करिश्माई कप्तान का सन्यास
17-Sep-2018 07:48 AM 1234831
भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान सरदार सिंह ने इंटरनेशनल हॉकी से सन्यास ले लिया है। सरदार ने 12 साल के करिअर में 350 मैच खेले। 32 साल के सरदार 2008 से 2016 तक टीम के कप्तान भी रहे। सरदार ने हाल ही में जकार्ता में आयोजित एशियन गेम्स में हिस्सा लिया था। वहां भारतीय टीम ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। सरदार के सन्यास लेने की खबर तब आई, जब एशियन चैंपियंस ट्रॉफी और वल्र्ड कप के लिए आयोजित नेशनल कैंप के लिए 25 सदस्यीय संभावित टीम की घोषणा हुई। इस टीम में सरदार को जगह नहीं मिली है। जबकि सरदार ने 28 दिन पहले एशियन गेम्स के लिए रवाना होने से पहले कहा था कि वे टोक्यो ओलंपिक में खेलना चाहते हैं। उन्होंने यो-यो टेस्ट में क्रिकेट कप्तान विराट कोहली को भी पीछे छोड़ दिया था। सरदार ने अपना सीनियर डेब्यू 2006 में पाकिस्तान के खिलाफ किया था। अंतिम मैच भी एशियाड में पाक के खिलाफ ही खेला। वे टीम में मिडफील्ड के महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन गए। सरदार ने 2008 में सुल्तान अजलान शाह कप में टीम की कमान संभाली। तब वे भारतीय टीम के कप्तान बनने वाले सबसे युवा खिलाड़ी थे। 2016 में उनकी जगह पीआर श्रीजेश को कप्तान बनाया गया। सरदार को 2012 में अर्जुन अवॉर्ड और 2015 में पद्मश्री अवॉर्ड मिला। उन्होंने दो ओलंपिक (लंदन-2012 और रियो-2016) खेले। पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान का कहना है कि पिछले 12 साल में वह काफी हॉकी खेल चुके हैं और अब युवाओं के लिये जिम्मेदारी लेने का समय आ गया है। सरदार ने कहा कि उन्होंने एशियाई खेलों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद यह फैसला किया, जिसमें भारत अपने खिताब का बचाव करने में असफल रहा और उसे कांस्य पदक के साथ संतोष करना पड़ा। सरदार की उम्र भी बढ़ रही है और अब उनके खेल में पहले जैसी फूर्ती देखने को नहीं मिलती, जिससे एशियाई खेलों के दौरान उनके प्रदर्शन की काफी आलोचना हुई। उन्होंने कहा, मैंने चंडीगढ़ में अपने परिवार, हॉकी इंडिया और अपने दोस्तों से सलाह मशविरा करने के बाद यह फैसला किया है। मुझे लगता है कि अब हॉकी से आगे के बारे में सोचने का सही समय आ गया है। दिलचस्प बात है कि जकार्ता में एशियाई खेलों के दौरान सरदार ने कहा था कि उनके अंदर काफी हॉकी बची है और उन्होंने 2020 तोक्यो में अपना अंतिम ओलिंपिक खेलने की इच्छा व्यक्त की थी। सरदार ने भारत के लिए सीनियर टीम में पदार्पण पाकिस्तान के खिलाफ 2006 में किया था और इसके बाद से वह टीम की मध्यपंक्ति में अहम खिलाड़ी बने हुए हैं। 32 वर्ष के इस खिलाड़ी ने देश के लिए 350 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले और 2008 से लेकर 2016 तक आठ वर्षों तक राष्ट्रीय टीम की कप्तानी भी संभाली। इसके बाद टीम की कमान पी आर श्रीजेश को सौंप दी गई। वर्ष 2008 सुल्तान अजलान शाह कप में टीम की अगुवाई के दौरान वह भारतीय टीम की कप्तानी करने वाले सबसे युवा खिलाड़ी भी बने थे। उन्हें 2012 में अर्जुन पुरस्कार और 2015 में पद्म श्री से नवाजा गया। उन्होंने 2 ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया। गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों की टीम से बाहर किए जाने के बाद इस खिलाड़ी ने अपनी फिटनेस पर कड़ी मेहनत की और चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए शानदार वापसी की जिसमें भारतीय टीम ने रजत पदक जीता। उम्र के साथ वह थोड़े धीमे जरूर हुए लेकिन सरदार अब भी भारतीय टीम के सबसे फिट खिलाडिय़ों में से एक हैं। उन्होंने कहा, इस फैसले के पीछे फिटनेस कारण नहीं है। मैं कुछ और साल तक हॉकी खेलने के लिए पूरी तरह फिट हूं। लेकिन हर चीज का समय होता है और मुझे लगता है कि अब मेरे लिए जीवन में आगे बढऩे का समय आ गया है। सरदार ने कहा कि उन्होंने अपना फैसला मुख्य कोच हरेंद्र सिंह को बता दिया है और उन्होंने यह भी कहा कि वह घरेलू सर्किट में हॉकी खेलना जारी रखेंगे। हरियाणा के सिरसा के इस खिलाड़ी का करियर विवादों से दूर नहीं रहा। उन पर भारतीय मूल की ब्रिटिश महिला ने बलात्कार का आरोप भी लगाया था जिससे उन्होंने हमेशा इनकार किया था। उन्हें इस मामले में लुधियाना पुलिस के विशेष जांच दल द्वारा क्लीन चिट मिल गई थी। -आशीष नेमा
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