कंगाली की कगार पर बिजली कंपनियां
17-Sep-2018 07:53 AM 1234769
देश की बिजली कंपनियों पर कर्ज का गहरा संकट मंडरा रहा है। बिजली क्षेत्र से जुड़ी देश की 34 कंपनियों पर 1.5 लाख करोड़ का बैंक कर्ज है। इनमें कई कंपनियां देश के बिजली उत्पादन में योगदान करती हैं। इसमें मप्र के 5 पावर प्लांट भी सूची में हैं, जिनसे प्रदेश को 1505 मेगावाट बिजली मिलती है। इन प्लांट पर ताला लगा तो रबी सीजन में प्रदेश में बिजली संकट गहरा सकता है। इन 5 प्लांट पर अकेले 28 हजार करोड़ रुपए बकाया हैं। इन आंकडों की पुष्टि 37वीं संसदीय रिपोर्ट से हो रही है। गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में मप्र सरकार निजी बिजली कंपनियों से अधिक मात्रा में बिजली खरीदने लगी है इस कारण सरकारी बिजली उत्पादन यूनिट बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं। आलम यह है कि कई बिजली उत्पादन इकाईयां बंद पड़ी हैं। ऐसे में अगर कर्ज में डूबी निजी बिजली कंपनियां बंद होती हैं तो प्रदेश में बिजली संकट गहरा सकता है। बैंक कर्ज नहीं चुकाने की वजह से देश के 34 पावर प्लांट को रिजर्व बैंक डिफाल्टर घोषित कर रहा है। इसमें मप्र के पांच पावर प्लांट के नाम भी आए हैं। बैंक डिफाल्टर घोषित होने पर प्लांट पर बैंक का स्वामित्त हो जाएगा, जिसके बाद प्लांट से बिजली उत्पादन बंद हो सकता है। बैंक पैसा वसूली करने के लिए इन प्लांट को बेचेगी। इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद ही दोबारा प्लांट का संचालन शुरू हो सकेगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि प्लांट का स्वामित्त बदलने से उत्पादन और सप्लाई करार पर असर नहीं होगा। वो यथावत जारी रहेगा। ये जरूर है कि प्लांट ब्रिकी होने तक उत्पादन बंद रहे, जिससे बिजली नहीं मिलेगी। मप्र अभियंता संघ के वीकेएस परिहार के मुताबिक देश के पावर प्लांट पर 2.6 लाख करोड़ रुपए का बैंक कर्ज है, जिसे एनपीए घोषित किया जा चुका है। उनके मुताबिक पावर प्लांट बंद होने से मौजूदा वक्त में कोई असर नहीं दिखेगा। रबी सीजन सितंबर से जनवरी के बीच जब डिमांड 12 हजार मेगावाट के पार होती है तो हर प्लांट से बिजली की डिमांड होती है। ऐसे में प्लांट बंद हुआ तो जाहिर तौर पर संकट पैदा होगा। 7 मार्च 2018 को लोकसभा सचिवालय को स्टेडिंग कमेटी ऊर्जा विभाग ने अपनी रिपोर्ट दी। इसमें 34 पावर प्लांट पर बैंक कर्ज की जानकारी दी गई। रिपोर्ट में बताया गया कि 34 प्रोजेक्ट की कमीशन कैपेसिटी 24 हजार 405 मेगावाट है। इन सभी पर 1 लाख 74 हजार 468 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है। बैंक कर्ज में डूबी बिजली कंपनियों से वसूली करने के लिए सख्त नजर आ रहे हैं। अगर सरकार ने सख्ती दिखाई तो इन कंपनियों पर संकट गहरा सकता है। मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी के सीजीएस कमर्शियल प्रमोद चौधरी के मुताबिक बैंक से पावर प्लांट डिफाल्टर हुए तो इसका असर कितना होगा, ये आदेश के बाद ही बताया जा सकता है। डिफाल्टर सूची में प्रदेश के कितने प्लांट हैं, इसकी जानकारी नहीं है। फिर भी यदि दो-चार प्लांट बंद होते भी हैं तो इससे सप्लाई पर कोई असर नहीं होगा। प्रदेश में भरपूर बिजली है। बल्कि प्लांट बंद होने से उनको देने वाला करोड़ों रुपए बच जाएगा। हालांकि प्लांट कुछ दिन के लिए बंद होंगे। बाद में बैंक उसे बेच देती हैं, तो जो संचालन करेगा, उससे करार यथावत जारी रहेगा। - अजय धीर
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