17-Sep-2018 06:21 AM
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लंबे समय से उपेक्षा का शिकार रहे बुंदेलखंड की तस्वीर बदलने जा रही है। रक्षा मंत्रालय ने बुंदेलखंड अंचल में में डिफेन्स कॉरिडोर विकसित करने का निर्णय लिया है। योजना के तहत रक्षा से संबंधित उद्यम लगाए जाएंगे। कॉरिडोर निर्माण में उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के सातों जिलों को शामिल किया गया है, जबकि मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड अंचल की उपेक्षा की जा रही है। इसको लेकर फेडरेशन ऑफ मध्यप्रदेश चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ज्ञापन सौंपा। बताया जा रहा है कि कॉरिडोर से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को सुरक्षा दृष्टिकोण से एकसूत्र में बांधेगा।
चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के वॉइस प्रसीडेंट देवेंद्र सिंह चावला ने बताया कि यह कॉरिडोर केंद्र सरकार उप्र के बुंदेलखंड क्षेत्र को डिफेंस कॉरिडोर बनाने जा रही है। बुंदेलखंड क्षेत्र को रक्षा गलियारे में तब्दील करने की योजना एक अर्से से चल रही थी। उम्मीद थी कि इस गलियारे में मप्र के छह जिलों को भी सम्मिलित किया जाएगा लेकिन उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर कॉरिडोर को केवल यूपी तक ही सीमित रखा गया है।
गौरतलब है कि कॉरिडोर में सेना के आयुध और हथियार सहित अन्य सामग्री का निर्माण होगा। निर्माण इजराइल की मदद से होगा। योजना के चलते उप्र के बुंदेलखंड में 2016 में बुंदेलखंड पानी की समस्या को हल करने इजराइल के साथ वॉटर यूटिलिटी रिफॉर्मस का करार कर लिया गया था। चावला ने बताया कि, सीएम शिवराज को दिए ज्ञापन में बताया गया है कि, भारत सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना पर रक्षा मंत्रालय कार्य कर रहा है। इसका बजट करीब 20 हजार करोड़ है। केंद्र सरकार ने इसे बुंदेलखंड डिफेंस कॉरिडोर दिया है लेकिन मप्र के बुंदेलखंड के इलाकों को छोड़ दिया है। उन्होंने बताया कि ललितपुर नरसिंहपुर तक की फोरलेन हाइवे से 80 प्रतिशत वाहन मप्र के बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर से होते हुए होकर गुजरते हैं। इसके अलावा मालथौन से बीना फोरलेन का निर्माण कार्य चल रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस मुद्दे को स्वीकार कर केंद्र सरकार से चर्चा कर मप्र के बुंदेलखंड को इस योजना से जोड़ा जाने की पहल करें।
बुंदेलखंड के रक्षा गलियारेÓ की स्थापना की शुरुआत झांसी से हो रही है। झांसी ही केंद्र में रहेगा। झांसी के बाद बुंदेलखंड के अन्य जिलों में गलियारे का विस्तार होगा। झांसी जिले के करीब डेढ़ दर्जन गांवों की जमीन चिन्हित की गई है। गलियारे में पहले औरैया को भी शामिल किया गया था, लेकिन बाद में इसे अलग कर दिया गया। झांसी में रक्षा गलियारे की स्थापना का पहला चरण शुरू करने के लिए राज्यपाल की ओर से बाकायदा गजट जारी किया जा चुका है। झांसी में डिफेंस-कॉरिडोरÓ के लिए गरौठा तहसील के गांव एरच, गेंदा कबूला, कठरी, गोरा, जुझारपुरा, टेहरका, हरदुआ, रौतानपुरा, लभेरा, झबरा और टहरौली तहसील के ग्राम शमशेरपुरा, बेंदा, पथरेड़ी, सुरवई और देवरासारन की जमीनें ली जा रही हैं। ऐसे में मप्र के हिस्से वाले बुंदेलखण्ड में निराशा का माहौल है।
एक ही गलियारे से सेना को मिलेंगे सारे सामान
डिफेंस कॉरिडोरÓ को लेकर देश-विदेश की कई कंपनियों के साथ करार होगा, लेकिन रक्षा मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि इसमें सबसे अहम भूमिका इजराइल की होगी। कॉरिडोरÓ में कई शहर शामिल होंगे जहां सेना के इस्तेमाल में आने वाले सारे साजो-सामान बनेंगे। अलग-अलग किस्म के उत्पाद के लिए अलग-अलग फैक्ट्रियां स्थापित होंगी, जिसमें पब्लिक सेक्टर, प्राइवेट सेक्टर और बहुराष्ट्रीय कंपनियां हिस्सा लेंगी। इस कॉरिडोर में वो सभी औद्योगिक संस्थान शरीक हो सकते हैं जो सेना के साजो-सामान बनाते हैं। डिफेंस कॉरिडोरÓ की स्थापना के बाद सेना के हथियार से लेकर वाहन और वर्दी से लेकर कल-पुर्जे तक सारे सामान एक ही गलियारे में बनने लगेंगे।
-श्याम सिंह सिकरवार