18-Oct-2018 07:21 AM
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दिल्ली की गंदगी पर सुप्रीम कोर्ट तक कई बार सख्त टिप्पणियां कर चुका है पर इसके बावजूद सफाई और सफाई कर्मचारियों को वेतन देने के मुद्दे पर दिल्ली सरकार और भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम आमने-सामने है। पूर्वी दिल्ली निगम के सफाई कर्मचारियों की हड़ताल 29 दिनों तक चली और इस दौरान आम आदमी पार्टी और भाजपा नेताओं के बीच रोज तकरारें होती रहीं। सफाई के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया जाता रहा।
दिल्ली नगर निगम तीन हिस्सों में बंटा हुआ है। पूर्वी दिल्ली निगम, उत्तरी और दक्षिणी निगम। तीनों निगमों में भाजपा का राज है जबकि दिल्ली में सरकार आम आदमी पार्टी की है। साफ-सफाई का काम स्थानीय निकायों का है। दिल्ली निगम के कर्मचारी वेतन, दिवाली पर बोनस और अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने जैसी कुछ मांगों को लेकर हड़ताल पर थे। सफाई कर्मचारियों ने धरने, प्रदर्शन किए। पुलिस ने लाठियां बरसाईं। हड़ताल के दौरान दिल्ली में सफाई का काम ठप्प हो गया सड़कों, गलियों में कूड़ेकचरे के ढेर लग गए। कई कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया। उधर नेता आपस में एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल कर खड़े हो गए। दिल्ली सरकार ने कहा कि केंद्र ने सफाई कर्मियों का पैसा दिया नहीं है जबकि दिल्ली भाजपा के नेताओं का कहना था कि पैसा केंद्र तो दे चुका है पर आम आदमी पार्टी की सरकार ने कर्मचारियों के हिस्से का पैसा नहीं दिया। केंद्र सरकार ने दिल्ली को आवंटित पैसे का सही उपयोग न करने का आरोप लगाया।
केंद्र सरकार यह भुगतान करने को तैयार है। सरकार ने कहा है कि वर्ष 2018-19 के लिए आवंटित 790 करोड़ रुपए के बजट प्रावधान के अलावा अतिरिक्त धनराशि देने की गुंजाइश नहीं है। इस आवंटन के 325 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। दिल्ली सरकार का दावा है कि केंद्र शासित पांच राज्यों में से दिल्ली को सबसे कम बजट मिलता है। आंकड़ों से यह स्थिति स्पष्ट की गई है। चंडीगढ़ को 4084 करोड़, पुदुचेरी को 1476 करोड़, अंडमान निकोबार को 4523 करोड़ दिए जाते हैं। आप नेताओं का कहना है कि फंड के मामले में केंद्र सरकार गुमराह कर रही है। दिल्ली के साथ भेदभाव अपनाया जा रहा है। स्थानीय निकायों को ग्रांट इन एड नहीं मिलने से यह संकट खड़ा हुआ है।
दरअसल दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारियों को ही नहीं, अस्पतालों में डाक्टरों तक को समय से वेतन नहीं मिल पाता। अस्पताल के कर्मचारी भी आए दिन वेतन को लेकर हड़ताल पर रहते हैं। केंद्र सरकार की नाक के नीचे राजधानी दिल्ली में साफ-सफाई और स्वास्थ्य से जुड़े महकमों को महीनों तक वेतन नहीं मिलना लापरवाही और आपसी राजनीतिक प्रतिद्वंदिता का नतीजा है। राजनीतिक नफा-नुकसान के चक्कर में आम जनता पिस रही है। कई बार लगता है दिल्ली में विपक्ष आम आदमी पार्टी की सरकार को तंग करने के मकसद से भाजपा और केंद्र सरकार आम जनता से जुड़े बुनियादी कामों में बेवजह की अड़चनें पैदा करती है। यह एक बड़े दल और उसकी ऊपर केंद्र में बैठी सरकार के लिए शोभा नहीं देता। दिल्ली की टैक्सपेयर जनता का क्या कसूर है। आपसी राजनीतिक लाभ के फेर में जनता को परेशान क्यों किया जाए।
ईस्ट दिल्ली में रोजाना करीब 2600 मीट्रिक टन कूड़ा जनरेट होता है। इस महीने 12 सितंबर से 9 अक्टूबर तक 28 दिन तक चली सफाई कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से गलियों में झाड़ू लगनी बंद हो गई थी। कई इलाकों में टिपर नहीं पहुंचने से लोग चौराहों और छोटी-छोटी गलियों में कूड़ा फेंकने लगे थे, जिससे वहां ढेर लगने लगे थे। इस दौरान बारिश होने से कूड़ा बदबू मारने लगा था और कई जगह लोगों ने परेशान होकर कूड़े में आग तक लगा दी थी। यह स्थानीय सरकार की विफलता का ही परिणाम है कि देश की राजधानी दिल्ली दिन पर दिन गंदी होती जा रही है।
धीरे-धीरे अब फिर
घुटने लगा है दम
राजधानी में धीरे-धीरे प्रदूषण की चादर गहरी होती जा रही है। इस सीजन में पहली बार दिल्ली का एक क्षेत्र प्रदूषण के मामले में खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। डीटीयू में शाम 6 बजे एयर इंडेक्स 459 दर्ज हुआ। प्रदूषण की मुख्य वजह यहां पीएम 10 रहा। ऐसे में अब प्रदूषण को कंट्रोल करने में लगी विभिन्न एजेंसियों व विभागों की परेशानियां भी बढऩे लगी हैं। डीटीयू ही नहीं बल्कि बवाना, मुंडका, द्वारका, वजीरपुर, नरेला, आनंद विहार, गुरुग्राम, भिवाड़ी, साहिबाबाद जैसे कुछ क्षेत्र इस बार ईपीसीए की हॉट लिस्ट में शामिल हैं। यह हॉट लिस्ट डीपीसीसी (दिल्ली पल्युशन कंट्रोल बोर्ड) की मदद से तैयार की गई है। डीटीयू के अलावा दिल्ली के बवाना, मुंडका, द्वारका सेक्टर-8, वजीरपुर भी बेहद खराब स्थिति में रहे। यहां एयर इंडेक्स 300 से अधिक रहा। गौरतलब है कि इनमें से डीटीयू और द्वारका को छोड़ दिया जाए तो अन्य सभी जगहों पर इंडस्ट्री काफी अधिक संख्या में हैं।
- अक्स ब्यूरो