मायाजाल में उलझी कांग्रेस
18-Oct-2018 07:58 AM 1234794
मप्र कांग्रेस यह उम्मीद लगाए बैठी थी कि वह बसपा, सपा और गोंगपा से गठबंधन कर 15 साल बाद सत्ता में वापसी कर लेगी। लेकिन पार्टी मायाजाल में ऐसी फंसी की उससे उबरती नजर नहीं आ रही है। आलम यह है कि अक्टूबर का पहला पखवाड़ा बीत जाने के बाद भी कांग्रेस अपनी पहली सूची भी जारी नहीं कर सकी है। उधर पार्टी में टिकटों के कारण रोज बवाल हो रहा है। टिकट के दावेदार भोपाल से लेकर दिल्ली तक एक किए हुए हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ अभी भी मैनेजमेंट में लगे हुए हैं वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी फील्ड में पसीना बहा रहे हैं। ऐसे में टिकट के दावेदार टकटकी लगाए हुए हैं। बताया जाता है कि कांग्रेस में टिकट को लेकर नेता एक नहीं हो पा रहे हैं। पार्टी के रणनीतिकारों का दावा है कि उन्होंने अपने नामों की सूची फाइनल कर दी है। पहली सूची में करीब एक सौ बीस नाम शामिल होने की संभावना है। इन नामों को चार दिनों तक दिल्ली में हुई स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में तय किया गया है। कहा जा रहा है कि यह पहली सूची अगले हफ्ते होने वाली केन्द्रीय निर्वाचन कमेटी की बैठक के बाद जारी की जाएगी। माना जा रहा है कि यह बैठक सत्रह अक्टूबर को हो सकती है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा तय किए गए 120 सिंगल नामों में 47 मौजूदा विधायकों के भी नाम शामिल है। इसके अलावा 2013 के विधानसभा चुनाव में तीन हजार से कम वोटों से हारने वाले उम्मीदवारों को दोबारा मौका देने के लिए उनके नामों पर सहमति बन गई है। हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए तीन चार बड़े नेताओं का नाम भी पहली सूची में है। दिल्ली में चार दिन तक चली स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में सीटों के लिए तैयार किए गए पैनल में नाम तय करने का काम पूरा कर लिया गया है। जिन सीटों पर पैनल में पांच नाम थे, उनमें से दो से तीन नाम हटा दिए गए हैं और अब सिर्फ दो और तीन नाम रह गए है। लेकिन इस खबर पर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को विश्वास नहीं है। उधर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के भोपाल में हुए धमाकेदार रोड-शो और जोशीले भाषण के बाद जो उत्साह और उमंग की हिमालयीन उछाल कांग्रेसजनों में पैदा हुई है, उसमें जोश बरकरार रखने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, समन्वय समिति के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह, चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह पूरी ताकत लगा रहे। कांग्रेसजनों में उत्साह बना रहे इसके लिए राहुल गांधी लगातार रोड-शो और आमसभा कर रहे हैं। यही नहीं राहुल गांधी ने उदार हिंदुत्व का रास्ता मध्यप्रदेश में भी पकड़ लिया है। ऐसे में प्रदेश की राजनीति में यह जुमला भी काफी चल निकला है कि कांग्रेस इन दिनों चुनावी वैतरणी पार करने के लिए राम-भरोसे है? कांग्रेस की चुनावी हार या जीत टिकट वितरण की टेबल पर तय हो जाती है। यदि कांग्रेस गुटबाजी के दलदल में फंसकर मैदानी पकड़ वाले प्रत्याशियों को दरकिनार कर चहेतों को टिकट थमा देगी तो फिर शिव, राम और नर्मदा भक्त राहुल गांधी का भक्तिरस में सराबोर होना भी शायद उसे सत्ताशीर्ष तक पहुंचाने में कारगर न हो पाये। कांग्रेस को यदि डेढ़ दशक बाद अपने वनवास को समाप्त करते हुए सत्ता के शीर्ष पर पहुंचना है तो 1993 की तरह उदारता दिखाना होगी। उस समय एक-दूसरे गुट के जमीनी पकड़ वाले उम्मीदवारों के प्रति तत्कालीन मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्यामाचरण शुक्ल, अर्जुनसिंह, माधवराव सिंधिया और प्रदेश अध्यक्ष के रूप में दिग्विजय सिंह ने जैसी उदारता दिखाई थी वैसी ही उदारता क्या उम्मीदवारों का चयन करते समय भी इस बार कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और अजय सिंह दिखा पायेंगे। ऐसा होता है तभी कांग्रेस को सत्ता में आने की उम्मीद रखना चाहिए, अन्यथा केवल अंधा बांटे रेबड़ी चीन्ह-चीन्ह कर देय वाली कहावत यदि चरितार्थ हुई तो फिर हो सकता है कि शायद मंदिर-मंदिर भटकना भी कांग्रेस की आंखों में तैरते सपने को पूरा न कर पाये। कांग्रेस की पहली लिस्ट जल्द अभी तो राहुल बाबा मप्र की सैर में लगे हैं और यहां के टिकटों की पहली सूची 22 अक्टूबर के आसपास आना संभावित है। 20 टिकट ऐसे रहेंगे, जिनके फैसले अंतिम समय तक हो पाएंगे। कांग्रेस के भीतरखाने के सूत्र बताते हैं कि इस समय मप्र के 230 टिकटों को लेकर पार्टी के भीतर जमकर मारकाट मची हुई है। हर इलाके का क्षत्रप अपने इलाके के ज्यादा से ज्यादा टिकट अपनी झोली में डालना चाहता है। कमलनाथ से लेकर दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर सुरेश पचौरी, अरुण यादव से लेकर कांतिलाल भूरिया और अजयसिंह से लेकर छोटे-मोटे सभी क्षत्रप अपने-अपने अंचल के ज्यादा से ज्यादा टिकट कबाडऩे में लगे हैं। गुजरात और कर्नाटक पैटर्न पर टिकट बांटने का दावा करने वाली कांग्रेस की असली तस्वीर फिर नजर आने लगी है। स्क्रीनिंग कमेटी के वही पुराने चेयरमैन मधुसूदन मिस्त्री अपने ढंग से टिकटों की स्क्रीनिंग कर रहे हैं। - अरविंद नारद
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