02-Aug-2013 09:33 AM
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छत्तीसगढ़ में इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक के पूर्व मैनेजर उमेश सिन्हा की विवादास्पद सीडी ने विपक्ष को सरकार के खिलाफ एक और मुद्दा प्रदान कर दिया है। नेता प्रतिपक्ष रवीन्द्र चौबे का कहना है कि गरीबों की कमाई से एक एक रुपए जोड़ कर की गई बचत में से 58 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ ओर उस घोटाले को दबाने के लिए मुख्यमंत्री सहित तमाम मंत्रियों को करोड़ रुपए की घूस बांटी गई। सिन्हा का नार्कों टेस्ट भी सरकार के आदेश पर किया गया जिसमें सिन्हा ने मुख्यमंत्री रमन सिंह सहित कई मंत्रियों को एक-एक करोड़ रूपए घूस देने का आरोप लगाया है। सरकार कह रही है कि ऐसी किसी सीडी का अस्तिव नहीं है। शिक्षा मंत्री ब्रजमोहन अग्रवाल कहते हैं कि कांग्रेस पुराने मामलों को उठाकर असत्य को सत्य बनाने की कोशिश कर रही है। जबकि कांग्रेस का कहना है कि यदि दोषी के खिलाफ कोई जांच चल रही है तो अदालत में बतौर सबूत वह सीडी रहनी चाहिए। सहकारी बैंक की चैयर पर्सन रीता तिवारी का कहना है कि सिन्हा ने जो कुछ नार्को टेस्ट में कहा है वह गलत है मंत्रियों को किसी प्रकार की रिश्वत नहीं दी गई। तिवारी के इस कथन ने सरकार के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है। सरकार जहां सीडी और सिन्हा द्वारा कही गई बात का ही अस्तित्व नकार रही है वहां रीता तिवारी सिन्हा द्वारा कही गई बात को स्वीकारते हुए यह तो कह रही हैं कि सिन्हा ने गलत कहा है। प्रश्र यह है कि यदि सिन्हा ने कुछ बोला है तो उसे बतौर सबूत अदालत में प्रस्तुत क्यों नहीं किया जा रहा है। सरकार को घेरते हुए कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री पर हमले जारी रखेगी। इस मामले में कांग्रेस की भी किरकिरी हो गई। क्योंकि बैंक की चैयरमेन रीता तिवारी का संबंध कांग्रेस से है तिवारी को पहले इस मामले में गिरफ्तार किया गया था बाद में वह जमानत पर रिहा हो गई। सवाल यह है कि उमेश सिन्हा ने नार्को टेस्ट में जो कुछ कहा और कांग्रेस ने जो सीडी जारी की है उसमें कुछ संबंध है? कांग्रेस का कहना है कि सीडी असली है। यह सीडी कांग्रेस तक कैसे पहुंची जबकि नार्को टेस्ट आमतौर पर अत्यंत गोपनीय रखे जाते हैं आवश्यकता पडऩे पर न्यायलय इन्हें मंगा सकता है। कई बार न्यायलय नार्को टेस्ट को ठुकरा भी देता है।
विशेषज्ञ कहते हैं कि नार्को टेस्ट गलत भी हो सकता है लेकिन सिन्हा ने नार्को टेस्ट में झूठ बोला तो झूठ बोलने का कारण क्या है? उसे किसने झूठ बोलने के लिए उकसाया था जांच में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि उमेश का नार्को टेस्ट करने के बाद दोबारा उसका परीक्षण किया गया।
बंगलौर में परीक्षण के बाद उसने कथित रूप से मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, तत्कालीन वित्त मंत्री अमर अग्रवाल, लोक निर्माण मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, आवास एवं पर्यावरण मंत्री राजेश मूणत और सहकारिता मंत्री रामविचार नेताम को एक-एक करोड़ रुपये बांटने का कहा था। बृजमोहन अग्रवाल का कहना था कि इस सीडी को न्यायालय में सबूत के तौर पर पेश ही नहीं किया गया है, क्योंकि जांच के दौरान बयानों में विरोधाभास मिला था। अग्रवाल ने कहा कि दरअसल यह कांग्रेस की अंतर्कलह का परिणाम है, जो बरसों पुरानी सीडी को सनसनीखेज खुलासे की तरह पेश किया गया। नार्को टेस्ट के नाम पर पेश की गई सीडी फर्जी है, यह बात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जानते हैं। यही वजह है कि उनकी पत्रवार्ता में कोई बड़ा लीडर नहीं था। सीडी 2007 में बनी है। यह मामला खुलने के बाद चेयरमैन रीता तिवारी विदेश चली गई। कांग्रेस नेता का कहना है कि यह सीडी दिवंगत नेता पटेल 15 जून को जारी करने वाले थे। झीरम घाटी नक्सली हमले से दो दिन पहले 23 मई को कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी को उन्होंने एक एसएमएस भेजा था कि वे 15 जून को बड़ा खुलासा करेंगे, जिससे मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ जाएगा। लेकिन उससे पहले नक्सली हमले में उनकी मौत हो गई।
इस मामले की रिपोर्ट सिटी कोतवाली थाने में 9 जनवरी 2007 को दर्ज कराई गई। धारा 409,420,467,468, 201 एवं 120 बी के तहत जुर्म पंजीबद्ध किया गया। लेकिन अभी तक गबन की राशि बरामद नहीं हो पाई है, जिसके कारण खातेदारों के जमा रुपये वापस करने की विवशता बैंक के सामने है। डिपाजिट इंश्योरेंस एण्ड क्रेडिट गारंटी कारपोरेशन मुबंई से 13 करोड़ रुपये प्राप्त कर एक लाख की सीमा तक के छोटे खातेदारों को रकम वापस की जा रही है। किंतु डीआईसीजीसी से प्राप्त रकम उसे वापस करना भी एक अनिवार्य शर्त है तथा खातेदारों की शेष राशि भी वापस करना है, जो अभियुक्तों से वसूली हुए बिना संभव नहीं है। इस मामले में सीबीआई जांच की मांग भी की गई थी।
2003 से 2006 तक हुआ गबन
यह गबन कथित रूप से वर्ष 2003 से 01.08.2006 तक हुआ। इस दौरान बैंक के 25716 खातेदारों की जमा राशि 54 करोड़ 38 लाख 45 हजार 333.27 रुपये का गबन किया गया फलस्वरूप 02.08.2006 को बैंक का बैंकिंग कारोबार बंद हो गया और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंक का बैंकिंग लाइसेंस निरस्त कर दिया। यह गबन बैंक के निदेशक मंडल एवं कर्मचारियों ने षड्यंत्र रचकर किया। इसके तहत फाल्स एफडीआर, डीडी और पे-आर्डर जारी किए गए और अलग-अलग बैंकों में जमा राशि निकाली गई, जिसे बैंक की लेखा पुस्तकों में दर्ज नहीं किया गया। इस दौरान फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लोन भी बांटे गए। सवाल यह भी है कि सीडी में सच्चाई है तो कांग्रेस ने पिछले चुनाव में इसे मुद्दा क्यों नहीं बनाया? इस मामले में उमेश सिन्हा भूमिगत हो चुके हैं। जीपी सिंह, आईजी, रायपुर का कहना है कि उमेश ने पहले से तय कर रखा था कि उसे क्या कहना है उमेश सिन्हा के नार्को टेस्ट की सीडी में ही कई विरोधाभास हैं। यहां तक कि उमेश सिन्हा ने जो बात एक बार कही, दूसरी बार उसी बात से पलट गया। उमेश सिन्हा और इस मामले में गिरफ्तार बैंक के डॉयरेक्टरों के बयानों में भी विरोधाभास थे। इसलिए पुलिस ने इसे साक्ष्य के रुपये में कोर्ट में प्रस्तुत नहीं किया। यह सीडी आरटीआई के तहत 2009 में उपलब्ध कराई जा चुकी है। उधर रविन्द्र चौबे ने आईजी पर सरकारी प्रवक्ता की तरह कम करने का आरोप लगाया है। चौबे ने पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाये हैं।
रायपुर से संजय शुक्ला के साथ टीपी सिंह