02-Nov-2018 06:13 AM
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देश के हृदय प्रदेश की राजधानी भोपाल तस्करी का ट्रांजिट प्वाइंट बन गया है। यहां से देश-विदेश में वन्य प्राणियों और जलीय प्राणियों की तस्करी की जा रही है। इसी साल फरवरी में सागर में फॉरेस्ट एसटीएफ की टीम द्वारा चीन और मलेशिया सहित एक दर्जन देशों के मोस्ट वांटेड कछुआ तस्कर मनिवन्नम मुर्गेसन की गिरफ्तारी के बाद हुआ है। उसके बाद थोड़ी सी सतर्कता पर वन विभाग ने यहां कई कछुआ और सेंडबोआ सांपों के तस्करों को गिरफ्तार किया है। बीते पांच महीने में 9 सेंडबोआ सांप और 12 तस्कर पकड़े जा चुके हैं। तस्करी में भोपाल के आसपास के जिले व दूसरे प्रदेश के लोग शामिल हैं जो भ्रांतियों में फंसकर इन सांपों की खरीदी-बिक्री करने में जुटे हैं।
अभी तक गिरफ्तार तस्करों से बरामद कछुओं से यह बात साफ हो गया है कि सबसे ज्यादा तस्करी रेड क्राउंट रुफ यानी तिलकधारी कछुओं की हो रही है। दूसरे नंबर पर इंडियन टेन प्रजाति के कछुए हैं। इंडियन टेन प्रजाति के कछुओं की तस्करी करने वाले तस्करों ने पूछताछ में एसटीएफ वाइल्ड लाइफ को बताया कि पहले कछुओं को भोपाल लाया जाता है इसके बाद इन्हें दिल्ली, बेंगलुरू, चेन्नई, कोलकाता भेजा जाता है। एपीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ आलोक कुमार ने बताया कि तस्करों से पूछताछ की जा रही है। उन्होंने बताया कि कछुओं की तस्करी करने वालों का फोटो 10 मिनट पहले वॉट्सएप से भेजा जाता है। भोपाल में व्यक्ति उस हुलिए की महिला या बच्चे से माल लेता है। इसके बाद में माल इटारसी पहुंचाया जाता है। उन्नाव से पकड़ी गई महिला तस्कर ने बताया कि उसे यह नहीं मालूम है कि भोपाल में कितने लोग काम कर रहे हैं। उन्हें माल पहुंचाने के लिए एक बार के 30 हजार रुपए मिलते हैं। चंबल, यमुना, सिंधु व पहुज नदियों से कछुओं को पकड़कर भेजा जाता है।
भारत में 300 प्रजाति के कछुए पाए जाते हैं। इसमें से 15 प्रजाति के कछुओं को वन्य प्राणी अधिनियम 1972 के तहत शेड्यूल 1 की सूची में रखा गया है। इसमें सबसे दुर्लभ रेड काउंट रुफ कछुआ है। इसकी कीमत डेढ़ लाख रुपए है। वहीं इंडियन टेन प्रजाति के कछुए की कीमत एक लाख रुपए है। साधारण एक कछुआ 5 सौ से 5 हजार रुपए तक मिलते हैं।
इसी तरह भोपाल सेंडबोआ सांपों की खरीद-फरोख्त का गढ़ बनता जा रहा है। भोपाल में सेंडबोआ सांपों की खरीदी-बिक्री भी वॉट्सएप के जरिए की जा रही है। तस्कर खरीदारों को पहले सेंडबोआ सांपों की फोटो भेजते हैं फिर सौदा करते हैं। जून में पकड़े गए तस्करों ने पूछताछ में यह बात बताई थी। इसी के आधार पर खरीदारों ने तीन सेंडबोआ सांपों की कीमत 25 लाख व 4 की कीमत 30 लाख रुपए लगाई थी। सांप लेकर आरोपित भोपाल भी पहुंच गए थे, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। ऐसे सांप छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा से भी यहां लाकर बेचने की बात सामने आ रही है।
25 जून को कटारा हिल्स क्षेत्र से शंकर सिंह तोमर, मुकेश भार्गव दोनों निवासी इंदौर, लाखन सिंह देवास, अहरार खान भोपाल, दौलतराम लोधा राजगढ़ को 3 सेंडबोआ सांपों के साथ पकड़ा गया। इन्हीं की निशानदेही पर भोपाल-इंदौर रोड पर खजूरी नाके के पास से उसी दिन विष्णु बैरागी, दशरथ सिंह, नरेश पटेल तीनों निवासी इंदौर, हुकुमनाथ खरगौरन व नवाब खान देवास को 4 सेंडबोआ के साथ पकड़ा गया था। 23 अक्टूबर को बैरागढ़ चिचली क्षेत्र से शाहपुरा पुलिस ने दीपकनाथ व आमीरनाथ को एक सेंडबोआ सांप के साथ पकड़ा। वन विभाग इन आरोपितों के पास से दूसरा सेंडबोआ भी मिला। सेंडबोआ सांपों को बेचने के लिए दिल्ली और हरियाणा से भोपाल आए दो बाबाओं को कोर्ट ने 7 नवंबर तक जेल भेज दिया। इन बाबाओं को शाहपुरा थाने की पुलिस ने बैरागढ़ चिचली क्षेत्र से पकड़ा था। इनके पास से दो सेंडबोआ सांप मिले थे। कोर्ट ने दोनों सांपों को वन विहार भेजने के आदेश दिए हैं। सीसीएफ भोपाल वृत्त डॉ. एसपी तिवारी कहते हैं कि वन विभाग का उडऩदस्ता लगातार निगरानी कर रहा है इसलिए बड़ी संख्या में तस्करों को पकड़ा जा रहा है।
ऐसे राडार में आया
वन विभाग की राडार में मुर्गेसन आगरा के तस्कर अजय चौहान की गिरफ्तारी के बाद आया, जो रेडक्राउन रूटेड कछुआ तस्करी करते पकड़ा गया था। पूछतांछ में उसने मुर्गेसन के बारे में कई अहम जानकारियां दी थीं। इसके बाद मोहम्मद इरफान की कोलकाता से हुई गिरफ्तारी से भी बड़े सुराग हाथ लगे थे। बताया गया है कि मुर्गेसन ने वन्य जीवों की तस्करी का लंबा जाल फैला रखा था। वह भारत में इस अवैध कारोबार को संचालित करता था। वह वन्य जीवों की तस्करी के मामले में दुनिया का तीसरे नंबर का कुख्यात आरोपी है। पेशे से व्यापारी मुर्गेसन का वन्य जीवों का अवैध कारोबार सिंगापुर सहित थाइलैंड, मलेशिया, मकाऊ, हांगकांग, चीन और मेडागास्कर में फैला हुआ है। मुर्गेसन की गिरफ्तारी से इन देशों को भी अपने यहां चल रहे नेटवर्क को ध्वस्त करने में मदद मिलेगी। बताया गया है कि इंटरपोल की नजर उस पर पहले से ही लगी हुई थी।
- अरविंद नारद