केवल वोट कटवा
17-Sep-2018 09:12 AM 1234921
मप्र की राजनीति में क्षेत्रीय पार्टियों की स्थिति अभी भी मजबूत नहीं हो पाई है। राज्य में भाजपा और कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियों के अलावा कोई अन्य पार्टी का प्रभाव बेहद कम रहा है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के अलावा किसी भी दूसरे क्षेत्रीय दल को कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है। पिछले चुनावों के नतीजों को अगर देखें तो यह बात सामने आती है कि राज्य के कुल वोट में से सिर्फ 19 फीसदी पर ही क्षेत्रीय दल सिमट कर रह गए। इस साल बसपा, गोंगपा, आप और सपा राज्य में तीसरे मोर्चे के रूप में काम कर रहे हैं। वर्तमान स्थिति में इनका कोई मजबूत जनाधार नजर नहीं आ रहा, लेकिन फिर भी यह पार्टियां काफी हद तक चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकती हैं। राज्य में चुनाव के दौरान सीधा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रहा है। इस बार के चुनाव में भी क्षेत्रीय दलों की कोई बड़ी भूमिका नजर नहीं आ रही है। भाजपा के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी है। 15 साल से पार्टी शासन में है और चौथी पारी को लेकर एक संशय की स्थिति नजर आ रही है। कांग्रेस अंतरकलह का शिकार है। बसपा और कांग्रेस में गठबंधन की संभावना है। आम आदमी पार्टी का कोई जनाधार नहीं है। ऐसे में शरद यादव तीसरे मोर्च की कवायद में जुटे हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में छोटे दलों को जोड़कर तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद शुरू हो गई है। इसकी पहल पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव कर रहे हैं। 2 अगस्त को भोपाल में आयोजित सम्मेलन में छोटे दल के नेता एक मंच पर दिखे। जिन दलों के तीसरे मोर्चे में आने की संभावना है, उनके पास फिलहाल कोई सीट तो नहीं है। पर चुनाव में उलटफेर करने की हैसियत ये रखते हैं। 2013 के चुनाव में इन दलों ने 3.5 प्रतिशत से अधिक वोट कबाड़े थे। ऐसे में जब भाजपा और कांग्रेस के कुछ विधायकों के जीत का आंकड़ा महज 2-3 हजार का था, इन दलों के वोट काटने से इस बार भी परिणाम प्रभावित हो सकते हैं। तीसरे मोर्चे में जिन दलों के साथ आने का दावा किया जा रहा है, उनमें गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी है। इसे 2013 में 1.5 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे। इसके अलावा जनता दल यूनाइटेड शरद यादव गुट, राष्ट्रवादी कांग्रेस, शिवसेना, बहुजन संघर्ष दल, समानता दल, महान दल, अखिल भारतीय गोंडवाना पार्टी, भारतीय शक्ति चेतना पार्टी तीसरे मार्चे के घटक में शामिल होने की संभावना है। लेकिन मोर्चे में शामिल होने वाले संभावित दलों में से गोंगपा ने अलग राह पकड़ ली है। राज्य में भाजपा और कांगे्रस इन दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों को छोड़कर बाकी सभी पार्टियों का वोटिंग प्रतिशत लगातार गिर रहा है। यही वजह है कि राज्य की सियासत में कोई भी राजनीतिक दल तीसरी ताकत बनकर नहीं उभर पाया है। राज्य में हर बार पांच राष्ट्रीय, करीब आधा दर्जन क्षेत्रीय पार्टियों के साथ ही पांच दर्जन के करीब गैरमान्यता प्राप्त पार्टियां भाग्य आजमाती हैं। इस बार दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी प्रदेश में भाग्य आजमाएगी। इस बार कांग्रेस बसपा और सपा के साथ गठबंधन की कोशिश कर रही थी, लेकिन अभी तक गठबंधन के आसार नजर नहीं आते दिख रहे हैं। उधर, इस बार चुनाव के लिए गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और समाजवादी पार्टी ने गठबंधन किया है। गोंगपा ने 1998 में हुए चुनाव में एक सीट हासिल की थी। पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष हीरा सिंह मरकाम चुनाव जीतकर विधायक बने थे, लेकिन राज्य गठन के बाद हुए तीन चुनावों में गोंगपा के हाथों कोई सफलता नहीं लगी। अब इस बार समाजवादी पार्टी के साथ गोंगपा ने गठबंधन किया है, लेकिन इसका कोई विशेष जनाधार यहां नजर नहीं आ रहा है। चुनाव प्रचार के दौरान कई सीटों पर त्रिकोणीय व बहुकोणीय मुकाबला नजर आता है, लेकिन ज्यादातर सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सीधी टक्कर होती है। बाकी पार्टियों के अधिकांश प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाते हैं। -रजनीकांत पारे
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^