02-Aug-2013 09:12 AM
1234784
बंगाल में पंचायती चुनाव में पिछले दिनों अभूतपूर्व हिंसा देखने को मिली विपक्ष का आरोप है कि हिंसा ममता की पार्टी द्वारा आयोजित है मालदा में केन्द्रीय मंत्री एएच खान चौधरी की खुली जीप को निशाना

बनाकर पांच फायर किए गए। हालांकि चौधरी बाल-बाल बचे लेकिन उन्होंने कहा कि यह हमला तृणमूल कांग्रेस द्वारा प्रायोजित था। बाद में तृणमूल कांग्रेस की तरफ से पश्चिम बंगाल की मंत्री सावित्री मित्रा ने इस खबर का खंडऩ करते हुए कहा कि यह पूरा समाचार ही झूठा है। वीरभूम इलाके में सीपीएम की जिला परिषद सदस्य अन्नपूर्णा मुखर्जी ने भी तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों पर धमकाने का आरोप लगाया है एक दर्जन से ज्यादा लोग पंचायत चुनाव के चौथे चरण तक मारे जा चुके थे।
मुर्शिदाबाद, मालदा, नदिया, 24 परगना सहित कई जिलों में आग जनी हत्या और लूटपाट की घटनाओं के कारण यह चुनाव हिंसक हो गए उधर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पंचायत चुनाव की हिंसा का ठीकरा चुनाव आयोग पर फोड़ा है। उन्होंने माकपा को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि माकपा लोगों को भड़काने का प्रयास कर रही है जिसका गुप्त उद्देश्य चुनाव में बाधा डालना है क्योंकि माकपा ने अपना जनाधार खो दिया है ममता ने यह भी कहा कि जनमत को आतांक आगजनी और हथियारों के द्वारा नहीं बदला जा सकता। माकपा शांति बनाए रखने के बजाय आंतक का प्रचार कर रही है कांग्रेस भी झूठी शिकायतें करने में व्यस्त है। ममता ने कहा कि उन्होंने दो चरण में चुनाव कराने का फैसला किया था लेकिन चुनाव आयुक्त की जिद के कारण पांच चरण में चुनाव हुए जिसकी वजह से हर चरण में हिंसा बढ़ती गई। ममता के इन आरोपों को कांग्रेस और माकपा ने सिरे से नकार दिया हंै। दोनों दलों का आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस हिंसा का सहारा लेकर चुनाव जीतना चाहती है इसी कारण उसके कार्यकर्तां हर चुनाव में खूनी होली खेलते हंै। कारण चाहे जो हो लेकिन बंगाल में हर तरफ भय और अशांति का माहौल है। तृणमूल समर्थकों का आंतक सर चढ़ कर बोल रहा है ममता बनर्जी ने भले ही इसके लिए माकपा कार्यकर्ताओं को दोषी ठहराया हो लेकिन तृणमूल सरकार की शह के कारण कुछ युवकों ने हथियार उठा लिए हैं। कुछ दिन पहले वहां के एक मंत्री ने कार्यकर्ताओं को पुलिस के खिलाफ बम लगाने की सीख भी दे डाली थी इस कार्रवाई के चलते माहौल अब उखडऩे लगा है। ममता को हर हाल में इस माहौल से निपटना होगा अन्यथा आगामी लोकसभा चुनाव में लाभ की स्थिति में होने के बावजूद उनकी पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिलेगी क्योंकि उनकी सरकार से खुश रहने वालों की संख्या अब लगातार कम हो रही है।
उधर नक्सली गतिविधियां भी तेज हो रही है बीरभूम जिले में एक निर्दलीय उम्मीदवार के पिता को गोली मारने की घटना में माओवादियों के शामिल होने की आशंका है इसी जिले के एक गांव में माओवादियों के पोस्टर मिलने से सनसनी फैल गई हैं। तृणमूल कांग्रेस ने हमेशा ही माओवादी हिंसा के लिए माकपा सहित अन्य वामपार्टीओं पर इलजाम लगाया है लेकिन कानून और व्यवस्था सरकार की जिम्मेदारी है यदि सरकार इस जिम्मेदारी का निर्वहन सही तरीके से नहीं करेगी तो कानून और व्यवस्था की स्थिति भला कैसे काबू में आ सकेगी। विपक्ष का आरोप है कि ममता बनर्जी केन्द्र सरकार से पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बल प्राप्त करने में नाकाम रही है इसीकारण समस्या बढ़ रही है। तृणमूल के मंत्री ने अपने विरोधी का सर कलम करने की धमकी दी है।