घूसखोरी के घात
02-Nov-2018 06:17 AM 1234909
देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी यानी सीबीआई और देश की सबसे बड़ी जासूसी एजेंसी यानी रॉ अब सवालों के घेरे में है। सीबीआई के दो सबसे बड़े ऑफिसर एक-दूसरे पर आरोपों की झड़ी लगा रहे हैं। ये युद्ध चल रहा है सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और सीबीआई स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के बीच। खुद सीबीआई की तरफ से ही अब राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वत लेने के मामले में एफआईआर दर्ज कर दी है। अस्थाना पर मीट कारोबारी मोइन कुरेशी से 3 करोड़ रुपए रिश्वत लेने का आरोप है। सीबीआई की तरफ से जो एफआईआर दर्ज की गई है उसमें राकेश अस्थाना, सीबीआई डेप्युटी सुप्रीटेंडेंट देवेंद्र कुमार, बिजनेसमैन सतीश सना, बिचौलिए और बिजनेसमैन मनोज प्रसाद के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं। एक तरफ तो एफआईआर दर्ज की गई है दूसरी तरफ अस्थाना ने सीबीआई चीफ आलोक वर्मा के खिलाफ ही रिश्वत का आरोप लगाया है। आलोक वर्मा के खिलाफ करीब दर्जन भर आरोपों का पूरा पुलिंदा राकेश अस्थाना ने तैयार कर रखा है। सीबीआई ने 22 अक्टूबर को डिप्टी सुप्रीटेंडेंट देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार भी कर लिया। अभी तक राकेश अस्थाना ने सिर्फ यही बयान दिया था कि उनके खिलाफ लग रहे आरोप झूठे हैं और सीबीआई डायरेक्ट आलोक वर्मा असल में दोषी हैं। देवेंद्र को बिजनेसमैन सतीश सना के स्टेटमेंट लेते समय धोखाधड़ी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। सतीश सना भी मोइन कुरेशी केस में अहम किरदार थे। सतीश सना ने ही सीबीआई को रिश्वत देने की बात कबूली है। सीबीआई का ये मामला एक महीने पहले जगजाहिर हुआ था जांच एजेंसी की तरफ से एक नोटिस सामने आया था जिसमें सीबीआई ने कहा था कि उसके स्पेशल डायरेक्टर रोल को निभा रहे अस्थाना के खिलाफ जांच हो रही है और कम से कम आधा दर्जन आरोप लगे हैं। इसके बाद ये बात भी सामने आई थी कि अस्थाना ने कैबिनेट सेक्रेटरी को एक टॉप सीक्रेट शिकायत की थी जिसमें उतने ही मामलों में डायरेक्टर आलोक वर्मा के फंसे होने की बात थी और पहली बार तभी मीट एक्पोर्टर मोइन कुरेशी का नाम सामने आया था। इसके अलावा, दो बिजनेसमैन जिन्होंने सेंट किट्स देश की नागरिकता ली है उनके और हरियाणा के एक भूमि अधिग्रहण मामले में रिश्वत के आरोप लगे थे। सीबीआई के दो सबसे बड़े अधिकारियों पर अगर आरोप लग रहे हैं तो यकीनन जांच भी बहुत बड़े लेवल पर हुई होगी। सूत्रों के मुताबिक सीबीआई ने टेलिफोन की बातों की रिपोर्डिंग, वॉट्सएप मैसेज, पैसे भेजने और लेने के स्टेटमेंट कि जांच की थी। इसके बाद ही मजिस्ट्रेट के सामने धारा 164 के तहत मामला दर्ज हुआ। सीबीआई की तरफ से किसी भी केस की जांच बहुत बारीकी से होती है और एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम भी रहती है जो केस के हर पहलू को परखती है। बड़ी बात ये है कि राजेश अस्थाना इस केस की जांच के लिए बनाई गई सीबीआई की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के भी हेड थे। अब वो अपने खिलाफ हुई शिकायत को झूठ बता रहे हैं। सीबीआई पूरी तरह से आलोक वर्मा के साथ है। सीबीआई ने सिर्फ इतने ही सबूतों के साथ अस्थाना के खिलाफ केस नहीं किया। बल्कि जांच कर दुबई स्थित एक बिजनेसमैन मनोज प्रसाद की गिरफ्तारी के बाद अस्थाना पर ये केस हुआ है। मनोज प्रसाद ने पूरे केस में बिचौलिए का काम किया था। रिश्वत खोरी का बड़ा मामला सतीश सना ने 4 अक्टूबर 2018 को ही मजिस्ट्रेट के आगे अपना बयान दिया था जिसमें अस्थाना, मनोज प्रसाद और प्रसाद के एक रिश्तेदार सोमेश श्रीवास्तव का नाम था और सारी जानकारी दी थी कि कैसे 3 करोड़ रुपए रिश्वत के तौर पर दिए गए। सतीश की जानकारी के बाद ही मनोज प्रसाद के खिलाफ केस दर्ज हुआ और प्रसाद की गिरफ्तारी के बाद राकेश अस्थाना के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले। ये सारी जानकारी सीबीआई के सूत्रों के अनुसार है। अब राकेश अस्थाना ने आलोक वर्मा के खिलाफ आरोप लगाया है कि वो खुद 2 करोड़ रुपए लेकर बैठे हैं। सना ने कुल 5 करोड़ रिश्वत का मामला कबूला है तो ये कहना कि दोनों में से कौन सा पक्ष सही है बिलकुल मुमकिन नहीं। - ए. राजेंद्र
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