विधायकी के लिए नौकरी से गुडबाय
02-Nov-2018 06:35 AM 1234811
छत्तीसगढ़ में चुनावी माहौल गर्म हो चुका है। राजनीतिक पार्टियों के कार्यालय से बाहर निकल चुनावी गहमा-गहमी गांव-घरों तक पहुंच चुकी है। इधर वीआईपी सीट और वीआईपी कैंडीडेट के अलावा कुछ ऐसे चेहरे हैं जिनके बारे में राज्य ही नहीं, राज्य से बाहर भी चर्चा हो रही है। विधायक बनने के लिए किसी ने आईएएस जैसी नौकरी को भी छोड़ दिया, तो किसी ने इंजीनियरिंग छोड़ राजनीति को अपना लिया है। एक ने पत्रकारिता को गुडबाय कहा तो कुछ ने खाकी वर्दी से फुर्सत पाने के बाद खादी में उतरने की तैयारी कर रखी है। 22 साल की उम्र में पहले प्रयास में डीएम बने ओपी चौधरी को बस्तर का कायापलट करने के लिए मनमोहन सिंह के कार्यकाल में सम्मानित भी किया जा चुका है। इस बार वह बीजेपी से चुनाव लड़ रहे हैं। बीते अगस्त में ही उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। 2005 बैच के चौधरी मूल रूप से रायपुर जिले के रहने वाले हैं। खरसिया विधानसभा सीट पर ओपी के खिलाफ कांग्रेस के वर्तमान विधायक उमेश पटेल मैदान में हैं। पटेल कहते हैं कि उनका मुकाबला ओपी से नहीं, बीजेपी से है। वहीं ओपी चुनावी भाषणों में अपने सफर के अलावा कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी और पार्टी की संस्कृति पर हमला कर रहे हैं। 35 साल से पत्रकारिता कर रहे रुचिर इस वक्त राज्य के तीसरे नंबर के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट से खड़े हो रहे हैं। सरकारी जमीन पर रिसॉर्ट बनाने के आरोप में घिर चुके बृजमोहन के खिलाफ हैं। वह पिछले 25 साल से लगातार विधायक रहे हैं। ऐसे में पैसा बनाम ईमानदारी की बात कह रुचिर गर्ग कांग्रेस पार्टी की तरफ से मैदान में उतर रहे हैं। देवेंद्र यादव मात्र 28 साल की उम्र में भिलाई नगर के महापौर बन गए थे। मतदाताओं में उनकी पकड़ का आलम ये है कि तीन साल पहले हुए निगम चुनाव में उन्हें 46,000 वोटों से जीत मिली थी। छत्तीसगढ़ एनएसयूआई के अध्यक्ष रह चुके देवेंद्र राज्य के मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय के खिलाफ लड़ रहे हैं। 31 साल के इस कांग्रेसी नेता को राहुल गांधी का काफी करीबी माना जाता है। वह एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव भी रहे हैं। व्यापारिक पृष्ठभूमि परिवार के यादव के भाई का शराब का कारोबार भी रहा है। हालांकि फिलहाल राज्य में केवल सरकारी ठेके चल रहे हैं। भाई का बार है। कहा जा रहा है कि जितनी उम्र देवेंद्र यादव की है उतने साल से तो प्रेम प्रकाश राजनीति कर रहे हैं। लेकिन गूंजे धरती गूंजे आकाश, आ रहा है प्रेम प्रकाश, के सामने वह बदल रही है हवा, आ रहे हैं युवा जैसे नारों के साथ मैदान में उतर चुके हैं। इसके अलावा कुछ रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी भारत सिंह भी मैदान में उतर चुके हैं। उन्होंने 23 अक्टूबर को राहुल गांधी के सामने कांग्रेस का दामन थामा है। प्रबल संभावना है कि वह पाली तानाखार सीट से चुनाव लडऩे जा रहे हैं। इस सीट पर राज्य कांग्रेस से कार्यकारी अध्यक्ष रहे रामदयाल उईके भी चुनाव लडऩे जा रहे हैं। उईके ने 19 अक्टूबर पाला बदला और बीजेपी का दामन थाम लिया। यह सीट कभी भी बीजेपी के पास नहीं रही है। उईके को शामिल कर बीजेपी इस बार इसे अपने खाते लाना चाहती है। एक्स आईपीएस भारत सिंह रिटायर होते ही इस इलाके में सामाजिक कार्य करने में लग गए थे। बीजेपी के नेताओं के साथ नजदीकियां बढ़ाने लगे थे। पुलिस से जुड़े एक आयोग में उनकी नियुक्ति भी हो गई। लेकिन ऐन मौके पर उईके ने बीजेपी का दामन थामा और इसके साथ ही अमित शाह ने उन्हें इस सीट पर प्रत्याशी भी घोषित कर दिया। अपना पत्ता साफ होता देख भारत सिंह ने कांग्रेस ज्वाइन करने की सोची। बीते 23 अक्टूबर को जब राहुल छत्तीसगढ़ के दौरे पर पहुंचे तो सिंह उनसे मिलने कांग्रेस कार्यालय तक पहुंच गए थे। ऐन मौके पर कहीं से फोन आया और वह बिना मिले ही वहां से निकल गए। फिर अचानक शाम को कांग्रेस कार्यालय पहुंच उन्होंने हाथ का दामन थाम लिया। इसके अलावा डीएसपी रहे विभोर सिंह ने कोटा सीट पर टिकट की उम्मीद में नौकरी छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। 2013 में कांकेर से चुनाव लडऩे के लिए आईएएस शिशुपाल सोरी ने वीआरएस ले लिया था, उन्हें कांग्रेस ने 2018 में कांकेर से अपने ही दल के विधायक शंकर ध्रुवा की टिकट काटकर प्रत्याशी बनाया है। कोरबा में कलेक्टर रह चुके आर पीएस त्यागी रिटायर्ड आईएएस बजी कटघोरा से कांग्रेस के दावेदार हैं। पूर्व आईपीएस आरसी पटेल ने भी कांग्रेस का दामन थामा है हालांकि उन्होंने चुनाव लडऩे की इच्छा नहीं जताई है। -रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला
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