17-Sep-2018 07:36 AM
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पुलिस मप्र की हो या देश के किसी और राज्य की उसके लिए यह ख्यात है कि वह सांप निकल जाने के बाद लकीर को पीट-पीटकर अपनी पीठ थपथपाती है। वर्तमान समय में हाईवे पर ट्रक चोरी कर ड्राइवर और क्लीनर्स की हत्या करने के सनसनीखेज मामले में गिरफ्तार आदेश खामरा को लेकर मप्र पुलिस खुशफहमी में है। ऐसा लगता है जैसे पुलिस ने कोई बड़ा मैदान मार लिया है। जबकि खामरा द्वारा रोज किए जा रहे खुलासे पुलिस की निष्क्रियता को दर्शा रहे हैं।
खामरा ने 33 हत्याओं को स्वीकार किया है और न जाने कितनी हत्याओं से पर्दा हटना बाकी है। लेकिन यह हमारे देश की पुलिस व्यवस्था की खामी है कि एक सीरियल किलर लगातार ट्रकों को लूटकर ड्राइवर और क्लीनर्स की हत्या करता रहा और पुलिस सीमा व राज्य से बाहर निकलकर इसकी तहकीकात नहीं कर सकी। सबसे हैरानी की बात यह है कि यह सीरियल किलर शांति के टापू मप्र की राजधानी भोपाल से सटे औद्योगिक क्षेत्र मंडीदीप का रहने वाला है। 48 साल का आदेश खामरा दिन में टेलर का काम किया करता था और रात में लोगों की हत्या को अंजाम देता था। पुलिस ने बताया की 48 साल के सीरियल किलर आदेश खामरा ने दावा किया है कि उसने 12 से ज्यादा गैंग्स के साथ मिलकर 33 ट्रक डाइवर और क्लीनर की हत्या की है। साथ ही उसने होशंगाबाद के एक व्यक्ति की भी हत्या की है। पुलिस ने बताया कि आदेश का नाम कभी भी मोस्ट वॉन्टेड क्रिमिनल्स की लिस्ट में सामने नहीं आया।
खामरा और उसके दो साथी जयकरन प्रजापति और तुकाराम बंजारा को भोपाल पुलिस ने ड्राइवर और क्लीनर की हत्या के बाद ट्रक लूटने के आरोप में गिरफ्तार किया। पुलिस ने बताया कि जयकरन भोपाल का और तुकाराम नागपुर का रहने वाला है। कई राज्यों में फैली हर गैंग के सदस्य आपस में कोडवर्ड में ही बात करते थे। जयकरण का काम ट्रक ड्राइवर-क्लीनर को अपनी बातों में फंसाना रहता था। जयकरण फोन कर आदेश से कहता था कि भाई साहब, कुछ मीठा तो खिला दो। इसका मतलब होता था कि ट्रक ड्राइवर-कंडक्टर उसके झांसे में आ चुके हैं, आप आओ और नशीली दवा खिलाकर उन्हें बेहोश कर दो। ग्वालियर की गैंग का काम ट्रक का माल बिकवाना रहता था। इस गैंग को जैसे ही पता चलता था कि आदेश-जयकरण ने कोई ट्रक लूट लिया है तो वे फोन कर कहते थे कि कचरा रास्ते में फेंकते हुए आना। यानी ड्राइवर-कंडक्टर के शव रास्ते में फेंकते हुए ही आना।
पुलिस की इन्वेस्टिगेशन में सामने आया कि आदेश और जयकरण द्वारा लूटे गए ट्रक तो कभी नहीं मिले। लेकिन इन ट्रक के चोरी या लूटे जाने की रिपोर्ट में खात्मा लगवाकर मालिकों ने इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम ले लिया। एक शहर से लूटे गए ट्रक के ड्राइवर-क्लीनर की लाश दूसरे शहर में मिलती थी, जो वहां की पुलिस के लिए अज्ञात होती थी। दोनों जिलों की पुलिस ऐसे मामलों की इन्वेस्टिगेशन को हल्के में लेती थी, इसलिए ऐसे मामलों का बड़ा खुलासा इससे पहले नहीं हो सका था।
अगर देश की पुलिस का नेटवर्क एक होता तो निश्चित रूप से खामरा इतनी हत्याओं को अंजाम नहीं दे सकता था। लेकिन अपने देश में एक राज्य की पुलिस का भी नेटवर्क अपने सभी थानों के साथ इतना संगठित नहीं है कि वे घटनाओं की कडिय़ों को आपस में मिला सकें। कई बार तो ऐसा देखने में आया है कि एक ही जिले में सीमा को लेकर थाने अपराध पंजीबद्ध करने में लापरवाही करते हैं। पुलिस सूत्रों से जानकारी मिली है कि खामरा ने वर्ष 2000 में सुल्तानपुर में 30-40 मर्डर भी किए थे। पुलिस अब इसकी भी पड़ताल में जुट गई है।
अगर पुलिस का नेटवर्क तगड़ा होता और वह सजग और सतर्क रहती तो निश्चित रूप से खामरा इतनी वारदातें नहीं कर पाता। लेकिन पुलिस किसी भी वारदात की कड़ी दूसरी वारदात से मिलाने की कोशिश नहीं करती है। इसलिए अपराधों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
-सुनील सिंह