18-Oct-2018 06:22 AM
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छत्तीसगढ़ की सियासत में सीडी हमेशा से एक अहम किरदार निभाती आई है। प्रदेश की राजनीति पर नजर रखने वाले सियासी विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव से पहले सीडी का आना नई बात नहीं है। इसकी परंपरा राज्य के पहले चुनाव से शुरू हो गई थी। हाल ही में जो सीडी आई हैं, वह कांग्रेस के नेताओं से जुड़ी है।
कहा जा रहा है कि हालिया सीडी में टिकट के बंटवारे को लेकर सीडी में कथित लेन-देन की बात का ऑडियो है, जिसे लेकर शिकायत सीधे कांग्रेस अध्यक्ष से की गई है। चर्चा है कि टिकट बंटवारे को लेकर प्रभारी और अध्यक्ष एकमत नहीं हो पा रहे थे, ऐसे में पहले पुनिया की सीडी आई और उसके बाद अध्यक्ष बघेल की सीडी। कहा तो यहां तक जा रहा है कि पुनिया की सीडी के पीछे बघेल का ही हाथ है, उन्होंने अपने जिस भरोसेमंद से सीडी बनवाई थी, उसी ने बघेल की सीडी भी बनी ली। सूत्रों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ के नेता पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिले और उन्होंने इस पूरे मामले की शिकायत राहुल से की।
इन नेताओं का कहना था कि इस चुनावी माहौल में इस बार कांग्रेस के पक्ष में माहौल बन रहा था, ऐसे में बड़े नेताओं के ऐसे खुलासे से पार्टी को नुकसान हो रहा है। बताया जाता है कि इस मामले के सामने आने के बाद राहुल इतने नाराज हैं कि उन्होंने छत्तीसगढ़ में होने वाले अपने 12-13 अक्टूबर के दौरे तक को रद्द कर दिया।
कांग्रेस पार्टी को लग रहा है कि अभी तक कांग्रेस ने वहां रमन सिंह सरकार की कमियों और घोटालों को उठाकर जिस तरह से बीजेपी को बैकफुट पर रखा था, उसकी धार कमजोर हुई है और आज पार्टी खुद बैकफुट पर दिख रही है। रमन सरकार में मंत्री राजेश मूणत से जुड़ी सीडी को लेकर पहले ही कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व पर उंगली उठ रही थी, अब हालिया सीडी में उनका नाम सीधे आने से पार्टी खासी असहज है। एक तरफ पूर्व सीएम अजीत जोगी ने मायावती से हाथ मिलाकर कांग्रेस के लिए पहले ही मुश्किलें बढ़ाई हैं, ऐसे में अब कांग्रेस के अपने घर में उठा धुआं उसकी इन मुसीबतों को और बढ़ाता दिख रहा है।
आपको बता दें 26 अक्टूबर 2017 को जैसे ही कांग्रेस ने अश्लील सीडी के मामले का खुलासा किया, तभी से भाजपा ने कांग्रेस के इस दांव को धोबी पछाड़ देते हुए न सिर्फ सीबीआई जांच की घोषणा की थी अपितु समय-समय पर भूपेश पर आक्रामक प्रहार भी कर रही थी। सीएम डॉ. रमन सिंह भी कई सभाओं में कांग्रेस को इस घृणित राजनीति के लिए जिम्मेदार बताते हुए जनता के बीच कांग्रेस के चाल चरित्र और चेहरे को काला बताने में एक तरह से कामयाब भी रहे थे। भूपेश से भी पार्टी के कई बड़े नेता इस मामले में कन्नी काट रहे थे लेकिन विनोद वर्मा की गिरफ्तारी और भूपेश पर एफआईआर ने कांग्रेस को एकजुटता का पहला मौका दिया। इसके बाद मामले में आरोपी बनाए गए रिंकू खनूजा की सीबीआई की प्रताडऩा से मौत के आरोप ने कांग्रेस को दूसरा ऐसा मौका दिया जिससे भाजपा को बैकफुट पर लाया जा सके। कांग्रेस ने इसे जमकर भुनाया इसके लिए जांच समिति बनाई गई, सोशल मीडिया पर रमन सिंह मौन करके कैंपेन भी किया। यहीं से भाजपा ने जो कांग्रेस को उसी के दांव में उलझाया था। वो खुद ही उलझती नजर आई, इसके बाद भाजपा नेता कैलाश मुरारका की मामले में संलिप्तता ने भाजपा को मुश्किल में डाल दिया।
इस घटनाक्रम में जैसे ही कांग्रेसियों को भूपेश सीबीआई के समन की जानकारी मिली उन्होंने तुरंत रणनीति बदली और यह एक रात पहले ही तय कर लिया कि यदि गिरफ्तारी का आदेश होता है तो वे बेल नहीं लेंगे सीधे जेल जाएंगे और सत्याग्रह करेंगे। दूसरी तरफ बाकि सारे कांग्रेसी जेल भरो आंदोलन करके प्रदेश में भाजपा की लोकतंत्र की हत्या करने वाली सरकार की तरह जनता के सामने रखेगी। कांग्रेस अपने इस प्लान में एक तरह से कामयाब भी रही। जनता के बीच ये संदेश गया कि भूपेश ने नरेन्द्र मोदी को काले झंडे दिखाए थे इसलिए उन्हें जेल भेजा गया है, यदि जानकारों की माने तो भूपेश ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं, एक तो सीडी कांड के कलंक को भाजपा के बदले की तरह पेश कर इसे धो दिया है, दूसरी तरफ ये दिखाने में कामयाब हुए हैं कि गरीब, शोषितों की आवाज उठाने के कारण उन्हें सरकार ने फंसाया है।
राजनैतिक हथियार
छत्तीसगढ़ की सियासत में सीडी हमेशा से दुश्मनों और प्रतिद्वंद्वियों को निपटाने के लिए राजनैतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल होती रही है। मजे की बात है कि इस हथियार का इस्तेमाल दोनों बड़ी पार्टियों कांग्रेस व बीजेपी ने अपनी सुविधानुसार किया है। हालांकि जिसने भी सीडी को हथियार बनाया कहीं न कहीं खुद भी इसका शिकार हो गया। फिर चाहे राज्य के पहले सीएम अजीत जोगी रहे हों या फिर कांग्रेस के भूपेश बघेल। इसकी शुरुआत राज्य के पहले चुनाव से पहले ही हो गई थी, जब 2003 में एनसीपी के एक नेता की हत्या से जुड़ी कुछ सीडियां बाजार में आईं।
-रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला