04-Sep-2018 09:23 AM
1234824
प्र में आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपनी जीत मानकर चल रही है। ऐसे में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं की कोशिश है कि वे इस चुनाव में अपने वारिश को भी उतार दे, ताकि वे प्रदेश की राजनीति में अपना पांव जमा लें। लेकिन इन नेताओं को इसके लिए फिलहाल कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। दरअसल, जिन नेताओं के पुत्र चुनाव में अपना दांव अजमाने की तैयारी कर रहे हैं, वे खुद भी चुनाव लडऩे वाले हैं। ऐसे में एक परिवार और दो दावेदार वाली स्थिति निर्मित हो रही है। इसलिए पार्टी के रणनीतिकार भी अभी कुछ करने की स्थिति में नहीं हैं।
दरअसल, आगामी विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश बीजेपी में वशंवाद की नई खैप तैयार हो गई है, जो इस बार चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है। वंशवाद की राजनीति का हमेशा विरोध करने वाली बीजेपी इस बार खुद वंशवाद के आरोपों से घिरती दिखाई दे रही हैं। ऐसा इसलिए कि इस बार दस से ज्यादा नेताओं के पुत्रों ने चुनाव में उतरने की तैयारी कर ली जबकि इनके पिता भी चुनाव लडऩे के प्रबल दावेदार है। ऐसे में एक परिवार दो दावेदार की इस समस्या को बीजेपी केसे हल करेगी यह तो बाद में पता चलेगा। फिलहाल तो इन पिता-पुत्रों ने अपनी-अपनी दावेदारी पेश करनी शुरू कर दी है।
विधानसभा चुनाव लडऩे में जिन पिता-पुत्र की जोड़ी सबसे ऊपर नजर आ रही हैं, उनमें खुद सीएम शिवराज सिंह और उनके पुत्र कार्तिकेय चौहान शामिल है। सीएम तो चुनाव लड़ेंगे ही, जबकि उनके पुत्र भी बुधनी विधानसभा में लगातार सक्रिय नजर आ रहे हैं। हालांकि कार्तिकेय चुनाव लडऩे की बात से इन्कार करते है। लेकिन, जिस तरह से वो चुनाव प्रचार में जुटे है उससे उनके चुनाव लडऩे के पूरे आसार नजर आ रहे है। वैसे भी सीएम शिवराज ने 2013 का चुनाव दो सीटों बुधनी और विदिशा से लड़ा था। दोनों सीटों से चुनाव जीतने के बाद सीएम ने विदिशा सीट खाली कर दी थी। अगर ऐसे ही हालत इस बार बने तो पिता-पुत्र की यह जोड़ी विधानसभा पहुंच सकती हैं।
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और कैलाश विजयवर्गीय वर्तमान में महू विधानसभा सीट से विधायक है। लेकिन, इस बार उनके पुत्र आकाश विजयवर्गीय ने भी इशारों-इशारों में चुनाव लडऩे की इच्छा जाहिर कर दी है। कैलाश भी अपने पुत्र को राजनीति में स्थापित करना चाहते है। इसी के चलते आकाश अपने पिता के विधानसभा क्षेत्र के साथ-साथ इंदौर की अन्य विधानसभा सीटों में भी सक्रिय दिखाई दे रहे है। ऐसे में इस बात के पूरे आसार है कि ये इन दोनों पिता-पुत्रों की जोड़ी भी चुनाव रण में दिखाई दे।
प्रदेश के सबसे कद्दावर मंत्रियों में गिने जाने वाले गोपाल भार्गव वर्तमान में रहली विधानसभा क्षेत्र से विधायक है। लेकिन, 2014 के लोकसभा चुनाव में सागर लोकसभा सीट से दावेदारी करने वाले उनके पुत्र अभिषेक भार्गव अब विधानसभा चुनाव में लडऩे की तैयारी करते दिख रहे है। जबकि मंत्री भार्गव भी चाहते है उनका बेटा विधानसभा चुनाव लड़े। भाजपा युवा मोर्चा के कई पदों पर रह चुके अभिषेक का राजनीति में सक्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले चुनाव में पिता के प्रचार की जिम्मेदारी उन्होंने ही संभाली थी। गोपाल भार्गव इस बार भी रहली से टिकट के प्रबल दावेदार है, जबकि उनके पुत्र अभिषेक सागर जिले की देवरी विधानसभा सीट से अपनी दावेदारी कर रहे हैं।
सांची विधानसभा सीट से विधायक और प्रदेश सरकार में वन मंत्री गौरीशंकर शैजवार भी अपने बेटे मुदित शैजवार को विधायक बनाना चाहते है। मुदित भी अपने पिता के विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय नजर आ रहे है। एकात्म यात्रा से लेकर कार्यकर्ता सम्मेलन तक सभी कार्यक्रमों की जिम्मेदारी मुदित ही संभाल रहे है। हालांकि बढ़ती उम्र के चलते शायद मंत्री शैजवार इस बार का चुनाव न लड़े, लेकिन ऐसी परिस्थिति में वह अपने बेटे को पार्टी से टिकट दिलाने की पूरी कोशिश कर रहे है। प्रदेश सरकार के जनसंपर्क मंत्री और दतिया से विधायक नरोत्तम मिश्रा राज्य की राजनीति में अपने कड़क मिजाज के लिये जाने जाते है। ऐसे में मंत्री मिश्रा भी अपने पुत्र सुकर्ण को विधानसभा चुनाव लड़ाना चाहते है, सुकर्ण पूरे दतिया जिले में सक्रिय नजर आ रहे है। हाल ही में सीएम शिवराज की जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान उन्होंने जिस तरह जिम्मेदारी संभाली उसे उनके विधानसभा चुनाव लडऩे की दावेदारी के तौर पर देखा गया है। नरोत्तम मिश्रा तो दतिया से चुनाव लड़ेंगे ही, जबकि उनका बेटा भी जिले की बाकि तीन सीटों में से किसी एक पर दावेदारी कर सकता है। ऐसा नहीं है कि इस बार के चुनाव में केवल पिता-पुत्रों की जोड़ी ही नजर आ सकती है। इस रेस में पिता-पुत्री की भी एक जोड़ी शामिल है। प्रदेश सरकार में कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम बिसेन भी पिता के साथ विधानसभा चुनाव लडऩा चाहती है। बालाघाट जिले में सक्रिय मौसम ने पिछले लोकसभा चुनाव में अपनी दावेदारी की थी, तब उन्हें टिकट नहीं मिला था। लेकिन, इस बार वे टिकट की पूरी कोशिश में जुटी है। वेसे भी बालाघाट जिले में बिसेेन परिवार का दबदबा माना जाता है, मंत्री बिसेेन की पत्नी जिला पंचायत अध्यक्ष है, ऐसे में उनकी बेटी भी पिता के साथ बालाघाट जिले की किसी एक सीट से चुनाव लड़ती नजर आ सकती हैं। अब देखना है कि कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाने वाली भाजपा नेता पुत्रों को टिकट देती है कि नहीं।
वैसे भाजपा के कई नेताओं के पुत्र इस समय मंत्री और विधायक हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के भतीजे सुरेंद्र पटवा, पूर्व सांसद कैलाश सारंग के पुत्र विश्वास सारंग मंत्री हैं। वहीं केंद्रीय मंत्री थावरचंद के पुत्र जितेंद्र गहलोत, पूर्व मंत्री हरनाम सिंह राठौर के पुत्र हरवंश राठौर, विजय खंडेलवाल के पुत्र हेमंत खंडेलवाल। पूर्व विस अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी के पुत्र अशोक रोहाणी, गजराज सिंह सिकरवार के पुत्र सत्यपाल सिंह सिकरवार विधायक हैं।
जयंत मलैया- सिद्धार्थ मलैया
दमोह से विधायक और प्रदेश सरकार में वित्तमंत्री जयंत मलैया अपने पुत्र सिद्धार्थ मलैया को विधानसभा चुनाव लड़ाने की कोशिश में जुटे है। पिछले विधानसभा चुनाव में सिद्धार्थ के चुनाव लडऩे की खबरों ने खूब जोर पकड़ा था, तब उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया था। लेकिन, इस बार वे फिर दावेदारी कर रहे है। मंत्रीजी भी अपने बेटे को टिकट दिलाने के लिये अदंरूनी तोर पर पूरी कोशिश कर रहे है। हालांकि इस बार मंत्री मलैया के चुनाव न लडऩे की खबरे भी सामने आई है। अब देखना दिलचस्प होगा कि पुत्र पिता के लिये प्रचार करेगा या फिर पिता पुत्र के लिये।
नंदकुमार सिंह चौहान-हर्ष सिंह चौहान
खंडवा से बीजेपी सांसद नंदकुमार सिंह चौहान ने इस बार विधानसभा चुनाव लडऩे की इच्छा पार्टी के समक्ष जाहिर की है। जबकि उनके पुत्र हर्ष सिंह भी पूरे खंडवा जिले में सक्रिय नजर आ रहे है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के पद से निष्कासित होने के बाद से ही नंदू भैया खुद तो विधानसभा चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे जबकि अपने पुत्र को भी रेस में लगाये हुये है। ऐसे में इन दोनों पिता पुत्रों की जोड़ी विधानसभा में नजर आ सकती है।
-रजनीकांत पारे