02-Aug-2013 09:51 AM
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फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह को करीब से जानना चाहते हैं तो इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म भाग मिल्खा भागÓ को मिस ना करें। हो सकता है शुद्ध मनोरंजन की चाह रखने वालों की कसौटी पर यह फिल्म खरी

नहीं उतरे लेकिन उद्देश्यपूर्ण और पीरियड फिल्मों के चहेतों को यह जरूर पसंद आएगी। फिल्म की खासियत यह है कि जिस तरह मिल्खा सिंह ने अन्य हस्तियों से अलग कदम उठाते हुए अपने जीवन पर फिल्म बनाने की इजाजत एक रुपए की टोकन मनीÓ लेकर दे दी उसी तरह फिल्म से जुड़ी पूरी टीम ने मिल्खा को एक बार फिर जनता की नजरों में हीरो बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है। फिल्म की शुरुआत रोम से होती है जहां पर 1960 में आयोजित ओलंपिक में मिल्खा सिंह (फरहान अख्तर) बिजली की रफ्तार से दौडऩे वाले धावक के रूप में पहचान बनाता है। एक बार दौड़ के दौरान वह पीछे मुड़ कर क्या देख लेता है उसके जीवन में जैसे समस्याओं की शुरुआत हो जाती है। कुछ समय बाद भारत पाक बंटवारे के दौरान दंगाइयों के हाथों मिल्खा के परिजन मारे जाते हैं।
दंगाइयों से बचते बचाते वह दिल्ली पहुंचता है और यहां एक रिफ्यूजी कैंप में उसे अपनी बहन (दिव्या दत्ता) मिल जाती है। दिल्ली के शाहदरा में रहने वाली निर्मल कौर (सोनम कपूर) से मिल्खा प्यार कर बैठता है तो वह उसे कोई ईमानदारी भरा काम करने को कहती है। उसकी बात मानकर मिल्खा फौज में भर्ती हो जाता है। फौज में उसके कोच (पवन मलहोत्रा) प्रशिक्षण के दौरान पाते हैं कि मिल्खा में एक अच्छा धावक बनने के गुण मौजूद हैं। वह उसके हुनर को पहचान कर उसे और प्रशिक्षण देते हैं और मिल्खा भी पूरी मेहतन करके भारत की झोली में कई पदक लाता है। मिल्खा के रोल को पहले अक्षय कुमार को आफर किया गया था लेकिन उनके पास समय नहीं होने के कारण यह रोल फरहान के पास गया। फरहान ने पूरी ईमानदारी के साथ मिल्खा के किरदार को निभाया है। उन्होंने गजब का अभिनय किया है। सोनम कपूर और दिव्या दत्ता का काम भी अच्छा रहा। पवन मलहोत्रा भी जमे हैं। फिल्म का गीत संगीत पहले ही हिट हो चुका है। निर्देशक राकेश ओम प्रकाश मेहरा की यह फिल्म इंटरवल के बाद कहीं कहीं कुछ बोझिल सी लगती है इसलिए इसकी अवधि में कुछ कमी की जा सकती थी। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक और लोकेशन बेहतरीन हैं। फिल्म एक बार जरूर देखने लायक है।