18-Aug-2018 09:37 AM
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एजबेस्टन में जब तीसरे दिन का खेल खत्म हुआ तब भारत के 110 रन बने थे, टीम के 5 बल्लेबाज पवेलियन में वापस लौट चुके थे और जीत भारत से 84 रन की दूरी पर थी। हालांकि, भारतीय टीम के लिए सबसे बड़ी राहत की बात यह थी कि क्रीज पर भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली मौजूद थे, विराट ने पहली पारी में भारत के कुल 274 रनों में अकेले 149 रनों का योगदान दिया था और पिछले कुछ सालों में भारतीय टीम की ज्यादातर जीतों में अहम किरदार में रहें हैं।
हालांकि, जब चौथे दिन का खेल शुरू हुआ तो पहले ही घंटे में बेन स्टोक्स की एक गेंद कोहली के बल्ले को छकाती हुई उनके पैड्स पर जा लगी और इसका नतीजा वही हुआ जिसकी कल्पना भी हर भारतीय क्रिकेट प्रेमी को डरा रही थी, विराट 51 के निजी स्कोर पर एलबीडब्ल्यू करार दे दिए गए। जब कोहली आउट हुए तो टीम को जीत के लिए 53 और रनों की जरूरत थी और टीम के 3 विकेट ही शेष रह गए थे। हालांकि कोहली के आउट होने के बाद इंग्लैंड की जीत महज औपचारिकता ही थी और यह औपचारिकता अगले 20 रनों के भीतर पूरी भी हो गयी। कोहली के आउट होने के बाद भारतीय टीम के हालत उस दौर की याद भी दिला रहे थे जब 90 के दशक में सचिन तेंदुलकर का आउट होना मात्र ही भारत के हार जाना सरीखा हो जाता था। वर्तमान दौरे पर भी टीम उसी तरह के टेम्परामेंट में दिख रही है जहां टीम कोहली पर बहुत ज्यादा निर्भर कर रही है।
तेज पिचों पर टीम कोहली पर किस कदर निर्भर कर रही है यह कुछ आकड़ों के द्वारा समझी जा सकती है। दिसंबर 2013 से अब तक इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारतीय बल्लेबाजों का हाल यहीं बयां करता है। कोहली ने इन दौरों पर 17 टेस्ट मैच में खेले हैं, उसमें कोहली ने 54.48 की औसत से रन बनाये हैं, जबकि ऊपरी क्रम के सात बल्लेबाजों का कुल मिलाकर औसत इस दौरान 28.13 का रहा है। 2017-18 के सीजन की शुरुआत से अब तक 7 टेस्ट मैचों में कोहली ने भारत द्वारा कुल बनाये गए रनों का 32 फीसदी अकेले ही बनाया है। यह आकड़ें यह बताने के लिए काफी है, कोहली के बिना वर्तमान टीम किस कदर लाचार हो जा रही है। इंग्लैंड के खिलाफ समाप्त हुए पहले टेस्ट मैच में भारतीय बल्लेबाजों ने टीम को जिताने की कोई जिम्मेदारी भी नहीं दिखाई, इसकी बानगी हार्दिक पंड्या की बल्लेबाजी के समय भी दिखी जब टीम 7 विकेट खोकर बल्लेबाजी कर रही थी, वैसे मौके पर पंड्या ने खुद ज्यादा बल्लेबाजी करने के बजाय पुछल्ले बल्लेबाजों को इंग्लैंड की खतरनाक गेंदबाजी को ज्यादा झेलने का मौका दिया जबकि कोहली ने पहली पारी में 3 पुछल्लों बल्लेबाजों के साथ 100 रन से ज्यादा बनाये थे, जहां कोहली ने पुछल्लों बल्लेबाजों को कम से कम गेंदे झेलने दी थी। ऐसी ही किसी पारी की उम्मीद पंड्या से भी थी मगर पंड्या ऐसी कोई जिम्मेदारी दिखाने से बचते रहे।
-आशीष नेमा