष्ट्रीय स्तर पर भुखमरी का आंकलन करता है। भूख से लडऩे में हुई प्रगति और समस्याओं को लेकर हर साल इसकी गणना की जाती है। शर्मिंदगी यहीं खत्म नहीं होती। जब पता चलता है कि हंगर इंडेक्स में हमारी स्थिति नेपाल और बांग्लादेश से भी खराब है, सारे देश का विकास दम दबाकर भागता दिखता है। हमेशा की तरह चीन भारत से काफी बेहतर हाल में है यानी 119 देशों में चीन 25वें नंबर पर है। वहीं बांग्लादेश 86वें, नेपाल 72वें, श्रीलंका 67वें और म्यामांर 68वें स्थान पर हैं। पाकिस्तान भारत से पीछे है। उसे 106वां स्थान मिला है। इस रिपोर्ट का कहना है, भारत में भूख की स्थिति बेहद गंभीर है। देश में भुखमरी इसलिए नहीं है कि यहां अन्न की कमी है, बल्कि इसलिए है क्योंकि यहां असमानता का माहौल है। अमीर और गरीब के बीच की खाई इस कदर बढ़ चुकी है कि एक तरफ करोड़ों टन खाने का सामान पड़े-पड़े सड़ जाता है और दूसरी तरफ एक रोटी के अभाव में कोई मर जाता है। इण्डियन इन्सटीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल 23 करोड़ टन दाल, 12 करोड़ टन फल एवं 21 टन सब्जियां वितरण प्रणाली में खामियों के चलते खराब हो जाती है तथा उत्सव, समारोह, शादी-ब्याह आदि में बड़ी मात्रा में पका हुआ खाना ज्यादा बनाकर बर्बाद कर दिया जाता। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अनाज का सही तरीके से भंडारण और रख रखाव नहीं होता और संपन्न तबका खाने को बर्बाद करता है। भारत में अनाज की बबार्दी करने वाले टॉप 10 राज्य की बात करें तो पश्चिम बंगाल- नंबर 1 पर है। यहां 1,54,810 क्विंटल, महाराष्ट्र में 1,12,640 क्विंटल, बिहार में 82,010 क्विंटल, उड़ीसा में 72,780 क्विंटल, जम्मू कश्मीर में 61,310 क्विंटल, आंध्र प्रदेश में 49,680 क्विंटल, गुजरात में 46,290 क्विंटल, उत्तराखंड में 34,580 क्विंटल, पंजाब में 32,800 क्विंटल और उत्तर प्रदेश में 26,490 क्विंटल अनाज बर्बाद होता है। ये ज्यादातर राज्य वही हैं जहां गरीबी का प्रतिशत काफी ज्यादा है। जरा सोचिए, अगर यह अन्न न बर्बाद किया जाए तो प्रत्येक व्यक्ति को दो वक्त की रोटी आराम से नसीब हो सकती है। शायद इसीलिये जब इस ग्लोबल हंगर इंडेक्स लिस्ट को देखकर राहुल गांधी नरेन्द्र मोदी पर तंज कसते हुए कहते हैं कि, चौकीदार ने भाषण खूब दिया, पेट का आसन भूल गए। योग-भोग सब खूब किया, जनता का राशन भूल गएÓ, तो वहां से कोई जवाब नहीं आता। शायद हम बतौर देश भुखमरी में ही तरक्की ढूढ़ रहे हैं। लेकिन क्या भूखे पेट देश का विकास संभव है? - श्याम सिंह सिकरवार
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